संभल जिले का इतिहास

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Dec 10, 2024 - 18:35
Dec 10, 2024 - 19:04
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संभल जिले का इतिहास

संभल जिले का इतिहास

उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित सम्भल जिला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। वर्तमान में यह जिला अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक घटनाओं और धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है। सम्भल का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक विभिन्न सभ्यताओं, राजवंशों और सांस्कृतिक परिवर्तनों का साक्षी रहा है।

प्राचीन काल

संभल का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि यह क्षेत्र महाभारत काल में अस्तित्व में था। सम्भल को 'श्रृंगवेरपुर' के नाम से भी जाना जाता था, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहाँ से गंगा के किनारे की सभ्यता का विकास हुआ।

मध्यकालीन इतिहास

मध्यकाल में सम्भल का महत्व तब बढ़ा जब इसे दिल्ली सल्तनत और मुगलों के शासनकाल में प्रमुख प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाया गया। सम्भल की विशेष पहचान तब बनी जब बाबर ने इसे अपने साम्राज्य के एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में चुना। सम्राट अकबर ने सम्भल को अपने सुभा (प्रांत) में शामिल किया।

संभल का यह भी गौरवशाली इतिहास है कि यहाँ विभिन्न संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है। यह क्षेत्र हिंदू, मुस्लिम, और अन्य समुदायों के बीच सांस्कृतिक मेलजोल का प्रतीक है।

आधुनिक काल

ब्रिटिश काल में सम्भल स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। यहाँ के कई क्रांतिकारियों ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया। स्वतंत्रता के बाद सम्भल का विकास तेजी से हुआ और यह जिला अपने व्यापार और हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध हुआ।

संस्कृति और विरासत

संभल अपने धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। यहाँ की प्रमुख धार्मिक धरोहरों में शिव मंदिर, जामा मस्जिद और कंकाली देवी मंदिर शामिल हैं। सम्भल की भूमि पर कई सूफी संतों ने भी निवास किया, जिससे यहाँ सूफी संस्कृति का प्रभाव पड़ा।

संभल का वर्तमान

1997 में इसे मुरादाबाद जिले से अलग कर एक नया जिला बनाया गया था। 2011 में इसे फिर से सम्भल जिले के रूप में नामित किया गया। आज सम्भल कृषि, हस्तशिल्प और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी एक विशेष पहचान रखता है।

संभल का इतिहास उसकी विविधता और समृद्धि को दर्शाता है। यह जिला न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक समरसता के लिए भी जाना जाता है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,