देव भूमि उत्तराखंड की राजधानी भी मजार जिहाद के षड्यंत्र

देहरादून: देव भूमि उत्तराखंड की राजधानी भी मजार जिहाद के षड्यंत्र के घेरे में है। देहरादून शहर में ही 53 मजारें देखने में  आयी हैं, सवाल ये है कि ऐसे कौन से फकीर या सूफी थे जो देहरादून की सड़कों पर गली मोहल्लों में या फिर बाग बगीचे में दफनाए गए? अब इन पर हरी […]

Nov 14, 2024 - 09:53
Nov 14, 2024 - 21:22
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देव भूमि उत्तराखंड की राजधानी भी मजार जिहाद के षड्यंत्र

देहरादून: देव भूमि उत्तराखंड की राजधानी भी मजार जिहाद के षड्यंत्र के घेरे में है। देहरादून शहर में ही 53 मजारें देखने में  आयी हैं, सवाल ये है कि ऐसे कौन से फकीर या सूफी थे जो देहरादून की सड़कों पर गली मोहल्लों में या फिर बाग बगीचे में दफनाए गए? अब इन पर हरी नीली चादरें बिछा कर, धूप, अगरबत्ती जलाई जा रही है।

उत्तराखंड में मजार जिहाद, लैंड जिहाद की खबरें सुर्खियों में हैं, देव भूमि में ये पीर फकीर की नहीं बल्कि कालू, भूरे शाह जैसे नाम की फ्रेंचाइजी मजारें है, जो कि सरकारी जमीनों पर कब्जे कर एक बिजनेस माड्यूल के लिए बनाई गई हैं और यहां बैठे मुस्लिम खादिम, इन मजारों के जरिए अपना धंधा चला रहे हैं। पिछले माहों में धामी सरकार ने वन भूमि और राजस्व भूमि पर बनी मजार, लैंड जिहाद के खिलाफ अभियान चलाया था। दिलचस्प बात ये है कि इन मजारों के भीतर कोई भी मानव या अन्य अवशेष नहीं निकला, जो कि मजार लैंड जिहाद के षड्यंत्र को साबित करता है कि ये सिर्फ भूमि कब्जाने का अभियान है।
अब बात करें देहरादून की तो नगर निगम क्षेत्र में 53 मजारों का पता चला है, जिसे प्रशासन ने चिन्हित किया है। इनमें कुछ मजारें तो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर है।

उल्लेखनीय एक मजार तो दून अस्पताल के भीतर बनी हुई है, एक मजार भारतीय वन सर्वेक्षण परिसर में बनी हुई है, एक मजार एमडीडीए घंटाघर परिसर के भीतर बनी हुई है। एक मजार नए सेल टैक्स दफ्तर के पास बनी हुई है। रेलवे स्टेशन के पास, आईएसबीटी के पास बनी मजारें आखिर कैसे और क्यों बना दी गई? कुछ मजारें तो ऐसी है जिनकी बेकद्री, गंदगी की वजह से भी साफ देखी जा सकती है। इस बारे में राजधानी देहरादून का शासन प्रशासन आखिर क्यों इन मामलों की अनदेखी करता रहा? गौरतलब बात ये भी है कि इन मजारों में हिंदू अंधविश्वासी लोग ज्यादा जाते हैं और मजारों के बाहर बैठे मुस्लिम धूप अगरबत्ती गोली प्रसाद चादर का धंधा करते हैं।

माना ये जाता है कि मुस्लिम समुदाय केवल खुदा के आगे सजदा करता है। खास बात ये भी हैं कि ये मजारें पहले तो सरकारी जमीन पर कब्जा कर बनाई जाती हैं फिर इन्हें योजनाबद्ध तरीके से वक्फ बोर्ड में दर्ज करवा दिया जाता है। ये बात भी सामने आई है कि पूर्व में हिंदुत्व निष्ठ संगठन इन मामलों पर सरकारों को लगातार, धामी सरकार को ज्ञापन भी देते रहे कि इन मजारों के जरिए अंधविश्वास का बाजार पनप रहा है और हिंदू समाज के लोग यहां ठगे जा रहे हैं। इन फर्जी मजारों को लेकर हिंदूवादी नेता राधा सेमवाल धोनी ने लगातार अभियान छेड़ा हुआ है वे कहती हैं ये मजार जिहाद है और एक षड्यंत्र के तहत ऐसा हो रहा है जिसे राज्य की धामी सरकार को रोकना चाहिए।

इसे भी पढ़ें: विश्वविख्यात दून स्कूल में मजार बनाने की अनुमति किसने दी?

उन्होंने कहा कि देहरादून क्षेत्र में औसतन हर पांच सौ मीटर पर एक मजार बना दी गई है, बेशकीमती जमीन इन्होंने कब्जा ली है। वे बताती है कि एक घर में एक हिंदू परिवार ने भी मजार बना कर झाड़ फूंक का धंधा शुरू कर दिया है, जबकि इसके निर्माण के लिए उनके पास डीएम या विकास प्राधिकरण की अनुमति तक नहीं है।

दो मजारें हुई ध्वस्त

दो दिन पहले देहरादून प्रशासन ने विख्यात दून स्कूल की चारदीवारी के भीतर बन रही मजार को ध्वस्त किया है, ये मजार चारदीवारी बनाने वाले ठेकेदार द्वारा बनाई जा रही थी। एक मजार राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रेम नगर के पास प्रशासन ने ध्वस्त की है।

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