भारतीय युवा वैज्ञानिक खोलेंगे सूर्य के कोरोना का रहस्य
भारत का समर्पित सौर अंतरिक्ष मिशन, आदित्य-एल। के हालिया लॉन्च ने देश के भीतर सौर भौतिकी अनुसंधान को वैश्विक सुर्खियों के साथ स्थापित कर दिया है।
एरीज की टीम में प्रो. दीपांकर बनर्जी, डॉ. एस कृष्णा प्रसाद डॉ. टीएस कुमार शामिल
सूर्य ग्रहण से मैक्सिको, अमेरिका और कनाडा में छा गया अंधेरा रारोटोंगा (अमेरिका)। उत्तरी अमेरिका में सोमवार को पूर्ण सूर्य ग्रहण से मैक्सिको, अमेरिका और कनाडा में आसमान में अंधेरा छा गया। पूर्ण सूर्यग्रहण कुछ स्थानों पर 4 मिनट, 28 सेकंड तक रहा। महाद्वीपीय उत्तरी अमेरिका में पूर्ण सूर्यग्रहण का अनुभव करने वाला पहला स्थान मेक्सिको प्रशांत तट रहा। उत्तरी अमेरिका में मेक्सिको के प्रशांत तट से लेकर पूर्वी कनाडा तक लाखों लोग इस खगोलीय घटना को देखने के लिए जुटे । भारतीय शोध टीम भी सूर्य ग्रहण के अध्ययन के लिए डलास व टेक्सास में मौजूद रही।
भारतीय युवावैज्ञानिक सूर्य के कोरोना रहस्य को गहराई से समझने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका पहुंचे हुए। हैं। कोरोना वह पहेली है जिसे सूर्य ग्रहण के दौरान ही देखा जा सकता है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के दो युवा वैज्ञानिक डॉ. एस कृष्णा प्रसाद और डॉ. टीएस कुमार के साथ निदेशक दीपांकर बनर्जी भी मौजूद रहेंगे। साल का पहला पूर्ण सूर्यग्रहण भारत से नहीं देखा जा सकेगा। अमेरिका पहुंचे वैज्ञानिकों ने ग्रहण के अध्ययन को लेकर रूपरेखा साझा की है।
ज्ञातव्य हो कि भारत का समर्पित सौर अंतरिक्ष मिशन, आदित्य-एल। के हालिया लॉन्च ने देश के भीतर सौर भौतिकी अनुसंधान को वैश्विक सुर्खियों के साथ स्थापित कर दिया है। जिस कारण विश्व की नजर भारत के इस मिशन में लगी हुई हैं। आदित्य के इस वर्ष जनवरी में एल। कक्षा में सफल प्रवेश के बाद सभी 7 पेलोड ने सूर्य और हेलियोस्फीयर की जांच शुरू कर दी है। सूर्यग्रहण के साथ सूर्य के अंदरूनी रहस्य को समझने के लिए यह बेहद उत्तम समय है। है आने वाले महीनों में आसन्न सौर मैक्सिमा के साथ उच्च महत्व की एक और खगोलीय घटना हमारे सामने आने वाली है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरन चंद्रमा एक पूर्ण गुप्त भूमिका निभाता है, इसलिए पूर्ण सूर्य ग्रहण सौर वातावरण, विशेष रूप से आंतरिक कोरोना, जहां महत्वपूर्ण गतिशीलता उत्पन्न होती । जिस कारण सूर्य ग्रहण निरीक्षण के लिए शानदार अवसर है। जिसके ऑब्जरवेशन के लिए एरीज के युवा शोधकर्ताओं की एक टीम उच्च आवृत्तियों पर सूर्य की आंतरिक कोरोना की गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए डलास, टेक्सास, संयुक्त राज्य अमेरिका में अभियान चला रही है।
ग्रहण के दौरान उत्पन्न होने वाली हरी उत्सर्जन रेखा में सौर कोरोना के उच्च-ताल नैरोबैंड इमेजिंग अवलोकन को शामिल किया गया है। इस अध्ययन में लाइन उत्सर्जन और निकटवर्ती सतह को देखने के लिए ऑन-बैंड और ऑफ-बैंड का प्रयोग करेंगे। साथ ही ग्रहण के दौरान पृथ्वी के ग्रहण क्षेत्र के वातावरण का अध्ययन भी किया जाएगा।
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