विपक्ष बता रहा जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने का हथकंडा, जता रहा संवैधानिक खतरे की आशंका

विपक्ष बता रहा जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने का हथकंडा, जता रहा संवैधानिक खतरे की आशंका, divert attention from important issues and expressing fear constitutional danger,

Dec 18, 2024 - 19:42
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विपक्ष बता रहा जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने का हथकंडा, जता रहा संवैधानिक खतरे की आशंका

सत्ता पक्ष का मानना है कि इससे समय व संसाधन की बचत होगी, विकास कार्यों को मिलेगी गति

 

एक देश-एक चुनाव के मुद्दे पर बिहार की राजनीति स्पष्ट तौर पर दो फांक है। इसके समर्थन में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दलों के साथ नवगठित जन सुराज पार्टी (जसुपा) भी है। दूसरी और महागठबंधन है, जिसे यह विचार कतई स्वीकार्य नहीं। इसके सबसे बड़े घटक राजद द्वारा जगह-जगह पोस्टर लगाकर इसी के समानांतर समान शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था आदि का मुझ उछाला जा रहा है। अंदरखाने चर्चा है कि क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व के लिए यह व्यवस्था घातक सिद्ध होगी। यह बात दीगर कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग अलग होते हैं, लेकिन एक साथ चुनाव होने पर मुद्दों के गड्मगड्ड होने और चुनाव परिणाम पर उसके प्रभाव की आशंका है।

उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का कहना है कि जिस कांग्रेस को 1952 से 1967 तक एक साथ चुनाव के जरिये केंद्र और राज्यों की सत्ता में रहने पर कोई आपत्ति नहीं थी, वह आज विरोध

में खड़ी है। आए दिन चुनाव से विकास के काम बाधित होते हैं और सुरक्षा बलों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। सरकार का खर्च बढ़ता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिलीप जायसवाल मान रहे हैं कि इस व्यवस्था से राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त किया जा सकता है। जसुपा के सूत्रधार प्रशांत किशोर की भी यही राय है, बशर्ते कि इस व्यवस्था के पीछे केंद्र की मंशा सही हो।

विपक्ष का भय वस्तुतः इस मंशा को लेकर ही है। कांग्रेस इसे महंगाई बेरोजगारी असहिष्णुता जैसे जरूरी

मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने का हथकंडा बता रही तो राजद की राय में इस व्यवस्था से संवैधानिक खतरे की आशंका बढ़ेगी। राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन का कहना है कि इसके जरिये केंद्र को अत्यधिक शक्तिशाली बनाने के साथ ही अधिनायकवादी व्यवस्था स्थापित करने की मंशा है। 1967 तक अगर एक साथ चुनाव हुआ तो उसकी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं थी। हालांकि, बाद के दिनों में कतिपय कारणों से अनेक राज्यों में मध्यावधि चुनाव कराने पड़े।

 

पूरे देश में एक साथ चुनाव कैसे संपन्न होगा : तेजस्वी

जासं, मधेपुरा: बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को कहा कि जब एक राज्य में भी एक चरण में चुनाय नहीं सपन्न हो सकता तो पूरे देश में एक साथ चुनाव कैसे संपन्न होगा। एकसाथ कई राज्यों में चुनाव नहीं हो सकता। अगर खर्च बचाने की बात है तो सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पिछले 11 वर्षों में विज्ञापन पर किए खर्च का हिसाब देना चाहिए।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,