मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर योगी का नया फॉर्मूला?

अयोध्या में योगी 81 दिन बाद यानि 1944 घंटे बाद आए हैं...17 मई को जब योगी अयोध्या आए थे....तो 2024 की चुनावी जंग चल रही थी। फैजाबाद सीट हारने के 63 दिन यानी 1512 घंटे बाद योगी फिर अयोध्या आए हैं... इस बार टक्कर मिल्कीपुर सीट पर है। मिल्कीपुर में होने वाले उपचुनाव को लेकर योगी के दिमाग में कौन सा नया फॉर्मूला चल रहा है?

Aug 6, 2024 - 18:05
Aug 7, 2024 - 07:07
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मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर योगी का नया फॉर्मूला?

योगी जब भी अयोध्या आते हैं हनुमानगढ़ी जरूर जाते है... इस बार भी सबसे पहले वहीं पहुंचे... हनुमानगढ़ी से सीधे योगी भगवान राम के मंदिर गए...रामलला के दर्शन किए...पूजा अर्चना की। दो मंदिरों के दर्शन के बाद योगी ने वो किया, जो उनका असली टारगेट था... पहले जिले के अफसरों से मिले.. फिर संगठन की नब्ज टटोली

योगी आदित्यनाथ पिछले 7 साल में करीब 70 बार अयोध्या आ चुके हैं... लेकिन इस बार हालात पिछली बार से अलग हैं....पिछली बार योगी आए थे तब रामलला का मंदिर बन चुका था और सांसद भी बीजेपी का था अब अयोध्या की गद्दी पर रामलला विराजमान हैं... लेकिन  सांसद की कुर्सी पर सपा के अवधेश काबिज हैं... जो अखिलेश के PDA फॉर्मूले के नए पोस्टर ब्वॉय हैं... और पूरी संभावना है कि अगली चुनावी फाइट अवेधश प्रसाद के बेटे और योगी के कैंडिडेट के बीच होगी... 

अभी अयोध्या में दो नैरेटिव चल रहे हैं.. एक नैरेटिव अखिलेश की पार्टी का है... दूसरा नैरेटिव हिंदू आस्था से जुड़े लोगों के बीच चल रहा है... राम मंदिर बनने के बाद बीजेपी की हार और सपा की जीत को अखिलेश अपने ही एंगल से पेश कर रहे हैं... 

अयोध्या में 4 जून के बाद क्या बदला? 

अखिलेश  यादव                         -                         CM योगी आदित्यनाथ

राम के नाम के                                        हिंदू आस्था का मजाक
बावजूद हारी बीजेपी                                       बना रही है सपा

बीजेपी से दूर हुए                       हिंदुओं से गलती हुई, सांसद की
पिछड़े और दलित                    नाराजगी की सजा मोदी को मिली

फैजाबाद की जीत सपा के लिए कितनी बड़ी है ये ऐसे समझिए की पार्टी में जय अखिलेश की जगह जय अवधेश के नारे लग रहे हैं...अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर की सीट छोड़कर संसद पहुंचे हैं...जिसके बाद यहां उपचुनाव होना है....बीजेपी फैजाबाद हारने के बाद हर कीमत पर मिल्कीपुर की सीट जीतना चाहती है...और इसलिए कमान खुद सीएम योगी ने अपने हाथ में ले ली है...


यूपी में 10 सीटों पर बाई इलेक्शन होने वाला है। योगी ने मिल्कीपुर और कटेहरी सीट पर कमल खिलाने की जिम्मेदारी उठाई है। योगी ऐसे उम्मीदवार को टिकट देना चाहते हैं जो मिल्कीपुर सीट के सियासी समीकरण में फिट बैठता हो। अयोध्या की बदली तस्वीर के पीछे योगी का सबसे बड़ा रोल है...योगी ने ना सिर्फ अयोध्या में विकास कार्यों को मंजूरी दी थी...बल्कि उनकी मॉनिटरिंग भी की....अयोध्या के साधु-संत भी मानते हैं कि जो चूक 2024 के लोकसभा चुनाव में हुई...वो उपचुनाव में नहीं होगी।

फैजाबाद सीट पर अवधेश प्रसाद की जीत के पीछे पिछड़ा, दलित और मुस्लिम फैक्टर था...जिसने समाजवादी पार्टी के फेवर में काम किया। लेकिन 4 जून के बाद से अयोध्या में काफी कुछ बदल गया ....PDA का फॉर्मूला कैसे बिखर गया आपको बताएंगे...पहले आपको बताते हैं मिल्कीपुर सीट का सियासी गणित.....

1. फैजाबाद लोकसभा की 5 विधानसभा सीटों में से 1 है मिल्कीपुर।
2. सपा ने 1998 के उप चुनाव में पहली बार मिल्कीपुर सीट जीती थी।
3. लगातार 3 चुनाव जीतने के बाद सपा की ये सीट 2007 में BSP ने छीन ली।
4. 2008 के परिसीमन के बाद मिल्कीपुर सीट SC के लिए आरक्षित कर दी गई।
5. अब तक सोहावल से चुनाव जीत रहे अवधेश प्रसाद 2012 में मिल्कीपुर से विधायक चुने गए।
6. हालाकि 2017 के इलेक्शन में अवधेश प्रसाद को बीजेपी के गोरखनाथ बाबा ने हरा दिया।
7. लेकिन 2022 में अवधेश प्रसाद ने ये सीट एक बार फिर जीत ली।

2024 के लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद की जीत की स्क्रिप्ट मिल्कीपुर से ही लिखी गई। मिल्कीपुर में बीजेपी को 87879 वोट जबकि समाजवादी पार्टी को 95612 वोट मिले थे...यहां से सपा ने करीब 8 हजार वोटों की लीड़ ली....बीजेपी विधानसभा के उपचुनाव में इसी बढ़त को खत्म करना चाहती है। लेकिन बीजेपी के लिए ये आसान नहीं है...क्योंकि मिल्कीपुर का जातीय समीकरण समाजवादी पार्टी को सूट करता है.... मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर करीब 65 हजार यादव वोटर हैं.... इसके बाद पासी 60 हजार, ब्राह्मण 50 हजार, मुस्लिम 35 हजार, ठाकुर 25 हजार, गैर-पासी दलित लगभग 50 हजार हैं...वहीं अन्य जातियां भी करीब 73 हजार हैं।


समाजवादी पार्टी को 65 हजार यादव, 60 हजार पासी और 35 हजार मुस्लिमों वोटरों के समर्थन का भरोसा है....ये आंकड़ा 1 लाख 60 हजार के करीब पहुंच जाता है....वहीं बीजेपी को 50 बजार ब्राह्मण, 25 हजार राजपूत, 50 हजार गैर पासी दलित और अन्य जातियों के 73 हजार वोटों की उम्मीद है....ये नंबर 1 लाख 98 हजार के करीब पहुंचता है। इस उपचुनाव में बीएसपी और चंद्रशेखर की पार्टी आजाद समाज पार्टी भी अपना प्रत्याशी उतार रही हैं...ये जिस तरफ के वोट काटेंगे...उनके लिए जीत की राह मुश्किल हो जायेगी। 


अब आपको बताते हैं कि लोकसभा चुनाव की तुलना में अब फैजाबाद और मिल्कीपुर के हालात क्यों बदल गए हैं...दरअसल समाजवादी पार्टी का PDA फॉर्मूला यहां जबरदस्त हिट रहा था..लेकिन फिलहाल अखिलेश के पिछड़ा, दलित और मुस्लिम कॉम्बिनेशन में अब सेंध लग गई हैं।

अयोध्या में नाबालिग बच्ची के साथ रेप हुआ...आरोपी समाजवादी पार्टी का नेता मोईद खान पर है...मोईद खान सपा सांसद अवधेश प्रसाद का करीबी है...समाजवादी पार्टी यहां पिछड़े यानि P और अल्पसंख्यक यानि A के बीच फंस गई है। मुस्लिम अखिलेश यादव के टेस्टेड वोटर हैं...जबकि गैर यादव ओबीसी का समर्थन सपा के लिए अभी नया-नया है...ऐसे में अखिलेश पीड़िता का समर्थन तो कर रहे हैं लेकिन आरोपियों का विरोध नहीं कर पा रहे है। अखिलेश के DNA टेस्ट की मांग ने PDA फॉर्मूले पर सवाल खड़े कर दिए हैं...बीजेपी इसे महिला सुरक्षा से जोड़ रही है...समाजवादी पार्टी को पिछड़ा विरोधी बता रही है...अखिलेश PDA के P और A में उलझ गए हैं....और इसका इम्पैक्ट मिल्कीपुर विधानसभा के उपचुनाव में जरुर देखने को मिलेगा।

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।