FIITJEE की बंदी ने बढ़ाई JEE और NEET छात्रों की मुश्किलें: रिफंड पर सस्पेंस, भरोसे पर संकट

"FIITJEE coaching center closures across India have left JEE and NEET aspirants in distress. Students and parents protest over refund delays, raising serious concerns about transparency and trust. Read the full report on the ongoing crisis FIITJEE closure has increased the problems of JEE and NEET students suspense over refund crisis of trust, FIITJEE की बंदी ने बढ़ाई JEE और NEET छात्रों की मुश्किलें: रिफंड पर सस्पेंस, भरोसे पर संकट

FIITJEE की बंदी ने बढ़ाई JEE और NEET छात्रों की मुश्किलें: रिफंड पर सस्पेंस, भरोसे पर संकट

FIITJEE की बंदी ने बढ़ाई JEE और NEET छात्रों की मुश्किलें: रिफंड पर सस्पेंस, भरोसे पर संकट

भारत में इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं जैसे JEE और NEET न सिर्फ छात्रों के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए जीवन का सबसे निर्णायक मोड़ होती हैं। इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्र वर्षों तक कोचिंग संस्थानों पर निर्भर रहते हैं। लेकिन जब एक प्रतिष्ठित संस्थान जैसे FIITJEE के कई सेंटर्स अचानक बंद हो जाते हैं, तो यह सिर्फ एक शैक्षणिक संकट नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और आर्थिक झटका भी बन जाता है।

कोचिंग सेंटर बंद, सपनों पर ब्रेक

जनवरी 2025 में यह खबर सामने आई कि FIITJEE ने दिल्ली-एनसीआर, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत कई स्थानों पर अपने सेंटर बंद कर दिए हैं। नोएडा सेक्टर-62 स्थित सेंटर, जो कभी छात्रों से गुलजार रहता था, अब सुनसान हो गया। यह वही सेंटर है जहां सैकड़ों छात्र अपने सपनों की उड़ान भरने आए थे, लेकिन अचानक मिले इस झटके से वे और उनके अभिभावक हतप्रभ रह गए।

कक्षाएं फिर से शुरू, लेकिन विश्वास की डोर टूटी

11 अप्रैल से नोएडा सेंटर में फिर से लगभग 150 छात्रों के साथ कक्षाएं शुरू हो गई हैं। लेकिन फैकल्टी पूरी तरह नई है। पहले जिन शिक्षकों पर छात्रों और अभिभावकों को भरोसा था, वे अब FIITJEE से जा चुके हैं। कई अभिभावकों का कहना है कि वे अब अपने बच्चों को इस संस्थान में दोबारा नहीं भेजना चाहते।

रिफंड पर सस्पेंस, प्रदर्शन कर रहे अभिभावक

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, फीस का रिफंड न मिलने के कारण कई अभिभावकों ने FIITJEE के खिलाफ प्रदर्शन किया। कुछ ने तो एफआईआर भी दर्ज करवाई है। अभिभावक A.K. झा और बीरेंद्र बिष्ट जैसे लोगों ने बताया कि उनके बच्चों ने FIITJEE में दाखिला लिया था, लेकिन सेंटर बंद होने के बाद उन्हें दोबारा दूसरी कोचिंग में एडमिशन लेना पड़ा। नतीजा—दोहरी फीस, भारी आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव।

कंपनी की वित्तीय हालत और सामूहिक इस्तीफे

FIITJEE देशभर में 73 स्टडी सेंटर्स चलाता है, लेकिन वित्तीय संकट की वजह से कई केंद्रों के कर्मचारी एक साथ इस्तीफा दे चुके हैं। इससे न केवल शिक्षण कार्य प्रभावित हुआ, बल्कि छात्रों के भरोसे की नींव भी हिल गई। छात्रों को परीक्षा के करीब ऐसे झटके का सामना करना पड़ा, जब उन्हें सबसे ज़्यादा मार्गदर्शन की ज़रूरत थी।

भविष्य की राह: क्या FIITJEE फिर से भरोसा जीत पाएगा?

नोएडा की तरह अब दक्षिण दिल्ली के कालू सराय जैसे अन्य केंद्रों को फिर से खोलने की बात हो रही है। नए शिक्षकों की भर्ती, कक्षाओं की दोबारा शुरुआत—ये सब प्रयास संगठन की ओर से हो रहे हैं, लेकिन रिफंड और पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर चुप्पी अब भी बनी हुई है। छात्रों और अभिभावकों को अब भी कोई स्पष्ट समयरेखा या ठोस योजना नहीं दी गई है।

शिक्षा व्यवस्था पर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या निजी कोचिंग संस्थानों को नियंत्रित करने के लिए कोई सख्त नियामक तंत्र नहीं होना चाहिए? लाखों की फीस लेकर जब संस्थान बंद हो जाते हैं या सेवाएं देने में असफल रहते हैं, तो उसका हर्जाना कौन देगा?

निष्कर्ष: जरूरी है विश्वास की पुनर्स्थापना

JEE और NEET जैसे एग्जाम के लिए कोचिंग सिर्फ ज्ञान देने का माध्यम नहीं है, यह एक भावना, एक उम्मीद और एक भरोसा होता है। FIITJEE जैसे बड़े नाम से ऐसे संकट की उम्मीद किसी ने नहीं की थी। संस्थान को चाहिए कि वह छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पारदर्शिता के साथ सभी मुद्दों का समाधान करे, खासकर रिफंड जैसे संवेदनशील विषय पर। वरना, यह सिर्फ FIITJEE ही नहीं, बल्कि पूरे कोचिंग सिस्टम की साख पर सवाल खड़ा करेगा।