एक जुलाई 1965 में शुरू हुआ था CCSU शिक्षण संस्थान का सफर
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (पूर्व में, मेरठ विश्वविद्यालय) के पुरातन छात्र (एल्युमिनी) रहे हैं। अपने 59 वर्षों के सफर में यह विश्वविद्यालय वट वृक्ष की तरह बढ़ता गया।
एक जुलाई 1965 में शुरू हुआ था इस शिक्षण संस्थान का सफर
आंकड़ों में सीसीएसयू
• 40 विभाग हैं संचालित परिसर में
• 214 फैकल्टी हैं विश्वविद्यालय परिसर में
• 98 प्रोग्राम पढ़ा रहा है विश्वविद्यालय
• 22 यूजीसी वित्तपोषित पाठ्यक्रम हैं संचालित
• 258 कालेज संबद्ध हैं मेरठ में ही
भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पंकज मित्तल, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि डा. हरिओम पंवार, पूर्व राज्यपाल डा. सतपाल मलिक, प्रसिद्ध कृषि विज्ञानी डा. राजीव वाष्र्णेय, सुप्रसिद्ध कवि व कथावाचक कुमार विश्वास, ऊर्जा राज्यमंत्री डा. सोमेंद्र तोमर, किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत, अंतरराष्ट्रीय पहलवान अलका तोमर व दिव्या काकरान कुछ ऐसे नाम हैं, जिनके कार्यक्षेत्र भिन्न हैं, लेकिन इनमें एक समानता भी है।
ये सभी चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (पूर्व में, मेरठ विश्वविद्यालय) के पुरातन छात्र (एल्युमिनी) रहे हैं। अपने 59 वर्षों के सफर में यह विश्वविद्यालय वट वृक्ष की तरह बढ़ता गया। 25 जनवरी 1994 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने मेरठ विश्वविद्यालय का नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाम पर किया था। तेजी से किया बदलावों को आत्मसातः सीएसयू की स्थापना एक जुलाई 1965 को हुई थी। वर्तमान में यह देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में से एक है
वर्ष 2023 में नैक मूल्यांकन में 3.66 सीजीपीए के साथ ए-प्लसप्लस रैंकिंग मिली। सीसीएसयू से मेरठ मंडल के छह जिलों में करीब 700 कालेज संबद्ध हैं। करीब चार लाख विद्यार्थी विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे हैं। विश्वविद्यालय ने प्रदेश में सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू किया। वर्तमान में सीसीएसयू और संबद्ध कालेजों में एनईपी-2020 स्नातक और परास्नातक दोनों में लागू है। परिसर में इस सत्र 2024-25 से चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के साथ ही सभी पाठ्यक्रमों में आनर्स भी लागू कर दिया है। किराए के मकान से समृद्ध परिसर तक सीसीएसयू की शुरुआत गोल मार्केट, साकेत स्थित किराये की कोठी नंबर 65 में हुई थी। पहले कुलपति आरके सिंह अमेरिका से आए थे।
वर्ष 1968-69 में विश्वविद्यालय नौचंदी ग्राउंड पहुंचा। यहां दो वर्ष किराए के मकान में चलने के बाद 1971 में गढ़ रोड पर इलाहाबाद बैंक के पास पार्क की जमीन पर विश्वविद्यालय का भूमि पूजन हुआ। पहली परीक्षा 1967 में हुई थी। वर्तमान में 222 एकड़ भूमि पर फैले विशाल परिसर में खेल के मैदानों और प्रायोगिक क्षेत्रों, वनस्पति उद्यान, व्यायामशाला, तीन इंडोर स्टेडियम, सुसज्जित पुस्तकालय, लड़कियों के लिए दो और लड़कों के लिए छह छात्रावास, प्रशासनिक ब्लाक, तीन बड़े सभागार, अतिथि गृह, सामुदायिक केंद्र, चिकित्सा केंद्र, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों के लिए आवासीय क्वार्टर, कैंटीन, बैंक और डाकघर भी हैं।
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