नई पीढ़ी तक सरल-सहज भाषा में पहुंचा रहे सांस्कृतिक धरोहर

भाषा में संस्कृति के इस रूप-स्वरूप का बोध कराकर सनातन को समृद्ध कर रहा है

Apr 7, 2024 - 21:05
Apr 7, 2024 - 21:26
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नई पीढ़ी तक सरल-सहज भाषा में पहुंचा रहे सांस्कृतिक धरोहर

नई पीढ़ी तक सरल-सहज भाषा में पहुंचा रहे सांस्कृतिक धरोहर

विमत क्रम संवत का आरंभ होने को है। सनातन को मानने वालों के धार्मिक रीति-रिवाज, जन्म-विवाह-मृत्यु से संबंधित सामाजिक आचार-विचार, पर्व व त्योहार भी विक्रम संवत पर ही निर्भर हैं। उत्तराखंड के बागेश्वर जिले से प्रकाशित होने वाला श्री गौरी पंचांग युवा पीढ़ी को सहज तथा सरल भाषा में संस्कृति के इस रूप-स्वरूप का बोध कराकर सनातन को समृद्ध कर रहा है।


बागेश्वर के ग्राम पुरकोट नकुड़ा निवासी पंडित दिनेश चंद्र पांडेय आज की पीढ़ी को सनातन धर्म के रीति रिवाज, परंपरा और संस्कृति का ज्ञान करा रहे हैं। वह गौरी पंचांग के नाम से प्रतिवर्ष पुस्तक निकालते हैं। गणित से परास्नातक दिनेश ने नौकरी करने में विशेष रुचि नहीं ली। यद्यपि कुछ समय के लिए बालिका इंटर कालेज के अलावा महाविद्यालय में भी अध्यापन का कार्य किया था। अब वह गणित, भौतिक, रसायन, अंग्रेजी आदि विषयों का ट्यूशन भी पढ़ा रहे हैं। इसके अतिरिक्त वह पुरोहित के कार्य करने के साथ पंचांग के माध्यम से संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी जुटे हैं।

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परिवार में मिला माहौलः दिनेश बताते हैं कि उनके दादा स्व. नरोत्तम पांडेय भी पुरोहित थे। बचपन से ही परिवार में धार्मिक माहौल देखा। धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन भी किया। कुल पुरोहित के आग्रह पर ज्योतिष, कर्मकांड को अपनाया। यहीं से निर्णय लिया कि ज्योतिष पर एक ऐसी पुस्तक लिखी जाए जिसे सभी समझ सकें। वर्ष 2009 से मां गौरी की प्ररेणा से ही श्री गौरी पंचांग का प्रकाशन कर रहे हैं। वर्तमान में इसकी 10 हजार प्रतियां प्रकाशित हो रही हैं। विशेष यह है कि नई पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए इसकी सामग्री सरल तथा सहज रखी गई है। धार्मिक एवं सांस्कृतिक धारणाओं को ध्यान में रखा गया है। नवसंवत्सर पर वह स्वयं और अन्य पुरोहित सनातन को समृद्ध करने का संदेश गांव-गांव तक पहुंचाते हैं।

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दूर करनी होगी उदासीनताः पंडित दिनेश चंद्र पांडेय कहते हैं कि सनातन संस्कृति के प्रति उदासीनता दूर करनी होगी। नई पीढ़ी धर्म-संस्कृति के प्रति उतनी जागरूक नहीं है। हमारे पूर्वज संस्कृति से जुड़े रहे। हमारी संस्कृति में योग, तिथि, वार, नक्षत्र, कालगणना आदि पंचांग में समाहित है। हम रीतियों, संस्कृति व परंपराओं को सही रूप में धारण करेंगे तो सनातन की पताका फहराएगी। बागेश्वर से घनश्याम जोशी

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