बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की हरी झंडी
भक्तों को दर्शन और पूजा की सुविधा के लिए मंदिर के आसपास करीब पांच एकड़ जमीन अधिग्रहित की जाएगी
मथुरा.
प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर अड़चन दूर हो गई है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कॉरिडोर बनाने की राज्य सरकार की योजना को हरी झंडी दे दी. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की बेंच ने आनंद शर्मा और मथुरा के एक अन्य व्यक्ति की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश पारित किया.
इससे पहले राज्य सरकार ने कॉरिडोर के विकास से संबंधित योजना अदालत के समक्ष रखी थी. राज्य सरकार ने बताया था कि भक्तों को दर्शन और पूजा की सुविधा के लिए मंदिर के आसपास करीब पांच एकड़ जमीन अधिग्रहित की जाएगी. गोस्वामियों द्वारा की जाने वाली पूजा, अर्चना या श्रृंगार में किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. उनके पास जो भी अधिकार हैं, वे उनका उपयोग करते रहेंगे. सरकार पार्किंग क्षेत्र जैसी सुविधाएं भी बनाएगी और इसका खर्च भी वहन करेगी.
संबंधित पक्षों को सुनने के पश्चात उच्च न्यायालय ने कहा, – राज्य सरकार अदालत को सौंपी गई योजनाओं और उनके कार्यान्वयन के साथ आगे बढ़े. अदालत न्याय के हित में उचित और आवश्यक मानती है. हम इसे राज्य सरकार के लिए खुला छोड़ते हैं. योजना को लागू करने के लिए क्षेत्र के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद जो भी उचित समझे, वो कदम उठाएं.
मंदिर परिसर के आसपास अतिक्रमण के मुद्दे पर न्यायालय ने कहा, राज्य सरकार मंदिर तक पहुंच मार्गों (गलियों) पर अतिक्रमण हटाने के लिए उचित कदम उठाने के लिए भी स्वतंत्र है. योजना के कार्यान्वयन के बाद राज्य सरकार से यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है कि मंदिर तक पहुंच मार्गों पर कोई और बाधा/अतिक्रमण नहीं होने दिया जाए.
न्यायालय ने कहा, हम यह स्पष्ट करते हैं कि योजना के कार्यान्वयन को छोड़कर भक्तों के दर्शन में किसी भी तरह से बाधा नहीं डाली जाएगी. उचित विकल्प व्यवस्था की जाएगी. वर्तमान प्रबंधन के साथ-साथ सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि भक्तों के दर्शन पर किसी भी तरह से और किसी द्वारा प्रतिबंध नहीं लगाया जाए. जिला के अधिकारियों को निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है और किसी भी कार्य के उल्लंघन की सूचना कोर्ट को दी जाए. उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 31 जनवरी, 2024 तय की है.
कैसा होगा बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर?
काशी विश्नवनाथ कॉरिडोर की तरह ही मथुरा में बांके बिहारी मंदिर में भी कॉरिडोर बनाने की तैयारी है. कॉरिडोर को लेकर सर्वे का काम पूरा हो गया है. पूरा कॉरिडोर पांच एकड़ में बनाया जाएगा. पिछले साल अगस्त में मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया था कि ये कॉरिडोर मंदिर और यमुना नदी को जोड़ेगा. ये ठीक वैसा ही होगा जैसा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर मंदिर और गंगा नदी से जुड़ा है. कॉरिडोर के तीन रास्ते होंगे, जिनके जरिए मंदिर तक पहुंचा जा सकेगा. ये पूरा कॉरिडोर दो मंजिला होगा.
– प्रस्तावित प्लान के अनुसार, कॉरिडोर से मंदिर जाने के तीन रास्ते होंगे. पहला रास्ता जुगल घाट से होगा. दूसरा रास्ता विद्यापीठ चौराहे से और तीसरा जादौन पार्किंग से होगा.
– जुगल घाट से जो रास्ता बनेगा, उसकी सड़क 25 मीटर चौड़ी होगी. वहीं, विद्यापीठ चौराहे की सड़क 7 मीटर और जादौन पार्किंग की 15 मीटर चौड़ी होगी. इन तीन रास्तों से मंदिर पहुंचा जा सकेगा.
विशेष –
– कॉरिडोर में श्रद्धालुओं के लिए कई सुविधाएं भी होंगी, जिनमें सामान घर, जूता घर, प्रसाधन और पीने के पानी की व्यवस्था होगी. साथ ही चिकित्सा और बच्चों की देखभाल की सुविधा भी होगी.
– कॉरिडोर में परिक्रमा मार्ग भी बनाया जाएगा. इसका ऊपरी हिस्सा 11 हजार 600 वर्ग मीटर का होगा, जबकि निचला हिस्सा 11 हजार 300 वर्ग मीटर का.
– प्रस्तावित कॉरिडोर में श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर के साथ-साथ चार और प्राचीन मंदिर के दर्शन भी कर सकेंगे. इनमें मदन मोहन मंदिर और राधा वल्लभ मंदिर भी शामिल है.
– कॉरिडोर के रास्ते में आने वाले 321 भवन और संपत्तियों का अधिग्रहण किया जाएगा. इसके लिए 200 करोड़ रुपये का मुआवजा राशि प्रस्तावित है. #इलाहाबाद #उच्च #न्यायालय
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