सुभाषितों से ‘आशय’ शीघ्र समझ में आता है…..

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने आवास पर पुस्तक समर्पण कार्यक्रम में संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जहां लम्बा भाषण सुनकर समझ विकसित नहीं होती, वहां केवल एक सुभाषित से बात स्पष्ट हो जाती है। संस्कृत भारती (विदर्भ) न्यास ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम एवं ‘संसद’ में दिए […] The post सुभाषितों से ‘आशय’ शीघ्र समझ में आता है….. appeared first on VSK Bharat.

Oct 16, 2025 - 12:46
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सुभाषितों से ‘आशय’ शीघ्र समझ में आता है…..

नई दिल्ली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने आवास पर पुस्तक समर्पण कार्यक्रम में संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जहां लम्बा भाषण सुनकर समझ विकसित नहीं होती, वहां केवल एक सुभाषित से बात स्पष्ट हो जाती है।

संस्कृत भारती (विदर्भ) न्यास ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम एवं ‘संसद’ में दिए भाषणों में उल्लिखित सुभाषितों एवं सूक्तियों का संकलन पुस्तक रूप में प्रकाशित किया है। पुस्तक का नाम है “उद्गारा:”। संस्कृत भारती की पुणे में कार्यरत दो कार्यकर्ताओं वैखरी कुलकर्णी (सेनाड) एवं रञ्जना फडणीस ने, पुस्तक का सम्पादन किया है। पुस्तक में सुभाषितों का पदच्छेद, अन्वय, संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी और मराठी भाषाओं में अनुवाद तो है ही, साथ में सुभाषितों का स्रोत, जिस संदर्भ में सुभाषित कहे गए वे वाक्य उद्घृत किये गए हैं। लेखिकाओं की टिप्पणियां सुभाषितों के संदर्भ में अतिरिक्त जानकारियां प्रदान करती है। पुस्तक का आकर्षण है सौ से अधिक रंगीन चित्र, जो सुभाषितों के अर्थ को अधिक स्पष्ट करते हैं।

संस्कृत भारती (विदर्भ) न्यास की ओर से यह पुस्तक प्रधानमंत्री जी को समर्पित करने के लिए न्यास के पदाधिकारी एवं संकलनकर्ता गए थे। प्रधानमंत्री जी के आवास पर यह समर्पण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। संस्कृत भारती के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख श्रीश देवपुजारी उपस्थित रहे। दो तप यानी २४ वर्ष सत्ता के केन्द्र में रहकर देशसेवा करने के लिए श्रीशजी ने अङ्गवस्त्र पहनाकर प्रधानमंत्री जी का सत्कार किया।

प्रधानमंत्री ने कहा सुभाषितों का उपयोग करने की प्रेरणा उन्हें पूजनीय सरसंघचालक बालासाहब देवरस से मिली। वे सुयोग्य सुभाषितों का उपयोग कर विषय समझाते थे। कुछ काल पूर्व तक संस्कृत केवल विद्वानों की भाषा थी। किन्तु संस्कृत भारती ने सरलता से उसे लोगों तक पहुंचाया।

उन्होंने सन्देश दिया – “जिज्ञासा के कारण कृति होती है। इसलिए जिज्ञासा जागृत हो।”

नवम्बर माह में कोयम्बटूर में होने वाले संस्कृत भारती के अखिल भारतीय सम्मेलन में पुस्तक का लोकार्पण होने के बाद पुस्तक की बिक्री आरम्भ होगी। प्रधानमंत्री जी ने अखिल भारतीय सम्मेलन के लिए शुभकामनाएं प्रदान कीं।

 

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