समान नागरिक संहिता की तैयारी में जुटी सरकार

समान नागरिक संहिता की तैयारी में जुटी सरकार, Government busy preparing uniform civil code, पीएम मोदी ने संविधान पर चर्चा के दौरान सेकुलर सिविल कोड के संवैधानिक महत्व पर की बात, लड़कियों की विवाह की न्यूनतम उम्र बढ़ाने का लैप्स हो चुका बिल भी इसी में समाहित होने का अनुमान

Dec 16, 2024 - 21:21
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समान नागरिक संहिता की तैयारी में जुटी सरकार 

Government busy preparing uniform civil code
  पीएम मोदी ने संविधान पर चर्चा के दौरान सेकुलर सिविल कोड के संवैधानिक महत्व पर की बात, लड़कियों की विवाह की न्यूनतम उम्र बढ़ाने का लैप्स हो चुका बिल भी इसी में समाहित होने का अनुमान
समान नागरिक संहिता एक बार फिर चर्चा में है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान पर चर्चा के दौरान सेकुलर सिविल कोड के संवैधानिक महत्व की बात कही है। भाजपा के घोषणापत्र में भी समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा शामिल है। ऐसे में प्रधानमंत्री ने चुनाव के बाद दूसरे संसद सत्र में इसकी महत्ता की बात कहकर संकेत दिया है कि सरकार समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी में जुटी है।

संविधान का अनुच्छेद-44 पूरे देश के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की बात करता है। इसमें कहा गया है कि भारत के सभी नागरिकों के लिए यूसीसी लागू करने की कोशिश की जाएगी। इसका मतलब है कि सभी नागरिकों के लिए शादी, तलाक, भरण- पोषण, विरासत, गोद लेना, वसीयत आदि का एक समान कानून होगा। अभी अलग-अलग धर्मों के पर्सनल ला हैं और उन्हीं के मुताबिक उन धर्मों में शादी, तलाक, भरण-पोषण, विरासत, वसीयत और गोद लेने आदि के नियम लागू होते हैं। अभी देश में सिर्फ गोवा में यूसीसी लागू है। प्रधानमंत्री ने चर्चा के दौरान कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर ने धार्मिक आधार पर बने पर्सनल ला को खत्म करने की वकालत की थी। संविधान सभा के सदस्य केएम मुंशी ने भी यूसीसी को राष्ट्र की एकता और आधुनिकता के लिए अनिवार्य बताया था।
यूसीसी के कुछ मुद्दे पहले ही तय हो चुके हैं। जैसे सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिमों में प्रचलित एक साथ तीन तलाक को गैरकानूनी ठहरा दिया था। इसके बाद सरकार लड़कियों की विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के बराबर 21 वर्ष करने का प्रस्तावित कानून एवं बाल विवाह निषेध विधेयक- 2021 लाई थी, लेकिन 17वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही यह विधेयक लैप्स हो गया। दो सप्ताह पहले महिला बाल विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने इस पर चर्चा की थी, लेकिन सरकार ने विधेयक लैप्स होने भर की बात कही गई, कोई नया विधेयक लाने के बारे में कोई संकेत नहीं दिया गया, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अब यह समान नागरिक संहिता का हिस्सा हो सकता है।

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