भैयाजी ने पूर्वोत्तर में शिक्षा व सामाजिक बदलाव का ईश्वरीय कार्य किया – भय्याजी जोशी

पुणे, 30 नवम्बर। पूर्व सीमा विकास प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित ध्येयवादी शिक्षक व संघ प्रचारक शंकर दिनकर उपाख्य भैयाजी काणे के जन्मशती समापन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश जोशी जी (भय्याजी जोशी) ने कहा कि अपनापन और सच्चे प्रेम की शक्ति से  भैयाजी काणे ने अत्यंत प्रतिकूल […] The post भैयाजी ने पूर्वोत्तर में शिक्षा व सामाजिक बदलाव का ईश्वरीय कार्य किया – भय्याजी जोशी appeared first on VSK Bharat.

Dec 2, 2025 - 08:59
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भैयाजी ने पूर्वोत्तर में शिक्षा व सामाजिक बदलाव का ईश्वरीय कार्य किया – भय्याजी जोशी

पुणे, 30 नवम्बर। पूर्व सीमा विकास प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित ध्येयवादी शिक्षक व संघ प्रचारक शंकर दिनकर उपाख्य भैयाजी काणे के जन्मशती समापन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश जोशी जी (भय्याजी जोशी) ने कहा कि अपनापन और सच्चे प्रेम की शक्ति से  भैयाजी काणे ने अत्यंत प्रतिकूल स्थिति में पूर्वोत्तर में शिक्षा का बीजारोपण किया। विरोधकों के समक्ष न झुकते हुए उन्होंने गरीबों और स्थानीय लोगों को बिना कोई लालच दिखाए अपना बनाया और पूर्वोत्तर की धरती पर दृढ़ता से अपने पैर जमाए। दूरदर्शिता और प्रभावी व्यक्तित्व के धनी स्वर्गीय भैयाजी काणे ने शिक्षा और सामाजिक बदलाव का ईश्वरीय कार्य किया है।

बी.एम.सी.सी. कॉलेज के टाटा ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध उद्यमी और क्विकहील टेक्नोलॉजी के संस्थापक कैलाश काटकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुणे महानगर संघचालक रवींद्र वंजारवाडकर, पूर्व सीमा विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष एडवोकेट प्रदीप कदम और प्रतिष्ठान के कार्यवाह   जयवंत कोंडविलकर उपस्थित थे।

भय्याजी जोशी ने कहा कि धार्मिक भेदों से परे राष्ट्रीयत्व का एकात्म भाव जागृत किये बिना भारतीय सीमाएं सुरक्षित नहीं होंगी, इस दृष्टि से शिक्षा का माध्यम चुनने में भैयाजी की दूरदर्शिता साफ दिखती है। क्योंकि राष्ट्र भाव के संस्कार गहरे तक रोपित करने के लिए छात्रकाल सबसे उपयुक्त समय होता है। नई पीढ़ी ही नए भारत का निर्माण करेगी। साथ ही पूर्वांचल के वर्तमान छोटे बालक ही भविष्य में एक नए पूर्वोत्तर भारत का निर्माण करेंगे, यह आशा उन्होंने व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि दृष्टि, अवधारणा, आग्रह, और मिशन के सभी पहलू भैयाजी में एक साथ आए थे,  इसलिए शिक्षा के माध्यम से एकता का काम आज सफल होता दिखता है। लेकिन, किसी भी काम को पूरा होने में कुछ समय लगता है, वैसे ही इस काम को भी पूरा होने में कुछ और समय लगेगा, इस कार्य का अभी मध्यान्हकाल कहा जाना चाहिए। असम के नागरिकों को नागालैंड, मिज़ोरम और मणिपुरी नागरिकों के लिए अपनापन प्रतीत होना चाहिए। स्थानीय आदिवासी जनजातियों के बीच मतभेद जब तक सुलझ नहीं जाते. तब तक पूर्वोत्तर का मुद्दा हल नहीं होगा। यह ध्यान में रखते हुए इस कार्य को और तेज़ करना होगा।

मुख्य अतिथि कैलाश काटकर ने कहा कि महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति आमतौर पर अपना गाँव नहीं छोड़ता, लेकिन भैयाजी काणे जैसा ध्येयवादी व्यक्ति 50 साल पहले छोटे जयवंत को लेकर सीधे भारत के पूर्वोत्तर के छोर पर चला जाता है, सुलगते हुए मणिपुर में आता है, वहां एक छोटी सी पाठशाला के माध्यम से राष्ट्रीय एकता का एक बहुत बड़ा कार्य करता है, यह पूरी कहानी बहुत प्रेरणा देने वाली है।

पूर्वोत्तर भारत के वंचित आदिवासियों के जीवन में जो बदलाव आया है, वह अचंभित करने वाला है। पूर्व सीमा विकास प्रतिष्ठान का कार्य अत्यंत प्रशंसनीय है।

तिलक रोड पर स्थित पूर्वांचल महिला छात्रावास  की छात्राओं ने स्वागत गीत का गायन किया। श्रुति प्रणव मेहता ने प्रस्तावना रखी। इस अवसर पर पूर्वोत्तर भारत की वर्तमान स्थिति व भैयाजी की प्रेरणा से हुए शिक्षात्मक कार्यों की समीक्षा करने वाली शॉर्ट फिल्म प्रदर्शित की गई। मणिपुर के विद्यालय में पढ़कर आज तक उसी कार्य में रत रहने वाले प्रतिष्ठान के प्रणेता व प्रमुख कार्यवाह जयवंत कोंडविलकर ने पूर्वोत्तर भारत में प्रतिष्ठान के कार्य की भूमिका और वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी।

जन्मशती वर्ष के दौरान, भैयाजी के जन्मस्थान नासिक से गतिविधियों का आरंभ किया गया और पुणे, सांगली व मणिपुर में शिक्षा, मूल्यशिक्षा, विज्ञान, स्वास्थ्य, प्रकृति पर आधारित अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर  पिंपरी चिंचवड़ के पूर्वांचल छात्रावास के छात्रों ने संपूर्ण वंदे मातरम् का गायन किया।

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