17 अप्रैल को जन्मे महत्त्वपूर्ण घटना, निधन, प्रमुख व्यक्तित्वों, महत्त्वपूर्ण अवसरों और उत्सवों की जानकारी,

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Apr 17, 2025 - 05:12
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17 अप्रैल को जन्मे  महत्त्वपूर्ण घटना, निधन,  प्रमुख व्यक्तित्वों, महत्त्वपूर्ण अवसरों और उत्सवों की जानकारी,

1. 1995 - पाकिस्तान में बाल मज़दूरी को समाप्त करने वाले युवा कार्यकर्ता इक़बाल मसीह की हत्या
इक़बाल मसीह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक छोटे से गाँव के रहने वाले थे। उन्हें बचपन में क़र्ज़ के बदले एक कालीन कारख़ाने में बाँध दिया गया था, लेकिन उन्होंने वहाँ से भागकर बाल मज़दूरी के ख़िलाफ़ संघर्ष शुरू किया। इक़बाल महज़ 12 साल की उम्र में दुनियाभर में बाल अधिकारों की आवाज़ बन चुके थे। उन्होंने 3,000 से अधिक बच्चों को बाल मज़दूरी से मुक्त कराया। 17 अप्रैल 1995 को अज्ञात हमलावरों ने उन्हें गोली मार दी। उनकी मौत ने दुनियाभर में आक्रोश फैलाया और बाल मज़दूरी के ख़िलाफ़ अभियान को गति दी।


2. 2003 - 55 वर्षों बाद भारत-ब्रिटेन संसदीय मंच का गठन
17 अप्रैल 2003 को भारत और ब्रिटेन के बीच आपसी संबंधों को मज़बूत करने के लिए 55 वर्षों बाद एक नया संसदीय मंच स्थापित किया गया। इस मंच का उद्देश्य दोनों देशों की संसदों के बीच संवाद बढ़ाना, द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना और व्यापार, शिक्षा, संस्कृति जैसे क्षेत्रों में विचारों का आदान-प्रदान करना था। यह मंच दोनों देशों के लोकतांत्रिक मूल्यों और साझा इतिहास को ध्यान में रखते हुए भविष्य की साझेदारी को दिशा देने वाला माना गया। यह पहल भारत-ब्रिटेन संबंधों के लिए एक ऐतिहासिक क़दम थी।


3. 2006 - सूडान के रवैये से चाड अफ़्रीकी संघ शांति वार्ता से हटा
2006 में सूडान और चाड के बीच लगातार बढ़ते तनाव के कारण चाड ने अफ़्रीकी संघ की शांति वार्ता से खुद को अलग कर लिया। चाड का आरोप था कि सूडान उसके अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है और विद्रोहियों को समर्थन दे रहा है। यह घटना उस समय घटी जब दारफूर संकट अपने चरम पर था और क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ रही थी। चाड के इस फैसले से अफ़्रीकी संघ की मध्यस्थता की प्रक्रिया को बड़ा झटका लगा और क्षेत्रीय शांति स्थापना के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई। यह घटना अफ़्रीकी राजनीति में गहराते तनाव को दर्शाती है।


4. 2007 - 2014 के एशियाड के लिए दक्षिण कोरिया को मेजबानी मिली
17 अप्रैल 2007 को एशिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता, एशियाई खेलों (Asiad) के 2014 संस्करण की मेजबानी दक्षिण कोरिया के इंचियोन शहर को मिली। एशियाई ओलंपिक परिषद (OCA) ने इसकी घोषणा की। इंचियोन को यह अवसर चीन के ग्वांग्झोउ के बाद मिला, जो 2010 में खेलों की मेज़बानी कर चुका था। दक्षिण कोरिया इससे पहले 1986 में सियोल और 2002 में बुसान में एशियाड की मेज़बानी कर चुका था। 2014 के खेलों को सफल बनाने के लिए दक्षिण कोरिया ने बुनियादी ढांचे और खेल सुविधाओं के विकास में बड़ा निवेश किया।


5. 2008 - मुद्रास्फीति की दर 0.27% गिरकर 7.14% हुई
17 अप्रैल 2008 को भारत में मुद्रास्फीति (महँगाई दर) में 0.27 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 7.14% पर पहुँच गई। यह गिरावट मुख्यतः खाद्यान्न और ईंधन की कीमतों में स्थिरता के कारण आई। उस समय सरकार महँगाई पर नियंत्रण के लिए कई आर्थिक उपाय कर रही थी, जिसमें आयात शुल्क में कटौती और निर्यात पर प्रतिबंध शामिल थे। यह गिरावट जनता के लिए थोड़ी राहत लेकर आई, हालांकि दर अभी भी ऊँची बनी हुई थी। रिजर्व बैंक ने भी मौद्रिक नीतियों के माध्यम से महँगाई को काबू में रखने की दिशा में काम किया।


6. 2008 - हानुंग टामस एण्ड टेक्सटाइल्स लिमिटेड ने चीन की कम्पनी को ख़रीदने के लिए सहमति ज्ञापन दिया
भारतीय वस्त्र कंपनी हानुंग टामस एंड टेक्सटाइल्स लिमिटेड ने 17 अप्रैल 2008 को चीन की एक टेक्सटाइल कंपनी के अधिग्रहण हेतु सहमति ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस क़दम का उद्देश्य वैश्विक बाजार में अपने कारोबार का विस्तार करना और चीन जैसे बड़े विनिर्माण केंद्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना था। कंपनी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेड लिनन और घरेलू वस्त्रों की आपूर्ति करती है। इस अधिग्रहण से उत्पादन लागत में कमी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती मिलने की उम्मीद थी। यह भारतीय कंपनियों के वैश्वीकरण की दिशा में अहम पहल थी।


7. 2008 - भारत व ब्राजील के बीच चार महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर
17 अप्रैल 2008 को भारत और ब्राजील ने आपसी सहयोग को मज़बूत करने के लिए चार महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इन समझौतों में विज्ञान और तकनीक, ऊर्जा, व्यापार और कृषि क्षेत्र में सहयोग शामिल था। दोनों देशों ने जैव ईंधन, सूचना प्रौद्योगिकी और संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं पर भी सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया। यह पहल ब्रिक्स देशों के बीच संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण मानी गई। समझौतों का उद्देश्य वैश्विक मंचों पर सामूहिक हितों की रक्षा और विकासशील देशों के बीच सहयोग बढ़ाना था।

1. आशाराम बापू (जन्म: 1941)
आशाराम बापू एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु थे जिन्होंने देश-विदेश में कई आश्रमों की स्थापना की। उनका जन्म सिंध (अब पाकिस्तान) में हुआ था और विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। उन्होंने अपने प्रवचनों के ज़रिए लोगों को साधना, भक्ति और नैतिक जीवन का संदेश दिया। देश भर में उनके अनुयायियों की बड़ी संख्या थी। हालांकि, 2013 में उन पर यौन शोषण के आरोप लगे और 2018 में उन्हें उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई। उनके जीवन में एक ओर जहाँ आध्यात्मिक नेतृत्व रहा, वहीं अंत विवादों और अपराधों से घिरा रहा।


2. गीत सेठी (जन्म: 1961)
गीत सेठी भारत के महान बिलियर्ड्स और स्नूकर खिलाड़ी हैं। उन्होंने अपने करियर में आठ बार विश्व खिताब जीता है, जिनमें तीन बार IBSF वर्ल्ड बिलियर्ड्स चैंपियनशिप और पाँच बार प्रोफेशनल बिलियर्ड्स खिताब शामिल हैं। 1992 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार, 1993 में राजीव गांधी खेल रत्न और 2001 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वे 'द टॉप्स फाउंडेशन' के माध्यम से खेलों को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करते हैं। सेठी की उपलब्धियाँ भारत में क्यू स्पोर्ट्स को नई पहचान देने में सहायक रही हैं।


3. तकाजी शिवशंकरा पिल्लै (जन्म: 1912)
तकाजी शिवशंकरा पिल्लै मलयालम साहित्य के एक प्रसिद्ध लेखक थे जिन्हें विशेष रूप से उपन्यास और लघुकथा लेखन के लिए जाना जाता है। उनका लेखन केरल के ग्रामीण जीवन, सामाजिक समस्याओं और भावनात्मक संघर्षों पर आधारित था। उनकी प्रमुख कृतियों में 'Chemmeen' (झींगा मछली) बेहद प्रसिद्ध है, जिस पर बाद में एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फ़िल्म भी बनी। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण जैसे सम्मानों से सम्मानित किया गया। उनके साहित्य ने मलयालम भाषा को समृद्ध किया और जनमानस में गहरी छाप छोड़ी।


4. बिनोदानन्द झा (जन्म: 1900)
बिनोदानन्द झा बिहार के तीसरे मुख्यमंत्री थे। उनका कार्यकाल 1961 से 1963 तक रहा। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही राजनीति में सक्रिय थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्पित नेता थे। झा प्रशासनिक सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने बिहार में शिक्षा और प्रशासनिक सुधारों की दिशा में कई प्रयास किए। उनके कार्यकाल में राज्य में अनुशासन और पारदर्शिता पर विशेष ज़ोर दिया गया। वे एक समर्पित जनसेवक थे जिन्होंने अपना जीवन समाज सेवा को समर्पित किया।


5. बेनो ज़ेफाइन (जन्म: 1990)
बेनो ज़ेफाइन भारत की पहली दृष्टिहीन भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी हैं। उनका चयन 2014 में सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से हुआ, जो दिव्यांग जनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। तमिलनाडु की रहने वाली बेनो ने अपने संघर्षों को पीछे छोड़ते हुए सफलता की नई मिसाल कायम की। उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की और पूरी तरह दृष्टिहीन होने के बावजूद कठिन प्रतियोगिता में सफलता पाई। वर्तमान में वे भारत का प्रतिनिधित्व विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कर रही हैं और उनके कार्य को वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। 

17 अप्रैल को निधन होने वाले अन्य प्रमुख व्यक्तित्वों की जानकारी दी गई है

1. विवेक (निधन: 2021)
विवेक एक प्रसिद्ध तमिल फिल्म अभिनेता और हास्य कलाकार थे, जिनका जन्म 1961 में हुआ था। उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों में कार्य किया और अपनी सामाजिक संदेशों से भरपूर हास्य भूमिकाओं के लिए जाने गए। विवेक को 'कलैममणि' और 'पद्म श्री' जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए। वे प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से प्रेरित होकर सामाजिक अभियानों जैसे वृक्षारोपण में भी सक्रिय रहे। उनका अचानक निधन कार्डियक अरेस्ट के कारण हुआ, जिससे दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को गहरा आघात लगा।


2. वी. एस. रमादेवी (निधन: 2013)
वी. एस. रमादेवी भारत की पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त थीं। वे 1990 में इस पद पर नियुक्त हुईं और इसके साथ ही उन्होंने भारत के संविधानिक इतिहास में एक नई मिसाल कायम की। इसके अलावा, वे कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल भी रही थीं। उन्होंने विधि और प्रशासन में उत्कृष्ट सेवाएँ दीं और महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित किया। उनकी प्रशासनिक दक्षता और निष्पक्षता के लिए उन्हें विशेष रूप से याद किया जाता है। 17 अप्रैल 2013 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनका योगदान हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।


3. ब्रिगेडियर भवानी सिंह (निधन: 2011)
ब्रिगेडियर भवानी सिंह जयपुर के अंतिम आधिकारिक महाराजा और भारतीय सेना में वीर अधिकारी थे। वे महावीर चक्र से सम्मानित युद्धनायक थे, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में बहादुरी से भाग लिया था। सेना सेवा से रिटायर होने के बाद वे राजनयिक कार्यों और सामाजिक सेवा से जुड़े रहे। उनका व्यक्तित्व राजसी गरिमा, सैन्य शौर्य और परोपकार का संगम था। जयपुर की जनता उन्हें 'बावजी' कहकर सम्मान देती थी। 17 अप्रैल 2011 को उनके निधन से एक युग का अंत हुआ।


4. विष्णु कांत शास्त्री (निधन: 2005)
विष्णु कांत शास्त्री एक प्रख्यात साहित्यकार, शिक्षाविद् और राजनीतिज्ञ थे। वे उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं। हिंदी साहित्य में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है, उन्होंने काव्य, आलोचना और निबंध के क्षेत्र में कई महत्त्वपूर्ण कृतियाँ लिखीं। राजनीति में वे भारतीय जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे। सादगी और विचारशीलता उनकी पहचान थी। उनका निधन 17 अप्रैल 2005 को हुआ, लेकिन उनके विचार और रचनाएँ आज भी साहित्यप्रेमियों को प्रेरणा देती हैं।


5. नरेंद्र कोहली (निधन: 2021 में, पर यहाँ 2001 लिखा गया है जो संभवतः त्रुटिपूर्ण है)
नरेंद्र कोहली हिंदी साहित्य के बहुचर्चित उपन्यासकार, नाटककार, और व्यंग्य लेखक थे। उनका लेखन भारतीय पुराणों और महाकाव्यों पर आधारित था, जिसे उन्होंने आधुनिक भाषा और शैली में प्रस्तुत किया। उनकी रामकथा और महाभारत पर आधारित रचनाएँ 'अभ्युदय', 'महासमर' जैसी कृतियाँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं। वे 'धर्म, संस्कृति और राष्ट्रवाद' को अपनी रचनाओं का मूल आधार मानते थे। 2021 में कोविड-19 के संक्रमण के कारण उनका निधन हुआ। वे आधुनिक हिंदी साहित्य में 'धार्मिक उपन्यास' विधा के अग्रणी रचनाकार माने जाते हैं। 

1. बीजू पटनायक (निधन: 1997)
बीजू पटनायक ओडिशा के लोकप्रिय नेता, स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और दो बार मुख्यमंत्री रहे। उनका जन्म 1916 में हुआ और वे एक प्रशिक्षित पायलट भी थे। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध और भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इंडोनेशिया की स्वतंत्रता में मदद के लिए वे प्रसिद्ध हैं, जहाँ उन्हें राष्ट्रीय हीरो का दर्जा प्राप्त हुआ। बीजू पटनायक ने ओडिशा के विकास में औद्योगीकरण, शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर विशेष ज़ोर दिया। उनके नाम पर ‘बीजू जनता दल’ की स्थापना हुई, जिसे उनके पुत्र नवीन पटनायक ने आगे बढ़ाया।


2. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (निधन: 1975)
डॉ. राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। उनका जन्म 1888 में हुआ था और वे महान दार्शनिक, शिक्षक और लेखक थे। उन्होंने भारतीय दर्शन, विशेषतः वेदांत, को पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत में उनका जन्मदिन (5 सितंबर) ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। वे यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में भी प्रोफेसर रहे। उनके विचार और शिक्षाएं आज भी मार्गदर्शक हैं। 17 अप्रैल 1975 को उनका निधन हुआ।


3. वी. एस. श्रीनिवास शास्त्री (निधन: 1946)
वी. एस. श्रीनिवास शास्त्री एक प्रख्यात समाज सुधारक, वक्ता और राजनीतिज्ञ थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े रहे और बाद में 'स्वराज्य पार्टी' में भी शामिल हुए। उनका जन्म 1869 में हुआ और वे अपनी अंग्रेज़ी वक्तृत्व कला के लिए विख्यात थे, जिस कारण उन्हें 'सिल्वर टंग्ड ऑरेटर ऑफ द एम्पायर' कहा गया। उन्होंने जातिवाद, अस्पृश्यता और सामाजिक असमानता के विरुद्ध आवाज़ उठाई। वे भारतीय समाज को प्रगतिशील दिशा में ले जाने वाले नेताओं में गिने जाते हैं। 1946 में उनका निधन हुआ।


4. राधानाथ राय (निधन: 1908)
राधानाथ राय उड़िया भाषा के महान कवि और लेखक थे, जिन्हें उड़िया साहित्य का जनक माना जाता है। उनका जन्म 1848 में हुआ और वे ब्रिटिश काल में शिक्षा विभाग में कार्यरत थे। उन्होंने काव्य रचनाओं के ज़रिए सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी विचारों का प्रसार किया। उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ ‘चंद्रभागा’, ‘उषा’, ‘धरित्रि’ आदि हैं। उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य की कृतियों का उड़िया में अनुवाद भी किया, जिससे आधुनिक उड़िया साहित्य को एक नई दिशा मिली। 17 अप्रैल 1908 को उनका निधन हुआ।


5. विलियम जोंस (निधन: 1794)
सर विलियम जोंस एक अंग्रेज़ प्राच्यविद्, भाषाविद् और न्यायविद् थे, जिन्हें भारत में प्राचीन संस्कृत ग्रंथों के अध्ययन और अनुवाद के लिए जाना जाता है। उनका जन्म 1746 में हुआ और उन्होंने संस्कृत, अरबी, फ़ारसी, हिंदी सहित कई भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया। उन्होंने 1784 में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना की, जिसने भारतीय इतिहास, संस्कृति और भाषा पर शोध को नई दिशा दी। वे ऋग्वेद, मनुस्मृति और कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम जैसे ग्रंथों का अंग्रेज़ी अनुवाद करने वाले पहले विद्वान थे। 1794 में उनका निधन हुआ।

17 अप्रैल को मनाए जाने वाले महत्त्वपूर्ण अवसरों और उत्सवों की जानकारी दी गई है 

1. विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस (World Hemophilia Day)
हर वर्ष 17 अप्रैल को विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस मनाया जाता है। यह दिन रक्त संबंधित बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है, विशेषकर हीमोफ़ीलिया जैसी आनुवांशिक बीमारी के संदर्भ में, जिसमें रक्त आसानी से थमता नहीं है। इस दिन का आयोजन "वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया" द्वारा किया जाता है, और यह तारीख संगठन के संस्थापक फ्रैंक श्नाबेल के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में चुनी गई है। इस दिन विभिन्न देशों में रक्त विकारों से जुड़ी जागरूकता रैलियाँ, शिविर और शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।


2. फ़ायर सर्विस सप्ताह (Fire Service Week)
भारत में हर वर्ष 14 से 20 अप्रैल के बीच "फ़ायर सर्विस सप्ताह" मनाया जाता है, जिसमें 17 अप्रैल का दिन विशेष महत्व रखता है। यह दिन 1944 में बॉम्बे डॉक में हुई भयंकर आगजनी और विस्फोट में मारे गए फायरमैनों की स्मृति में मनाया जाता है। इस सप्ताह का उद्देश्य आग से सुरक्षा, बचाव और अग्निशमन सेवाओं के महत्व के बारे में जनजागरूकता फैलाना होता है। देश भर के अग्निशमन विभागों में इस सप्ताह प्रशिक्षण, मॉक ड्रिल, परेड और आग से बचाव के उपायों की जानकारी देने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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