भारत-चीन संबंध: 75% विवाद सुलझे, लेकिन सीमा पर चीनी सेना की तैनाती अभी भी चुनौती - एस. जयशंकर

विदेश मंत्री S. Jaishankar ने हाल ही में कहा कि Bharat और China के बीच 75% विवादों का समाधान हो चुका है, लेकिन बॉर्डर पर चीनी सेना की तैनाती अभी भी एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है और स्थिति को सामान्य करने के प्रयास किए जा रहे हैं। Jaishankar ने आशा जताई कि विवादों के समाधान के बाद भारत-चीन संबंध फिर से सामान्य हो सकते हैं।

Sep 14, 2024 - 19:29
Sep 14, 2024 - 19:34
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भारत-चीन संबंध: 75% विवाद सुलझे, लेकिन सीमा पर चीनी सेना की तैनाती अभी भी चुनौती - एस. जयशंकर

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक लंबे समय से चल रहा मुद्दा है, जिसने दोनों देशों के रिश्तों पर गहरा प्रभाव डाला है। हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मुद्दे पर कुछ अहम जानकारियां साझा कीं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच 75% विवादों का समाधान हो चुका है, लेकिन सीमा पर चीनी सेना की मौजूदगी अभी भी एक बड़ा मसला बना हुआ है।

बातचीत के ज़रिए समाधान की कोशिशें

जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच बातचीत का सिलसिला लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष स्थिति को सामान्य बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, हालांकि सीमा पर चीनी सेना की भारी तैनाती की वजह से स्थितियां पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत-चीन संबंधों में सुधार तभी आ सकता है जब सीमा विवाद पूरी तरह हल हो जाए और दोनों देशों के बीच विश्वास का वातावरण बने।

गलवान घटना के बाद तनाव

2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से भारत और चीन के संबंधों में तनाव बना हुआ है। इस संघर्ष में दोनों देशों के सैनिकों की जानें गईं, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच कई उच्च-स्तरीय सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं हुईं हैं। लेकिन सीमा पर चीनी सेना की तैनाती और भारत की सुरक्षा चिंताओं के चलते हालात में बड़ा सुधार नहीं हो पाया है।

समाधान की दिशा में कदम

जयशंकर ने अपने बयान में यह भी कहा कि भारत अपनी सीमा की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर बातचीत और वार्ताओं के माध्यम से बाकी विवादों का समाधान हो जाता है, तो भारत-चीन संबंधों में फिर से स्थिरता आ सकती है। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए चीन को अपनी सेना की तैनाती को कम करना होगा, जिससे दोनों देशों के बीच भरोसे का माहौल बने और व्यापारिक और आर्थिक रिश्तों में फिर से तेजी आ सके।

भविष्य की दिशा

भारत और चीन दोनों ही एशिया की प्रमुख शक्तियां हैं, और इनके आपसी संबंध न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण हैं। जयशंकर के अनुसार, बातचीत और कूटनीति के ज़रिए ही विवादों का समाधान संभव है, और दोनों देशों को इस दिशा में लगातार प्रयास करते रहना चाहिए। भारत अपनी सुरक्षा चिंताओं से समझौता नहीं करेगा, लेकिन वह भी चाहता है कि सीमा विवाद के समाधान के बाद दोनों देशों के बीच फिर से सामान्य संबंध स्थापित हो सकें।

इस बयान के बाद यह साफ़ है कि भारत-चीन संबंधों में सुधार की गुंजाइश है, बशर्ते दोनों देश सहयोग और बातचीत के माध्यम से सभी विवादों का हल निकालने के लिए प्रतिबद्ध रहें।

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष का विषय है, जिसका मुख्य कारण दोनों देशों के बीच स्पष्ट रूप से निर्धारित सीमाओं की कमी है। यह विवाद विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों में स्थित है, जहाँ दोनों देशों की सीमा मिलती है। मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में यह विवाद देखा जाता है:

1. अक्साई चिन (Aksai Chin)

  • स्थान: अक्साई चिन क्षेत्र लद्दाख के उत्तर-पूर्व में स्थित है।
  • विवाद: भारत इसे जम्मू और कश्मीर का हिस्सा मानता है, जबकि चीन इसे शिनजियांग (Xinjiang) प्रांत का हिस्सा मानता है।
  • स्थिति: 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद यह क्षेत्र चीन के नियंत्रण में आ गया। भारत इसे अपना क्षेत्र मानते हुए चीन के कब्जे को अवैध मानता है।

2. अरुणाचल प्रदेश

  • स्थान: यह उत्तर-पूर्वी भारत का एक राज्य है।
  • विवाद: चीन अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है और इसपर दावा करता है। जबकि भारत पूरे अरुणाचल प्रदेश को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है।
  • स्थिति: अरुणाचल प्रदेश भारतीय प्रशासन के तहत है, लेकिन चीन इसपर अपना दावा लगातार दोहराता रहता है।

3. सिक्किम और अन्य क्षेत्र

  • स्थान: सिक्किम के नाथू ला और डोकलाम क्षेत्र में भी सीमा विवाद होते रहते हैं।
  • विवाद: 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान, भारत और चीन की सेनाओं के बीच टकराव हुआ था, जहाँ भूटान ने भी भाग लिया था क्योंकि यह क्षेत्र भूटान और चीन के बीच भी विवादित है।
  • स्थिति: यह विवाद हल होने के बाद भी तनावपूर्ण बना रहता है और दोनों देशों के बीच यहां सैन्य गतिविधियां होती रहती हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का इतिहास 1950 के दशक से जुड़ा है जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। उस समय भारत ने तिब्बत के साथ अपनी ऐतिहासिक सीमाओं को मान्यता दी थी, लेकिन चीन ने इसे अस्वीकार कर दिया। 1962 में भारत और चीन के बीच एक युद्ध हुआ, जिसमें भारत को हार का सामना करना पड़ा और इसके परिणामस्वरूप अक्साई चिन क्षेत्र पर चीन का कब्जा हो गया।

हालिया घटनाएँ

हाल के वर्षों में, लद्दाख के गलवान घाटी में 2020 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें दोनों पक्षों के कई सैनिक हताहत हुए। इसके बाद से दोनों देशों के बीच वार्ताएँ जारी हैं, लेकिन सीमा पर तनाव बना हुआ है। दोनों देशों ने वहां भारी संख्या में सैनिक तैनात कर रखे हैं और सीमा पर कई बार मामूली झड़पें भी होती रहती हैं।

समाधान के प्रयास

दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए विभिन्न स्तरों पर कूटनीतिक और सैन्य वार्ताएँ होती रही हैं। दोनों देशों ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए कई समझौते भी किए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।

यह विवाद एशिया की राजनीति और सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों देश एशिया की दो सबसे बड़ी महाशक्तियाँ हैं और इस विवाद का असर दोनों देशों के आपसी संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ता है।

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