क्या ताजमहल और लाल किला को भी वक्फ प्रापर्टी घोषित कर दें
1904 के तहत तीनों स्मारक विधिवत अधिसूचित हैं। इसी मामले में एएसआइ ने स्पष्ट आदेश की प्रार्थना की थी, जिस पर कोर्ट ने मंगलवार को दोनों पक्षों के तर्क सुने और कहा कि यह वक्फ नहीं, सरकार की संपत्ति है।
क्या ताजमहल और लाल किला को भी वक्फ प्रापर्टी घोषित कर दें
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने मुगल बादशाह शाहजहां की पुत्रवधू और शाह शुजा की पत्नी बिलकिस के बुरहानपुर स्थित मकबरे समेत तीन ऐतिहासिक इमारतों पर मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा लगाए गए अतिक्रमण के आरोप के मामले में सुनवाई करते हुए तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि क्या ताजमहल और लाल किला सहित देश की सारी संपत्ति को वक्फ प्रापर्टी घोषित कर दें? जिस संपत्ति पर अतिक्रमण का आरोप लगाया जा रहा है, वह वक्फ की संपत्ति ही है, इसका दस्तावेजी प्रमाण क्या है, यदि है तो पेश करें। यह सुनकर वक्फ बोर्ड के वकील निरुत्तर हो गए।
मप्र के बुरहानपुर में बेगम बिलकिस के मकबरे समेत तीन इमारतों का मामला, वक्फ ने अपनी संपत्ति बताते एएसआइ पर लगाया था अतिक्रमण का आरोप कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के वकील से भी कहा कि एएसआइ क्या कर रहा है? ऐसे तो हर दूसरी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति निरूपित कर अतिक्रमण हटवाने की याचिका दायर की जाती रहेगी। निजी जमीन या सरकारी जमीन का विवाद तो समझ में आता है, किंतु वक्फ की प्रापर्टी बोलकर दावा करने का रवैया समझ के परे है। यह शोध का विषय बन गया है। इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति अहलूवालिया ने साफ किया कि यदि कोई संपत्ति ऐतिहासिक स्मारक के रूप में अधिसूचित है तो उसे वक्फ की संपत्ति साबित करने की कवायद बेमानी है। वह सरकार के संस्कृति विभाग के अंतर्गत धरोहर की श्रेणी में आती है।
वक्फ बोर्ड ने एएसआइ का आधिपत्य हटाने के लिए दायर की थी याचिका
बता दें कि हाई कोर्ट ने 31 जुलाई को इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि बुरहानपुर स्थित बिलकिस बेगम का मकबरा, फारुकी शासक नादिर शाह का मकबरा व फारुकी शासनकाल में बादशाह आदिल शाह फारुकी की बेगम रुकैया द्वारा बनाई मस्जिद (बीबी की मस्जिद) वक्फ की नहीं, सरकार की संपत्ति है। वक्फ बोर्ड ने इसे अपनी संपत्ति बताते हुए एएसआइ का आधिपत्य हटाने के लिए याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि वक्फ की अधिसूचना इन संपत्तियों पर केंद्र का स्वामित्व नहीं छीनेगी। यह आदेश कोर्ट ने एएसआइ की उस दलील पर दिया था, जिसमें कहा गया था कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम- 1904 के तहत तीनों स्मारक विधिवत अधिसूचित हैं। इसी मामले में एएसआइ ने स्पष्ट आदेश की प्रार्थना की थी, जिस पर कोर्ट ने मंगलवार को दोनों पक्षों के तर्क सुने और कहा कि यह वक्फ नहीं, सरकार की संपत्ति है।
सूफी सज्जादानशीं परिषद ने की अलग दरगाह बोर्ड की मांग
नई दिल्ली: केंद्र द्वारा वक्फ कानून में संशोधन के निर्णय य का अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशी परिषद ने समर्थन करते हुए पृथक दरगाह बोर्ड की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल ने एक दिन पहले एनएसए अजीत डोभाल और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू से मुलाकात की थी।
हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी मप्र के बुरहानपुर में बेगम बिलकिस के मकबरे समेत तीन इमारतों का मामला, वक्फ ने अपनी संपत्ति बताते एएसआइ पर लगाया था अतिक्रमण का आरोप
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