पाक हिंदू शरणार्थी छात्राओं ने आईआईटी दिल्ली में मनवाया अपनी प्रतिभा का लोहा

पाकिस्तान से आईं हिंदू शरणार्थी छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा आईआईटी दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में मनवाया

Apr 4, 2024 - 22:24
Apr 4, 2024 - 22:25
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पाक हिंदू शरणार्थी छात्राओं ने आईआईटी दिल्ली में मनवाया अपनी प्रतिभा का लोहा

पाक हिंदू शरणार्थी छात्राओं ने आइआइटी दिल्ली में मनवाया अपनी प्रतिभा का लोहा

वड़े होकर विज्ञानी और शिक्षक वनना चाहती हैं छात्राएं आइआइटी दिल्ली की रोबोटिक्स प्रतियोगिता ट्राइस्ट में रोबोट दिखाती पाक हिंदू शरणार्थी छात्राएं साथ में सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन के संस्थापक संजीव नेवर। 

 बुरे हालात में जिनके लिए स्कूल जाना भी मुश्किल था, ऐसी परेशानियों को हराते हुए पांचवी और छठवीं कक्षा में पढ़ने वाली पाकिस्तान से आईं हिंदू शरणार्थी छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा आइआइटी दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में मनवाया। आइआइटी दिल्ली में रोबोटिक्स प्रतियोगिता ट्राइस्ट 2024 में वे जोधपुर से दिल्ली आईं थीं। यहां उन्होंने इंजीनियरिंग के छात्रों के बीच अपने बनाए रोबोट न सिर्फ चलाए बल्कि प्रतियोगिता के कई स्तरों तक पहुंचीं।


जोधपुर राजस्थान से आईं संध्या, मुस्कान, रेशमा भील और आरती प्रतियोगिता में सबसे कम उम्र की प्रतिभागी थीं। उन्हें सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन की ओर से प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए लाया गया था। फाउंडेशन के लिए काम कर रहीं स्वाति गोयल शर्मा ने कहा, संजीव नेवर ने सेवा न्याय की स्थापना की है। जोधपुर में विद्या केंद्र की शुरुआत की है, जहां स्कूल से आने के बाद रोजाना पाक हिंदू शरणार्थियों के बच्चे पढ़ने आते हैं। विद्या केंद्र में बच्चों को पढ़ाने वाले रुद्रभा ने बताया कि बच्चे पहले आइआइटी बाम्बे, जयपुर की रोबोटिक्स प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं।

बच्चों को रोबोट बनाने के लिए मोटर आदि संजीव नेवर ने खरीदकर दी थीं। बाकि कबाड़ के सामान से उन्होंने अन्य सामान जुटाकर ग्रिपर बाट नाम से रोबोट तैयार किया था। इस रोबोट को वस्तुओं को पकड़ने और बाधाओं के माध्यम से  नेविगेट करने के लिए बनाया गया है और यह छात्राओं की रोबोटिक्स विज्ञान की समझ और अनुप्रयोग को प्रदर्शित करता है।

छात्राएं अंतिम परिणामों की प्रतीक्षा कर रही हैं। प्रतियोगिता में भाग लेने आई पांचवी की छात्रा रेशमा भील ने कहा, वे बड़े होकर विज्ञानी बनना चाहती हैं। प्रतियोगिता के समय डर लग रहा था, लेकिन वहां रितिका दीदी (बीटेक की छात्रा और आयोजन समिति सदस्य) ने हौसला दिया।

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