50 लोगों को फर्जी रेप केस में फंसाकर वसूली, IPS समेत 4 पुलिसवालों की शर्मनाक करतूत

चंडीगढ़ की स्पेशल CBI कोर्ट ने मोगा सेक्स स्कैंडल में पंजाब पुलिस के चार पूर्व अधिकारियों को दोषी ठहराया है। देविंदर सिंह गरचा, परमदीप सिंह संधू, रमन कुमार और अमरजीत सिंह को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के आरोप में सजा दी जाएगी। इनमें एक आईपीएस अफसर का भी नाम है।

Mar 30, 2025 - 07:09
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50 लोगों को फर्जी रेप केस में फंसाकर वसूली, IPS समेत 4 पुलिसवालों की शर्मनाक करतूत
चंडीगढ़ : मोहाली की स्पेशल CBI कोर्ट ने मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पंजाब पुलिस के चार पूर्व अधिकारियों को दोषी ठहराया है। स्पेशल जज-II राकेश गुप्ता ने शनिवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने इन अधिकारियों को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के आरोपों में दोषी पाया है। दोषी पाए गए अधिकारियों में कई बड़े नाम शामिल हैं। इनमें देविंदर सिंह गरचा भी हैं, जो उस समय मोगा के SSP थे। वे एक IPS अधिकारी भी हैं।दोषी पाए गए पुलिसवालों में परमदीप सिंह संधू, जो उस समय मोगा के SP (मुख्यालय) थे, भी दोषी पाए गए हैं। रमन कुमार, जो उस समय थाना सिटी, मोगा के SHO थे, और अमरजीत सिंह, इंस्पेक्टर, जो उस समय थाना सिटी, मोगा के SHO थे, भी दोषी ठहराए गए हैं।

कौन- किन धाराओं के तहत दोषी

सीबीआई कोर्ट ने देविंदर सिंह गरचा और पी.एस. संधू को भ्रष्टाचार निवारण (PC) अधिनियम की धारा 13(1)(d) के साथ धारा 13(2) के तहत दोषी पाया है। इसी तरह, रमन कुमार और अमरजीत सिंह को भी PC अधिनियम की इन्हीं धाराओं और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 384 (जबरन वसूली) के तहत दोषी ठहराया गया है। अमरजीत सिंह को अतिरिक्त रूप से धारा 384 के साथ धारा 511 IPC के तहत भी दोषी पाया गया है।

4 अप्रैल को सजा पर फैसला

हालांकि, इस मामले में दो लोगों को राहत मिली है। बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन और सुखराज सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है। CBI की ओर से वकील अनमोल नारंग ने मुकदमा लड़ा। कोर्ट ने सजा का ऐलान 4 अप्रैल को करने का फैसला किया है।

2007 में हाई कोर्ट के आदेश पर हुआ था केस

यह मामला सबसे पहले CBI ने दर्ज किया था। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 11 दिसंबर, 2007 को एक आदेश दिया था। इस आदेश में हाई कोर्ट ने CBI को जांच करने का जिम्मा सौंपा था। कोर्ट को डर था कि राज्य पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर पाएगी। कोर्ट ने कहा था कि पुलिस पर राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव हो सकता है।

इन लोगों पर था आरोप

इसके बाद, CBI ने एक FIR दर्ज की। यह FIR PC अधिनियम, 1988 की धारा 7, 13(2) के साथ 13(1)(d) और IPC की धारा 384, 211 और 120B के तहत दर्ज की गई थी। इस FIR में अमरजीत सिंह, जो उस समय PS सिटी-1, मोगा के SHO थे, और मंजीत कौर और मनप्रीत कौर नाम की दो निजी व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया था।

महिला के साथ मिलकर रची साजिश

जांच में पता चला कि देविंदर सिंह गरचा, परमदीप सिंह संधू, अमरजीत सिंह और रमन कुमार ने बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन और अन्य लोगों के साथ मिलकर गैरकानूनी तरीके से पैसा कमाने की साजिश रची थी। बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन अकाली नेता तोता सिंह के बेटे हैं। उन्होंने झूठी FIR दर्ज की और निर्दोष लोगों को फंसाया। फिर उनसे रिश्वत मांगी ताकि उनका नाम केस से निकाल दिया जाए। इस साजिश में मनप्रीत कौर नाम की एक महिला ने झूठे हलफनामे दिए। मनप्रीत कौर को मामले में पीड़ित और शिकायतकर्ता बताया गया था।

मनप्रीत कौर के खिलाफ चल रहा केस

मुकदमे के दौरान, मनप्रीत कौर को माफ कर दिया गया और उसे सरकारी गवाह बना दिया गया। लेकिन बाद में, वह कोर्ट में अपने बयान से पलट गई। इसलिए, उसके खिलाफ मोहाली की न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में अलग से मुकदमा चलाया जा रहा है। इसके अलावा, रणबीर सिंह उर्फ रानू और करमजीत सिंह बठ नाम के दो आरोपियों ने भी सरकारी गवाह बनना स्वीकार कर लिया। अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में गवाही दी। एक अन्य आरोपी, मंजीत कौर, की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई, जिसके कारण उसके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई।

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