44 की श्वेता तिवारी को पसंद है मुगलों का यह फेवरेट फूड, जिसके दीवाने थे अकबर-औरंगजेब

Shweta Tiwari Favourite Food and its Mughal Connection: आमतौर पर माना जाता है कि मुगलों को मांसाहार खानपान ज्यादा पसंद था, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. मुगलों को भारत में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला ऐसा शाकाहारी फूड भी पसंद था, जिसकी टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी भी दीवानी हैं.

Jul 28, 2025 - 18:19
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44 की श्वेता तिवारी को पसंद है मुगलों का यह फेवरेट फूड, जिसके दीवाने थे अकबर-औरंगजेब
44 की श्वेता तिवारी को पसंद है मुगलों का यह फेवरेट फूड, जिसके दीवाने थे अकबर-औरंगजेब

टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी 44 की उम्र में भी फिट हैं. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपनी फिटनेस और पसंदीदा खानपान का जिक्र किया. उनके पसंदीदा फूड में वो चीज भी शामिल है जो कभी मुगलों का फेवरेट फूड रहा है. इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि अलग-अलग सब्जियों के साथ बनने वाली खिचड़ी उनका पसंदीदा फूड है. उन्हें सूप की तरह बनने वाली खिचड़ी खास पसंद है.

खिचड़ी भारत के सबसे पुराने व्यंजनों में शामिल है. शेफ हरपाल सिंह सोखी कहते हैं, खिचड़ी भारत का सबसे पुराना फूड है, दूसरी शताब्दी से जुड़े प्रमाण इस पर मुहर लगाते हैं.

मुगलों का सबसे पसंदीदा फूड?

शेफ हरपाल सिंह सोखी के मुताबिक, खिचड़ी मुगलों का भी पसंदीदा व्यंजन रहा है. मुगल बादशाह अकबर और उनके बेटे जहांगीर, दोनों ही खिचड़ी के दीवाने थे. इसका जिक्र आइन-ए-अकबरी में भी मिलता है, जिसे अकबर का संविधान भी कहा जाता है.

एक आम भ्रम है कि भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखने वाले बाबर और उसकी पीढ़ियां मांसाहारी व्यंजनों को पसंद करती थीं, लेकिन ऐसा नहीं है. इतिहासकार कहते हैं, मुगलों की रसोई भारतीय व्यंजनों से भी प्रभावित रही. लपसी, पूड़ी, लड्डू और खिचड़ी जैसे व्यंजन उनकी रसोई में शामिल हो गए.

दावा किया जाता है कि अकबर के बेटे जहांगीर को पिस्ते और किशमिश से सजाई गई तीखी खिचड़ी पसंद थी. इसे लज़ीज़ान नाम दिया गया था, जिसका मतलब होता है स्वादिष्ट. अपनी सादगी भरी जीवनशैली और क्रूर स्वभाव के लिए पहचाने जाने वाले औरंगजेब को आलमगीरी खिचड़ी बहुत पसंद थी, जिसमें मछली और उबले अंडे भी शामिल होते थे. धीरे-धीरे यह यह रमज़ान का मुख्य व्यंजन बन गया.

खिचड़ी की प्रसिद्धी सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही. 10वीं शताब्दी में मोरोक्को के यात्री की डायरी में चावल और मूंग से बनी खिचड़ी का जिक्र था. 15वीं शताब्दी के दस्तावेजों में भी खिचड़ी का जिक्र मिलता है. इससे पता चलता है कि खिचड़ी कितना पुराना व्यंजन है.

डिटॉक्स फूड नहीं, लेकिन पेट के लिए हल्का

शेफ हरपाल सिंह के मुताबिक, भले ही इसे चावल और दाल से तैयार किया जाता है, लेकिन खिचड़ी देशभर के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रूपों में मिलती है. इसे सब्जियों के साथ भी बनाया जाता है. दक्षिण में मुझे बिस्सी बेले भात जैसा लगता है. पश्चिम में खासकर गुजरात में मुझे दाल और चावल वाली खिचड़ी मिलती है, लेकिन बहुत गाढ़ी और पतली. मुंबई में बेशक शेट्टी रेस्टोरेंट के अपने अलग संस्करण हैं, लेकिन ये बहुत स्वादिष्ट हैं. मैं इसे डिटॉक्स फ़ूड नहीं कहूंगा, लेकिन पेट के लिए हल्का होता है.

खिचड़ी कितनी पुरानी?

खिचड़ी का जिक्र वैदिक ग्रंथों जैसे यजुर्वेद में भी मिलता है. इसे 3500 साल पुराना व्यंजन बताया गया है. ग्रंथों में इसे मिश्रान्न के नाम से जाना जाता था. ऐसा इसलिए क्योंकि इसे चावल, दाल और कई बार सब्जियों के मिश्रण से तैयार किया जाता था.

मुगलों को खिचड़ी इतनी ज्यादा पसंद आई कि इसे राजसी व्यंजन बना दिया गया था. आयुर्वेद में इसे सात्विक भोजन कहा जाता है. इसे आसानी से पचने और शरीर को संतुलित रखने वाला भोजन माना गया है.

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