लोक सेवक की कार्रवाई के विरोध का फेसबुक लाइव करना जुर्म नहीं

जब पुलिस ने ट्रैफिक ड्यूटी के दौरान उससे वाहन के दस्तावेज दिखाने के लिए कहा। पुलिस ने प्रार्थी पर लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालने के आरोप लगाते हुए भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 186 के तहत मामला दर्ज किया था।

Jul 4, 2024 - 20:55
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लोक सेवक की कार्रवाई के विरोध का फेसबुक लाइव करना जुर्म नहीं 

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने स्पष्ट की कानूनी स्थिति, कार्रवाई का फेसबुक लाइव करने पर पुलिस ने दर्ज किया था केस 

किसी सरकारी कर्मचारी की कार्रवाई का विरोध करते हुए फेसबुक पर लाइव आकर सीधा प्रसारण करना अपराध नहीं है। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, किसी लोक सेवक को उसके कार्यों या कर्तव्यों के निर्वहन में परेशान किए बिना फेसबुक लाइव जैसा निष्क्रिय आचरण दिखाना, भारतीय दंड संहिता की धारा 186 के तहत अपराध नहीं है। इस धारा के तहत किसी लोक सेवक को स्वैच्छिक रूप से उसके कर्तव्य से बाधित करना अपराध माना गया है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने प्रार्थी सीता राम शर्मा की ओर से दायर याचिका का निपटारा करते यह कानूनी स्थिति स्पष्ट की।

 
प्रार्थी के अनुसार वह उस समय फेसबुक पर लाइव हुआ था, जब पुलिस ने ट्रैफिक ड्यूटी के दौरान उससे वाहन के दस्तावेज दिखाने के लिए कहा। पुलिस ने प्रार्थी पर लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालने के आरोप लगाते हुए भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 186 के तहत मामला दर्ज किया था। प्रार्थी ने पुलिस की इस कार्रवाई को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मामले में आरोप यह है कि वह फेसबुक पर लाइव हुआ और कुछ टिप्पणियां कीं, लेकिन निश्चित रूप से उसके इस तरह के कृत्य को लोक सेवक के कामकाज में हस्तक्षेप करना नहीं माना जा सकता।

24 अगस्त 2019 को पुलिस ने इस  मामले में दर्ज किया था मुकदमा 

24 अगस्त 2019 को पुलिस ने याचिकाकर्ता को कथित तौर पर सीट बेल्ट नहीं पहनने को लेकर वाहन रोकने के लिए कहा था, लेकिन उसने वाहन नहीं रोका। बाद में पुलिस ने उसके वाहन को दूसरी जगह खड़ा पाया और उससे पूछा कि वह क्यों नहीं रुका। पुलिस ने उससे वाहन के कागजात दिखाने को कहा और चालान काटने लगी। पुलिस के अनुसार, याचिकाकर्ता ने इस दौरान दुर्व्यवहार किया और फेसबुक पर लाइव होकर आरोप लगाया कि उसके खड़े वाहन का बिना किसी कारण के चालान किया जा रहा है। पुलिस ने ड्यूटी में बाधा डालने का आरोप 

लगाते हुए मामला दर्ज कर याचिकाकर्ता पर आपराधिक कार्रवाई शुरू की। इसे चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि उसने पुलिस के साथ न तो दुर्व्यवहार किया और न ही कर्तव्य निभाने से उन्हें रोका। सरकार ने तर्क दिया था कि सरकारी कर्मचारी का वीडियो बनाने का कार्य ही बाधा उत्पन्न करने जैसा है। कोर्ट ने दलीलों का विश्लेषण करते हुए कहा, रिकार्ड से साबित होता है कि याचिकाकर्ता ने फेसबुक लाइव होकर सिर्फ यह बताने का प्रयास किया कि उसे पुलिस अनावश्यक रूप से परेशान कर रही है, इसे अपराध नहीं कहा जा सकता।

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