भारत की पहली ओलिंपिक तलवारबाज भवानी देवी चेन्नई की रहने वाली हैं
ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली तलवारबाज हैं भवानी तलवारबाजी (फेंसर) भवानी देवी का जन्म 1993 में आज ही चेन्नई में हुआ था। छठी कक्षा से ही तलवारबाजी में रुचि लेने लगीं।
2012 में जूनियर कामनवेल्थ फेंसिंग चैंपियनशिप में अपना पहला व्यक्तिगत पदक (कांस्य) जीता । 2017 में विमेंस वर्ल्ड कप सेटेलाइट टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में सोना जीतने वाली पहली भारतीय तलवारबाज बनीं । 2021 में ओलिंपिक (टोक्यो) में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय तलवारबाज बनकर इतिहास रच दिया।
भारत की पहली ओलिंपिक तलवारबाज भवानी देवी का जन्म 27 अगस्त 1993 में चेन्नई में हुआ था। बचपन से ही उनका रुझान खेलों की ओर था, लेकिन छठी कक्षा में तलवारबाजी ने उनका ध्यान आकर्षित किया। इस क्षेत्र में कदम रखते ही उन्होंने अपने कौशल और मेहनत से सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ।
भवानी की अंतरराष्ट्रीय पहचान 2012 में मिली, जब उन्होंने जूनियर कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। यह उनके करियर की शुरुआत थी, जिसने आगे उन्हें कई और बड़े मंचों पर सफलता दिलाई। 2017 में उन्होंने विमेंस वर्ल्ड कप सेटेलाइट टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतकर अपने करियर को एक नई दिशा दी। यह जीत भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि इससे पहले किसी भारतीय महिला तलवारबाज ने यह उपलब्धि हासिल नहीं की थी।
2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में भवानी देवी ने फिर से इतिहास रचते हुए सोने का पदक अपने नाम किया। इस उपलब्धि ने उन्हें भारत की पहली राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता तलवारबाज बना दिया। उनकी निरंतर मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें 2021 के टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय तलवारबाज बनने का गौरव दिलाया।
भवानी देवी ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से न केवल भारत में तलवारबाजी के खेल को नई पहचान दी, बल्कि युवाओं को भी प्रेरित किया। उनकी उपलब्धियां न केवल भारतीय खेल जगत में बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाती हैं। भवानी आज भी अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं, और आने वाले समय में उनसे और भी बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद की जा सकती है।
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