Why Not Me? A feeling of millions BOOk Chapter - 2 बोर्ड की डेट शीट
Why Not Me? A feeling of millions BOOk Chapter - 2 बोर्ड की डेट शीट
अध्याय 2 - बोर्ड की डेट शीट।
स्कूल पहौंचा, लेकिन अब मन नहीं लगता था मेरा सेंट पॉल में। वही पुरानी बिल्डिंग, टूटे कांच, पुराने जमाने की कुर्सियां और टेबल, अब कुछ नया चाहिए था जिंदगी में, वो कहते हैं ना, बदलाव।
मैंने आधी से ज्यादा स्कूल लाइफ 'बॉयज स्कूल' में बिता दी थी, सिर्फ 2 साल बचे थे, अब कुछ तो जिंदगी में बदलाव लाना था ना, इतने साल वही फर्नीचर, बिल्डिंग और स्कूलें देख कर बोर हो गया था।
“बोर्ड के बाद मैं स्कूल स्विच कर ही लूँगा यार, मन नहीं लगता अब यहाँ। बस दो साल ही तो बचे हैं स्कूल लाइफ के, थोड़ा सुख उठा लें, लड़कियों के साथ पढ़ने का।”
“अनुभावव्व…अनुभववव्व्व…।” अरे भाई! होश में आजा, कविता मैम अनाउंस करने वाली हैं बोर्ड के बारे में, सुन ले भाई।” अनमोल ने मुझे टोकने हुए कहा।
2 मार्च से परीक्षाएं थीं, अब सब के दिमाग के प्रेशर कुकर की सीटी जोर से बजने लगी। छात्र जीवन का सबसे पहला और असली परीक्षा का समय जो होता है, वो हाई स्कूल बोर्ड का होता है, जिसका मैं था, और हल्के में लेके भूल कर रहा था।
वो पूरे दिन ही टेंशन में निकल रहा था। कहने को दोस्त कई थे, अंकित, अनमोल, दीपक, आर्यन, पर मेरा सबसे अच्छा दोस्त बस एक ही था, अंकित। उसी से मैं हर अच्छी बुरी बात शेयर कर लिया करता था।
अंकित बेस्ट फ्रेंड इसलिए भी था क्योंकि वो बिल्कुल मेरे जैसा था, सिवाए उसके साइज़ के। हाहा, सबका एक मोटू बेस्ट फ्रेंड तो होता ही है, मेरा भी था! मेरे घर के पास रहता था वो और स्कूल भी एक ही था हमारा। उसे मेरी यारी करीब चार साल पुरानी थी। एक वही था जिसके साथ मुझे घूमना फिरना पसंद था।
उसके घर में, उसके मम्मी पापा थे और एक छोटी बहन। उसका अक्सर मेरी वजह से पिताई हो जाती थी, क्योंकि मुख्य रूप से परीक्षा के समय में बहार आने के लिए मनाता रहता था और वो जब जब मेरी वजह से बाहर आता था, उसको डांट पड़ती थी और कई बार तो पिताई भी हो जाती थी।
मुझे बाकी सब दोस्तों में घिरा रहना पसंद नहीं था! क्या है कि जब आपकी आदत में, ना सिगरेट होती है ना शराब, तो आपके दोस्तों में अक्सर आप अकेले महसूस करते हो। इसलिए, मैं बस अंकित के साथ ही रहता था।
उन्हें यार चाहिए थे खाने पीने वाले, और हम धुआं दारू से दूर ही रहते थे। बचपन से माँ ने एक ही बात बोली थी, "कुछ भी करना लेकिन इसको कभी हाथ मत लगाना।" वो बात सीने में गढ़ सी गई थी मानो!
आज आखिरकार, मैंने लंच किया, मेरे पसंदीदा आलू और पराठे खाए, क्योंकि वो दो कमीने, जो मेरा लंच हमें खा जाते थे, विशाल और प्रांजल, वो आज आए ही नहीं थे। हम लोग ब्रेक में मिले तो देखा कि सबके चेहरे की हवा उड़ी हुई थी।
“अबे यार बड़ी फट रही है, पूरे साल कुछ नहीं पढा अब बोर्ड्स स्टार्ट हो जायेंगे कुछ दिनों में।” दीपक ने डरते हुए कहा.
“भाई देख, आज तक हर परीक्षा को देने से पहले भोले का नाम लिया है, कभी फेल नहीं हुए, आगे भी नहीं होंगे।” मैने कहा.
सारे के सारे हंसने लगे और सबकी अपनी-अपनी प्लानिंग चालू हो गई, अगर फेल हो गए, मान लो बाय चांस, फेल हो जाते हैं तो ऑप्शन टू होना चाहिए ना, कौन चाय की टपरी खोलेगा, कौन मूंगफली का ठेला लगाएगा और कौन रिक्शा चलाएगा. बस फिर क्या, छुट्टी खत्म हुई और बस स्कूल खत्म होने का इंतजार शुरू हुआ।
घर पहौंचते पहौंचते मैं अपनी दुनिया में खो चूका था। स्कूल स्विच करने के बारे में सोच रहा था। डीएमए अच्छा स्कूल था, हमसे तारीफ सुनी थी और तो और सबसे महत्वपूर्ण चीज, अपनी कॉलोनी वाले सारे दोस्त डी.एम.ए. में थे, बस एक मुझे छोड़ के।
“ओए अनुभव! आज डेटशीट आई है और ललित सर पक्का अब डंडा करेंगे भाई, टाइम पे आ जाओ, मुझे ट्यूशन पिक करना।” प्रांजल ने मुझे एक टेक्स्ट मैसेज किया।
“ठीक है भाई, आ जाऊँगा।” मैने रिप्लाई किया.
दिन यहीं ढला, रात आने लगी, आज के दिन में कुछ अलग था, कुछ ऐसा जो पहले महसूस नहीं हुआ था, कुछ ऐसा जो होने वाला था, क्या होने वाला था ये पता नहीं पर एहसास कुछ ऐसा ही था।
अपनी रात का कोई साथी नहीं था, किताबें खुलती ही नींद आने लगती थी, जैसी नींद की गोलियाँ हो उनमें। थोड़ी देर पढ़ने की कोशिश की और लाख नाकाम कोशिश के बाद मुझे एहसास हुआ, कि ये अपने बस का नहीं।
अब धीरे-धीरे ऑर्कुट से फेसबुक की तरफ जा रहे थे, अब स्क्रैप्स बीता हुआ कल हो चुके थे और जिंदगी में "चैट' का विकल्प आ गया था। मैंने सोचा, फेसबुक के हाल चाल ले लीजिए। मैं अभी अपनी न्यूज फीड स्क्रॉल कर रहा था तभी, "जिन लोगों को आप जानते होंगे" की सूची आई, आंख बंद करके सभी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी।
वैसे मैं वो शक्स हूं जिसने बचपन से लेकर आज तक एक ही चीज चाहिए, एक ही इंसान से प्यार करूंगा, एक ही इंसान से शादी करूंगा, कभी भूले से भी किसी का दिल नहीं दुखाउंगा। बस अब तलाश थी तो सिर्फ हमें एक इंसान की, जिसके साथ मैं अपने दिल की हर बात शेयर कर सका, हर एक लम्हे को जी सका, जो मुझे पूरा कर सका।
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