लोकसभा में तीन नए अपराधिक विधेयक पारित
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किये। जिनका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में लागू अधिनियम को निरस्त कर उनमें बदलाव करना है।
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भारतीय संसद का निम्न सदन यानि लोकसभा ने औपनिवेशिक काल के समय से चले आ रहे 3 आपराधिक कानूनों के स्थान पर केन्द्र सरकार की ओर से लाए गए 3 विधेयकों को 21 दिसंबर दिन बुधवार को मंजूरी दे दी।
लोकसभा ने लंबी चर्चा और गृह मंत्री अमित शाह के विस्तृत जवाब के बाद भारतीय न्याय संहिता (BNSS) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (BS) विधेयक, 2023 को ध्वनमित से अपनी स्वीकृति दे दी। ये तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860, दंड प्रक्रिया संहिता(CRPC) 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के स्थान पर लाए गए हैं।
लोकसभा ने लंबी चर्चा और गृहमंत्री अमित शाह के विस्तृत जवाब के बाद भारतीय न्याय संहिता (BNS) विधेयक, 2023 भारतीय नागरिक न्याय संहिता (BNSS) विधायक 2023 और भारतीय साक्ष्य (BS) विधायक 2023 को ध्वनि मत से अपनी स्वीकृति दी
तीन नए अपराधिक विधेयकों को समझे:
भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 की मुख्य विशेषताएँ:
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 की मुख्य विशेषताएँ:
भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 की मुख्य विशेषताएँ?
गृह मंत्री अमित शाह का बयान:
विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि, "मानवाधिकार, व्यक्ति की स्वतंत्रता और सबके साथ समान व्यवहार" रूपी 3 सिद्धांत के आधार पर ये प्रस्तावित कानून लाए गए हैं।
इस दौरान गृह मंत्री का यह कहना था कि, कानून की आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन किया जा रहा है, जो भारत की जनता का हित करने वाले हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इन विधेयकों के माध्यम से सरकार ने तीनों आपराधिक कानूनों को गुलामी की मानसिकता से मुक्ति प्रदान की है।
उनका कहना था कि पहले के कानूनों के तहत ब्रिटिश राज की सलामती ही प्राथमिकता थी, लेकिन अब मानव सुरक्षा, देश की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।
इस ऐतिहासिक सदन मे करीब 150 साल पुराने 3 कानून, जिनसे हमारी कानूनी आपराधिक न्याय प्रणाली चलती है, उनमें पहली बार मोदी जी के नेतृत्व मे भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले बहुत आमूल-चूल परिवर्तन लेकर मैं आया हूं।
गृह मंत्री ने सदन में कहा कि 'माब लिंचिंग' (भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या) घृणित अपराध है और इस कानून में इस अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया जा रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने इसे भारतीय समाज के हित में आवश्यक बदलाव मानते हुए प्रस्तुत किया और मौद्रिक सुरक्षा को महत्वपूर्णता दी है।
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