दक्षिण राज्यों के साथ अन्याय… परिसीमन के विरोध में स्टालिन के समर्थन में उतरे KTR

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित परिसीमन अभ्यास की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे दक्षिण भारत के राज्यों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को कम करने वाला अन्यायपूर्ण कदम बताया है. केटीआर ने चेन्नई में हुई बैठक में अन्य दक्षिण भारतीय नेताओं के साथ मिलकर इस मुद्दे पर एकजुट विरोध का आह्वान किया और केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि इस अन्याय को नजरअंदाज करने के गंभीर परिणाम होंगे. बीआरएस इस मुद्दे पर एक मजबूत मोर्चा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.

Mar 21, 2025 - 20:57
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दक्षिण राज्यों के साथ अन्याय… परिसीमन के विरोध में स्टालिन के समर्थन में उतरे KTR
दक्षिण राज्यों के साथ अन्याय… परिसीमन के विरोध में स्टालिन के समर्थन में उतरे KTR

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव (केटीआर) ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित परिसीमन अभ्यास की कड़ी निंदा की है. इसे एक अन्यायपूर्ण कदम बताया है, जिससे दक्षिणी राज्यों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व में उल्लेखनीय कमी आएगी. स्टालिन ने शनिवार को परिसीमन को लेकर चेन्नई में बैठक बुलाई है. केटीआर इस बैठक में शामिल होने चेन्नई पहुंचे.

केटीआर ने चेतावनी दी कि यदि इस मुद्दे को तुरंत संबोधित नहीं किया गया, तो इसके दीर्घकालिक परिणाम होंगे, और आने वाली पीढ़ियां वर्तमान नेतृत्व को उसकी चुप्पी के लिए माफ नहीं करेंगी.

चेन्नई में मीडिया से बात करते हुए केटीआर ने दोहराया कि बीआरएस परिसीमन प्रस्ताव का कड़ा विरोध करता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस कदम से गंभीर क्षेत्रीय असमानताएं पैदा होंगी, राष्ट्रीय नीति निर्माण में दक्षिण भारतीय राज्यों की आवाज कमजोर होगी और केंद्रीय निधियों तक उनकी पहुंच कम होगी. उन्होंने सभी क्षेत्रीय दलों से एक साथ आने और इस अनुचित प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट लड़ाई लड़ने का आह्वान किया.

उन्होंने चेतावनी दी, “इस परिसीमन का प्राथमिक प्रभाव दक्षिण भारत के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व में कमी होगी. यह मौजूदा क्षेत्रीय असंतुलन को और गहरा करेगा और दक्षिणी राज्यों को राष्ट्रीय मामलों में निर्णय लेने से और दूर कर देगा.”

परिसीमन के मुद्दे पर स्टालिन के साथ खड़े हुए केटीआर

उन्होंने बताया कि तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य आर्थिक विकास, औद्योगीकरण और सामाजिक विकास में सबसे आगे रहे हैं. केटीआर ने कहा, “देश के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान देने के बावजूद, इन राज्यों को अब इस राजनीतिक चाल के माध्यम से निशाना बनाया जा रहा है. यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार संसद और शासन में दक्षिण भारत की आवाज को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.”

केटीआर ने कहा कि दक्षिण भारतीय राज्यों ने सतत विकास पर राष्ट्रीय और वैश्विक सिफारिशों का पालन करते हुए वर्षों से प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण नीतियों को लागू किया है. हालांकि, नए परिसीमन अभ्यास के तहत, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित रखने में उनकी सफलता के लिए इन राज्यों को दंडित किया जा रहा है.

उन्होंने सवाल किया, “यह कदम मौलिक रूप से अनुचित है, जबकि जिन राज्यों ने अपनी जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया है, उन्हें अतिरिक्त सीटों और राजनीतिक प्रभाव से पुरस्कृत किया जाएगा, जिन्होंने जिम्मेदारी से काम किया है, उन्हें दंडित किया जा रहा है. क्या यह वह न्याय है जो हम लोकतंत्र में चाहते हैं?”

अगर हम चुप रहे, तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा: केटीआर

केटीआर ने सभी राजनीतिक नेताओं, बुद्धिजीवियों और नागरिक समाज के सदस्यों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण मोड़ पर निष्क्रियता के अपरिवर्तनीय परिणाम होंगे. उन्होंने कहा कि हम अभी चुप रहे, तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा.आने वाली पीढ़ियाँ पीछे मुड़कर देखेंगी और पूछेंगी कि जब हमारा राजनीतिक प्रतिनिधित्व छीना जा रहा था, तब हमने लड़ाई क्यों नहीं लड़ी? यह केवल एक राजनीतिक लड़ाई नहीं है; यह निष्पक्षता, न्याय और उन लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए लड़ाई है, जिन पर इस देश का निर्माण हुआ है.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बीआरएस ने हमेशा तेलंगाना और अन्य राज्यों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी है जो अनुचित नीतियों के शिकार हुए हैं. उन्होंने कहा, “जिस तरह हमने राज्य के दर्जे के लिए लड़ाई लड़ी और तेलंगाना को उसका उचित स्थान दिलाया, उसी तरह अब हम इस अन्यायपूर्ण परिसीमन के खिलाफ लड़ेंगे जो हमारे राज्यों को हाशिए पर डालना चाहता है. परिसीमन से दक्षिणी राज्यों पर आर्थिक और राजनीतिक रूप से असर पड़ेगा.”

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,