आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को रेग्युलेट करना चुनौतीपूर्ण, लेकिन अनिवार्य… बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को विनियमित करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन अनिवार्य है. AI को विनियमित करने और नवाचार को बढ़ावा देने के बीच सही संतुलन बनाना होगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी गतिशील चीज को विनियमित करने के लिए, हमें एक चुस्त और सशक्त संस्थागत ढांचे की आवश्यकता है.

Apr 4, 2025 - 19:32
 0  15
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को रेग्युलेट करना चुनौतीपूर्ण, लेकिन अनिवार्य… बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को रेग्युलेट करना चुनौतीपूर्ण, लेकिन अनिवार्य… बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को विनियमन और नवाचार को बढ़ावा देने के बीच सही संतुलन बनाए रखते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए विनियमन की आवश्यकता पर जोर दिया. उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि, “एआई का विनियमन यह निर्धारित करेगा कि हम किस तरह का समाज बनना चाहते हैं. यह सबसे महत्वपूर्ण कारक बन गया है कि हम कहां होंगे!”

उन्होंने कहा, “क्या हम एक डिजिटल डायस्टोपिया बनना चाहते हैं, जहां मनुष्य एल्गोरिदम की सेवा करते हैं या एक ऐसा मानवीय भारतीय समाज जहां तकनीक लोगों की सेवा करती है? चुनाव हमारा है. चुनाव सर्वविदित है.”

उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा सदस्य सुजीत कुमार द्वारा लिखित पुस्तक एआई ऑन ट्रायल के विमोचन के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर संतुलन बनाना जरूरी

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को विनियमित करना चुनौतीपूर्ण, भयावह, लेकिन अनिवार्य है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को विनियमित करने और नवाचार को बढ़ावा देने के बीच सही संतुलन बनाना होगा. यह मौलिक है.”

उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी गतिशील चीज को विनियमित करने के लिए, हमें एक चुस्त और सशक्त संस्थागत ढांचे की आवश्यकता है. एक राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्राधिकरण या आयोग, स्वतंत्र लेकिन सरकार, उद्योग, शिक्षा और नागरिक समाज के प्रतिनिधित्व के साथ जवाबदेह, एक थिंक टैंक के रूप में काम कर सकता है. इसलिए हमें विनियमन को एक मचान के रूप में डिजाइन करना चाहिए, पिंजरे के रूप में नहीं.

उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य एक ऐसा ढांचा सक्षम करना होना चाहिए, जहां जिम्मेदार नवाचार पनपे और भयावह डिजाइन, हानिकारक डिजाइनों को बेअसर किया जाए. जोखिम-आधारित, क्षेत्र-विशिष्ट और सिद्धांत-संचालित दृष्टिकोण इस संबंध में हमारी अच्छी सेवा कर सकता है.


उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, चिकित्सा निदान में उपयोग किए जाने वाले AI के लिए आवश्यक जांच का स्तर सोशल मीडिया फीड बनाने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अलग होना चाहिए. सामान्य नागरिकों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव नियामक व्यवस्था के केंद्र में होना चाहिए. एक सामान्य व्यक्ति अपने दम पर समाधान नहीं खोज पाएगा. सिस्टम को सामान्य नागरिकों को स्वचालित, अंतर्निहित राहत प्रदान करनी चाहिए.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर उपराष्ट्रपति ने चेताया

उन्होंने कहा कि अपने नागरिकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों से बचाने के लिए, हमें लागू करने योग्य अधिकारों की आवश्यकता है, जैसे स्पष्टीकरण का अधिकार, स्वचालित निर्णयों को चुनौती देने का अधिकार. निर्णय स्वचालित होते हैं. उनका विरोध कैसे करें, हम जागरूक नहीं हैं और एल्गोरिदमिक प्रोसेसिंग से बाहर निकलने का अधिकार नहीं है, खासकर जब निर्णय आजीविका, स्वतंत्रता और सम्मान को प्रभावित करते हैं.

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि हमें बेहद सावधान भी रहना होगा. एआई, जिन्न बोतल से बाहर आ चुका है, और यह बेहद विनाशकारी हो सकता है. अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह तबाही मचा सकता है. डीप फेक, डीप स्टेट के कामकाज, वोकिज्म के युग में, अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस जिन्न को नियंत्रित नहीं किया गया तो इन खतरनाक प्रवृत्तियों को पंख लग सकते हैं. युवा दिमागों के लिए कहें तो, एक परमाणु ऊर्जा आपको ऊर्जा दे सकती है. परमाणु ऊर्जा घरों को रोशन कर सकती है, उद्योग चला सकती है, लेकिन यह विनाशकारी भी हो सकती है, और इसलिए, हमारे सामने दोनों संभावनाएं हैं.

साइबर संप्रभुता को लेकर उपराष्ट्रपति ने कही ये बात

उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विनियमन बहुत पारदर्शी होना चाहिए. इसे री-स्किलिंग और कार्यबल नियोजन के साथ-साथ चलना चाहिए. जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कुछ कार्यों को विस्थापित करता है, यह करेगा. क्योंकि यह आपके घर, आपके कार्यालय में आ गया है. यह कभी-कभी सामान्य संसाधन से बेहतर काम करता है और फिर एक धारणा बनती है. क्या हम काम करने वाले लोगों की नौकरियों को खतरे में डाल रहे हैं? शायद कुछ स्थितियों में… इसके लिए हमें शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, डिजिटल साक्षरता में बहुत अधिक निवेश करना होगा, खासकर उन लोगों के लिए जो हाशिए पर हैं, जो कमजोर हैं, जिन्हें मदद की ज़रूरत है.

साइबर संप्रभुता के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “हमें भारत की साइबर संप्रभुता को उतना ही महत्व देना चाहिए जितना हम आम बोलचाल में समझी जाने वाली संप्रभुता को देते हैं, लेकिन हमें वैश्विक मानकों के अनुरूप होना होगा. ऐसी स्थितियों में कोई अलग से गतिविधि नहीं हो सकती. वैश्विक अभिसरण होना चाहिए. सभी हितधारकों को एक मंच पर आना होगा ताकि हमारे पास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में एक वैश्विक नियम-आधारित व्यवस्था हो.”

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

UP HAED सामचार हम भारतीय न्यूज़ के साथ स्टोरी लिखते हैं ताकि हर नई और सटीक जानकारी समय पर लोगों तक पहुँचे। हमारा उद्देश्य है कि पाठकों को सरल भाषा में ताज़ा, विश्वसनीय और महत्वपूर्ण समाचार मिलें, जिससे वे जागरूक रहें और समाज में हो रहे बदलावों को समझ सकें।