संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है – इलाहाबाद उच्च न्यायालय

उच्च न्यायालय ने खारिज की राहुल गांधी की याचिका, सेना को लेकर की थी टिप्पणी प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी की 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ उनकी कथित अपमानजनक टिप्पणी के संबंध में लखनऊ की अदालत द्वारा जारी समन आदेश के खिलाफ दायर […] The post संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है – इलाहाबाद उच्च न्यायालय appeared first on VSK Bharat.

Jun 7, 2025 - 12:28
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संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है – इलाहाबाद उच्च न्यायालय

उच्च न्यायालय ने खारिज की राहुल गांधी की याचिका, सेना को लेकर की थी टिप्पणी

प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी की 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ उनकी कथित अपमानजनक टिप्पणी के संबंध में लखनऊ की अदालत द्वारा जारी समन आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय सेना के खिलाफ अपमानजनक बयान देने तक विस्तारित नहीं होता है।

एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने कहा कि,

“इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, यह स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है और इसमें ऐसे बयान देने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है जो किसी व्यक्ति या भारतीय सेना के लिए अपमानजनक हो।”

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा ने राहुल गांधी को उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में 24 मार्च को सुनवाई के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया था। इसे चुनौती देते हुए राहुल गांधी ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।

यह शिकायत वकील विवेक तिवारी ने उदय शंकर श्रीवास्तव की ओर से दायर की थी, जो सीमा सड़क संगठन के पूर्व निदेशक हैं। तिवारी ने आरोप लगाया कि 9 दिसंबर, 2022 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुई झड़प के बारे में 16 दिसंबर, 2022 को राहुल गांधी की टिप्पणी भारतीय सैन्य बलों के प्रति अपमानजनक और मानहानिकारक थी।

राहुल गांधी ने कहा था – “चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना के जवानों की पिटाई कर रहे हैं” – वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी कार्रवाई को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए यह आलोचना की गई थी।

मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ गांधी की याचिका को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 199(1) के तहत, कोई व्यक्ति जो किसी अपराध का प्रत्यक्ष पीड़ित नहीं है, उसे भी “पीड़ित व्यक्ति” माना जा सकता है, यदि अपराध ने उसे नुकसान पहुंचाया है या उस पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

मामले में शिकायतकर्ता, सीमा सड़क संगठन के सेवानिवृत्त निदेशक, जो कर्नल के समकक्ष रैंक के है, ने भारतीय सेना के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने पर शिकायत दर्ज कराई थी।

यह देखते हुए कि शिकायतकर्ता ने सेना के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया था और टिप्पणियों से व्यक्तिगत रूप से आहत था, न्यायालय ने माना कि वह सीआरपीसी की धारा 199 के तहत पीड़ित व्यक्ति के रूप में योग्य है और इसलिए शिकायत दर्ज कराने का हकदार है।

तदनुसार, न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।

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