28 वर्ग किमी. में फैले गंगा द्वीप को सहेज रहे 22 हजार किसान

28 वर्ग किमी. में फैले गंगा द्वीप को सहेज रहे 22 हजार किसान, 28 sq sq 22 thousand farmers are being saved from islands in the Ganges,

Apr 22, 2025 - 05:31
Apr 22, 2025 - 05:31
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28 वर्ग किमी. में फैले गंगा द्वीप को सहेज रहे 22 हजार किसान

28 वर्ग किमी. में फैले गंगा द्वीप को सहेज रहे 22 हजार किसान 

  • तीर्थराज में पावन संगम से साढे तीन किमी. दूर द्वीप पर रोपते हैं हजारों पौधे 
  • प्राकृतिक संतुलन के साथ ही बढ़ रही है क्षेत्र में हरियाली
  • पर्यावरण संरक्षण और सामूहिक जागरूकता का है सुखद संदेश  

प्रयागराजः तीर्थराज में पावन संगम से मात्र साढ़े तीन किलोमीटर दूर एक अनूठा गंगा द्वीप पर्यावरण संरक्षण और सामूहिक जागरूकता का प्रेरक उदाहरण पेश कर रहा है। करीब 28 वर्ग किलोमीटर में फैले इस द्वीप को सहेज रहे लगभग 22 हजार किसान पृथ्वी दिवस के अवसर पर देश-दुनिया को हरियाली बढ़ाने का सुखद संदेश दे रहे हैं। प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए प्रति वर्ष ये किसान द्वीप पर हजारों पौधे लगाते हैं, ताकि हरियाली बनी रहे और गंगा की धाराओं से होने वाले कटाव को रोका जा सके।


लगभग साढ़े नौ किलोमीटर लंबा और तीन किलोमीटर चौड़ा यह द्वीप गंगा नदी की दो धाराओं के बीच स्थित है। एक धारा करछना तहसील के 12 गांवों से होकर बहती है और दूसरी फूलपुर तहसील के नौ गांवों से होकर निकलती है। इस द्वीप की विशेषता सिर्फ इसकी भौगोलिक बनावट नहीं, बल्कि इसके बाहर नदी के दोनों तट पर बसे 21 गांवों के लगभग 22 हजार किसानों का इसे हरा-भरा रखने का संकल्प है। ग्रामीणों व किसानों का यह आंदोलन बिना किसी प्रचार के धरती को बचाने का सच्चा प्रयास है। करीब 35 हजार हेक्टेयर के इस क्षेत्र में किसान रासायनिक खाद के बिना खेती कर रहे हैं। यह पहल केवल स्वस्थ अनाज के उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि जैविक खेती से पर्यावरण, जल और मृदा संरक्षण हो रहा है। 

किसानों के नाम है जमीन
इस द्वीप की जमीन किसानों के नाम है। किसान देवव्रत पांडेय बताते हैं कि द्वीप पर सिर्फ रबी सीजन की फसलें ही होती हैं, जिसमें गेहूं, जौ, सरसो, अलसी, चना, मटर शामिल है। बाढ़ के चलते खरीफ और गर्मी में सिंचाई के साधन न होने से जायद की फसल नहीं हो पाती हैं। 1359 फसली वर्ष (सन 1952) के मूल अभिलेख के अनुसार यहां दो तहसील के किसानों की अराजी दर्ज है। किसान रविनंदन द्विवेदी कहते हैं कि बिना रासायनिक खाद के होने वाले अनाज की काफी मांग रहती है। 

इस तरह कर रहे हैं संरक्षण
सबसे ज्यादा पीपल, बरगद, जामुन, पाकड़, अमलताश के पौधे रोपे जाते हैं। दरअसल, कटान रोकने में पौधों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। पौधों की जड़ें मिट्टी को एक साथ बांधकर कटाव को कम करने में मदद करती है। गहरी और मजबूत जड़ें मि‌ट्टी को अधिक प्रभावी ढंग से बाथ सकती हैं, जिससे कटाव कम हो जाता है।

कृषि व उद्यान विभाग जैविक खाद बनाने से लेकर कई तरह का प्रशिक्षण भी किसानों को समय-समय पर देते हैं। राजस्व विभाग के आंकड़ों में करीब 22 हजार किसानों की भूमि यहां है। गौरव कुमार, मुख्य विकास अधिकारी, प्रयागराज 

1,14,000 सोते है यहां, वर्ष से अधिक के पीपल व बरगद के अनेक पेड़ प्रयागराज में गंगा द्वीप पर खेतों के बीच लगे पेड़-पौधे।  गंगा द्वीप का सेटेलाइट दृश्य।
साभार- गूगल

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