116 देशों के राजनयिक 1 फरवरी को महाकुंभ में करेंगे भागीदारी

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Jan 31, 2025 - 06:36
Jan 31, 2025 - 06:37
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116 देशों के राजनयिक 1 फरवरी को महाकुंभ में करेंगे भागीदारी

116 देशों के राजनयिक 1 फरवरी को महाकुंभ में करेंगे भागीदारी

कल आएंगे रूस, अमेरिका, जर्मनी समेत 116 देशों के राजनयिक


जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर पूरी दुनिया के आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभरे महाकुंभ में शनिवार एक फरवरी को विश्व के 116 देशों के राजनयिकों का आगमन होगा। राजनयिक पहले अरैला तट पर अपने देश का ध्वज फहराएंगे, फिर संगम में डुबकी लगाएंगे। इन राजनयिकों में रूस और यूक्रेन के राजदूत भी होंगे तो अमेरिका और बांग्लादेश के भी राजनयिक। यह वैश्विक आयोजन गंगा किनारे भिन्न-भिन्न संस्कृतियों और विचारधाराओं के बीच अनोखे सामंजस्य का संदेश देगा।


मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ही मुख्य सचिव मनोज कुमार को इस संबंध में पत्र लिखा था। इसके अनुरूप सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सभी राजनयिक विमान से दिल्ली से बमरौली एयरपोर्ट आएंगे, तत्पश्चात अरैल पहुंचेंगे। संगम में डुबकी के बाद बड़े हनुमानजी और अक्षयवट का दर्शन भी राजनयिकों के कार्यक्रम में है।


 महाकुंभ नगर विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों में से एक महाकुंभ का हिस्सा बनने के लिए इस वर्ष 1 फरवरी को 116 देशों के राजनयिक महाकुंभ नगर में पहुंचेंगे। इन राजनयिकों में रूस, अमेरिका, जर्मनी, यूक्रेन, बांग्लादेश और अन्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस आयोजन का उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों और विचारधाराओं के बीच अनोखे सामंजस्य का संदेश देना है, जो पूरी दुनिया को एकता और शांति का संदेश प्रदान करेगा।

राजनयिकों का कार्यक्रम अरैला तट से शुरू होगा, जहां वे अपने-अपने देशों का ध्वज फहराएंगे। इसके बाद, वे संगम में डुबकी लगाएंगे, जो महाकुंभ के पवित्र और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। यह अवसर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय रिश्तों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी प्रतीक बनेगा।

मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ही इस कार्यक्रम को लेकर मुख्य सचिव मनोज कुमार को एक पत्र भेजा था। पत्र के बाद से ही सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। यह आयोजन महाकुंभ के महत्त्व को और भी बढ़ाएगा, खासकर उस समय जब दुनिया के विभिन्न हिस्सों के राजनयिक इस धर्मिक और सांस्कृतिक मेलजोल का हिस्सा बनेंगे।

राजनयिकों के कार्यक्रम में संगम में डुबकी के बाद, वे महाकुंभ क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थल, जैसे बड़े हनुमानजी और अक्षयवट का दर्शन भी करेंगे। ये स्थल महाकुंभ की धार्मिक महिमा को दर्शाते हैं और इनकी महत्ता न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मानी जाती है।

महाकुंभ में राजनयिकों का आगमन एक ऐतिहासिक क्षण होगा, जो भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति सम्मान और दुनिया भर के देशों के बीच संबंधों को और सशक्त बनाएगा। इसके अलावा, यह आयोजन महाकुंभ के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करेगा, जिस पर विश्व के विभिन्न हिस्सों से लोग एकजुट होंगे और साझा अनुभव प्राप्त करेंगे।

संगम की पवित्र जलधारा में डुबकी लगाना और उन ऐतिहासिक स्थलों का दर्शन करना, यह न केवल आध्यात्मिकता की ओर एक कदम है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर के प्रति गहरी श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक भी है।

यह आयोजन दुनिया भर में विभिन्न संस्कृतियों और देशों के बीच एकता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में सहायक साबित होगा।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,