महाभारत से महर्षि व्यास ने हमारे पूरे जीवन के मूल्यों

महाभारत से महर्षि व्यास ने हमारे पूरे जीवन के मूल्यों को

Oct 1, 2023 - 21:12
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महाभारत से महर्षि व्यास ने हमारे पूरे जीवन के मूल्यों

महाभारत से महर्षि व्यास ने हमारे पूरे जीवन के मूल्यों को समझाया है- पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी

ब्राजील के संविधान में आठ पेज संस्कृति पर हैं जबकि भारतीय संविधान में बस एक आर्टिकल - पूर्व आईएएस मनोज श्रीवास्तव

एनएलआईयू में दो दिवसीय 'यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव' का समापन, देशभर के विद्वानों को 300 डेलीगेट्स ने सुना

भोपाल। महाभारत से महर्षि व्यास ने हमारे पूरे जीवन के मूल्यों को समझाया है। इसके माध्यम से उन्होंने बताया है जीवन में ऐसा समय भी आता है जब सारी मर्यादाएं टूट जाती है, तब क्या होता है। यह विचार पद्मश्री से सम्मानित विद्वान डॉ. कपिल तिवारी ने यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव में कही। 'भारत की ज्ञान परंपरा' पर

कहा कि ज्ञान कभी किसी दौर में नया नहीं होता, वह सनातन है। इसलिए विवेकानंद कहते थे कि मेरी प्रशंसा मत करो, मेरे पास सिर्फ मीठी भाषा है, ज्ञान तो ऋषियों का है। कॉन्क्लेव में दूसरे दिन देश के कई प्रमुख विद्वानों ने विभिन्न विषयों पर विमर्श किया। 

डॉ . तिवारी ने रामायण और महाभारत के उदाहरणों से बताया कि जहां रामायण के राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, उनके तनिक अनुसरण से ही जीवन धन्य हो जाता है। वहीं महाभारत एक महान गाथा है, जिसमें आपको श्री कृष्ण बताते हैं कि सत्य के अलावा कोई और प्रतिज्ञा की तो जीवन आपको बंदी बना लेगा।

'भारतीय व्यू ऑफ़ वर्ल्ड सिविलाइजेशन' विषय पर आयोजित परिचर्चा में पूर्व आईएएस एवं लेखक मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि ब्राजील के संविधान में आठ पेज संस्कृति पर हैं जबकि भारतीय संविधान में बस एक आर्टिकल है। इस विषय पर अमृतांशु पाण्डेय ने कहा कि मंदिर पर्यटन एक ऐसी चीज़ है जो लोगों को फिर से धर्म से जोड़ रहा है। हम चाहते हैं कि लोग मंदिर आएं लेकिन हम नहीं चाहते कि वे इसका आधुनिकीकरण करें। वहीं, राघव कृष्णा ने कहा कि भारतीय सभ्यता में हम सभी शामिल हैं, यह किसी को पीछे नहीं छोड़ती। यह पूरी व्यवस्था विभिन्न सांस्कृतिक और भौगोलिक परिवर्तनों से बनी है। हमारे धर्म ने संस्कृति को सदैव ऊंचा स्थान दिया है। 

कार्यक्रम के अंतिम दिन टैलेंट हंट में देश के अलग–अलग कोने से चुनकर आए प्रतिभावान युवाओं ने अपनी प्रतिभा से युवाओं का दिल जीत लिया। समापन सत्र में वायटीएफ के निदेशक आशुतोष ठाकुर ने बताया कि कॉन्क्लेव में लगभग सभी राज्यों के चुने हुए 300 डेलीगेट्स व कई कलाकारों हिस्सा लिया है। कॉन्क्लेव का समापन राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष डॉ निशांत खरे के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इस अवसर पर उन्होंने इंटेलेक्चुअल लीडरशिप पर अपनी बात रखी। समापन समारोह में मुख्य वक्ता श्री रघुनंदन जी ने भी युवाओं को सम्बोधित करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। आभार एनएलआईयू विश्वविद्यालय की डीन डॉ. राका आर्या ने व्यक्त किया।

इन विषयों पर किया परिसंवाद : 

कॉन्क्लेव में प्रफुल्ल केतकर, स्वाति गोयल शर्मा, प्रखर श्रीवास्तव और रश्मि सावंत ने ‘नैरेटिव और इकोसिस्टम’ विषय पर विचार रखे। वहीं प्रो. राम शर्मा वोकइज्म’ पर बात की। वहीं अमृतांशु पाण्डेय ‘भारतीय दृष्टि में वैश्विक सभ्यताओं' पर प्रकाश डाला। इसके अलावा ‘दी भारतीय वे : रीइमेजिनिंग लॉ, गवर्नेंस एंड इकोनॉमी’ जैसे गंभीर एवं राष्ट्र हितैषी विषय पर राघव कृष्णा और मनोज श्रीवास्तव ने मंथन किया। पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी ‘भारत की सनातन ज्ञान परंपरा’ और नीरज अत्री, अलमोसो फ्री एवं रॉबर्टो रोसरियो ‘फ्रॉम डोगमा टू धर्म’ की बात की। 

बुलट बैलेट एंड ब्लड का विमोचन : 

कॉन्क्लेव के आखिरी दिन 'बुलट बैलेट एंड ब्लड' पुस्तक का विमोचन किया गया। इसे शिवम रघुवंशी और राहुल तिवारी ने लिखा है। यह पुस्तक पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की बात हुई हिंसा को सामने लाती है। शिवम ने बताया जितने क्राइम भारत के वेस्टर्न साइड में हो रहे हैं उतने ही पूर्वी क्षेत्र में भी हो रहे। लेकिन राष्ट्रीय मीडिया में ये नहीं आता। उन्होंने आठ महीने पश्चिम बंगाल के अलग-अलग जिलों में रहकर पुस्तक लिखी है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार