अमेरिका-रूस के संबंधों में सुधार पर भारत की भी नजर

अमेरिका-रूस के संबंधों में सुधार पर भारत की भी नजर, India also has an eye on improving US Russia relations,

Mar 4, 2025 - 06:36
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अमेरिका-रूस के संबंधों में सुधार पर भारत की भी नजर

अमेरिका-रूस के संबंधों में सुधार पर भारत की भी नजर   

रूस से कच्चे तेल और गैस खरीदने की राह की अड़चन होगी दूर, रूस से एंटी मिसाइल सिस्टम एस-400 की आपूर्ति की बाधाएं भी हो सकती हैं समाप्त

डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनते ही जिस तरह से रूस और अमेरिका के रिश्तों में बड़े बदलाव आए हैं, उस पर भारत ने कोई सार्वजनिक बयान न देते हुए कूटनीतिक चुप्पी का रास्ता अख्तियार किया है। लेकिन, जिस तरह से हालात बन रहे हैं, उससे साफ है कि नए वैश्विक माहौल खास तौर पर अमेरिका व रूस के संबंधों में सुधार का भारत को फायदा होगा। भारत को उम्मीद है कि अब रूस से कच्चे तेल या गैस की खरीद करने के लिए उस पर अमेरिका व दूसरे यूरोपीय देशों का दबाव कम होगा। साथ ही रूस से जमीन से हवा में मार करने वाली एंटी मिसाइल सिस्टम एस-400 की आपूर्ति भी बहाल हो सकेगी। अमेरिकी रुख की वजह से रूस से भारत को एस-400 की आपूर्ति पर भी असर पड़ा है। भारत ने 2014 में रूस से एस-400 के चार सिस्टम खरीदने के लिए 5.34 अरब डालर की खरीद का  समझौता किया था। अभी तक तीन सिस्टम की आपूर्ति हो चुकी है।


यही नहीं यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से रक्षा उपकरणों की आपूर्ति भी प्रभावित होने लगी है। इस समस्या के भी दूर होने की संभावना है। इस महीने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के भारत आने की उम्मीद है, तब दोनों देशों के बीच नए वैश्विक परिवेश पर वार्ता होगी।


पेट्रोलियम उद्योग के सूत्रों ने बताया है कि अमेरिकी चुनाव की अनिश्चितता को देखते हुए भारतीय तेल कंपनियों ने नवंबर, 2024 के बाद से रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति कम करनी शुरू कर दी थी। फरवरी, 2025 में भारत ने रूस से रोजाना 14.8 लाख बैरल तेल की खरीद की है जो जनवरी, 2025 के मुकाबले 11 प्रतिशत कम है। रूस से किसी एक महीन में भारत ने पिछले दो वर्षों की सबसे कम खरीद फरवरी माह में ही की है। वजह यह है कि भारतीय कंपनियां अमेरिकी प्रतिबंध बढ़ने की आशंका से कोई नया सौदा नहीं कर रही हैं। यह स्थिति बदल सकती है, क्योंकि अमेरिका की ट्रंप सरकार यूक्रेन विवाद पर पुरानी नीति को बदलते हुए रूस के साथ शांति समझौता करने के लिए प्रयासरत है। दोनों देशों की सरकारों के बीच वार्ता की शुरुआत हो चुकी है। जल्द ही राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की भी संभावना है। जो भी शांति समझौता होगा, उसमें रूस के ऊर्जा कारोबार पर लगे प्रतिबंधों को भी हटाए जाने की उम्मीद है। 

अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव के बाद भी भारत ने रूस बनाकर रखे हैं अपने संबंध
यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों के बेहद कड़े दबाव के बावजूद भारत ने रूस के साथ अपने रिश्तों को लेकर कोई समझौता नहीं किया। रूस भारत के लिए कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाला एक प्रमुख देश बन गया है। जब अधिकांश देश प्रतिबंधों की वजह से रूस से तेल नहीं खरीद रहे थे, तब भारत ने रूस से खूब पेट्रोलियम उत्पादों की खरीदारी की। 2024 में पीएम मोदी ने दो बार रूस की यात्रा की। इस साल रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन रूस-भारत शीर्ष सम्मेलन में हिस्सा लेने नई दिल्ली आने वाले हैं। फरवरी, 2025 के मध्य में विदेश मंत्री लावरोव के नई दिल्ली आने की संभावना है।

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