‘प्रकृति और व्यक्ति का एकत्व होने पर प्रकट होते हैं लोकगीत’

गत फरवरी को लखनऊ में लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी की पुस्तक ‘चंदन किवाड़’ का लोकार्पण हुआ। लोकार्पणकर्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा लोकगीतों में सामाजिक समरसता के दर्शन होते हैं। भारत की आत्मा एक है, किंतु उसके प्रकटीकरण अनेक हैं। भारत की संस्कृति एक है, पर […]

Mar 3, 2025 - 14:15
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‘प्रकृति और व्यक्ति का एकत्व होने पर प्रकट होते हैं लोकगीत’

गत फरवरी को लखनऊ में लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी की पुस्तक ‘चंदन किवाड़’ का लोकार्पण हुआ। लोकार्पणकर्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा लोकगीतों में सामाजिक समरसता के दर्शन होते हैं।

भारत की आत्मा एक है, किंतु उसके प्रकटीकरण अनेक हैं। भारत की संस्कृति एक है, पर उसकी अभिव्यक्ति अनेक हैं। पुस्तकों से पढ़ा गया इतिहास जानकारी के लिए हो सकता है, लेकिन जीने का पाथेय तो भारत के सांस्कृतिक इतिहास, लोकगीत, लोकसंगीत, लोकनृत्य, लोकसाहित्य और भारत की हजारों बोलियों में है।

जब प्रकृति और व्यक्ति का एकत्व हो जाता है, तो लोकगीत प्रकट होते हैं। मैं मूलत कन्नड़ भाषी हूं। हमारे यहां भी एक लोकगीत है, जिसका हिंदी रूपांतरण है-‘मैं सुबह उठकर किस-किस का वंदन करूं। तिल और धान को उगाने वाली भूमि ही मेरी मां है। अत: उसी को पहले प्रणाम कर दिन की शुरुआत करूं।’ उन्होंने कहा कि भारत के सर्व समाज के लोगों ने कर्म को ही पूजा मानकर भारत को संपन्न बनाया है। लोकगीतों में इसे आज भी संजोकर रखा गया है।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख श्री स्वांत रंजन, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, प्रांत प्रचारक श्री कौशल, राष्ट्रधर्म के निदेशक मनोज कांत, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्री राजेंद्र आदि उपस्थित रहे।

आत्मशुद्धि की प्रतीक शिवरात्रि’

शिवरात्रि के पावन अवसर पर गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति और प्रज्ञा प्रवाह, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘शिवोहम- जागृति काल’ नाम से 24 घंटे का प्रवचन एवं सांस्कृतिक आयोजन हुआ। इसका आरंभ 26 फरवरी को हुआ। इस अनूठे आयोजन में प्रतिष्ठित विद्वानों, शिक्षाविदों, कलाकारों और आध्यात्मिक विचारकों ने भाग लिया। इस अवसर पर रुद्राभिषेक भी किया गया।

उद्घाटन सत्र में प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक श्री जे. नंदकुमार ने कहा कि शिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और जागरण का प्रतीक है। इस दिन उपवास, रात्रि-जागरण और मंत्रोच्चार से मन और आत्मा की शुद्धि होती है। गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के निदेशक डॉ. ज्वाला प्रसाद ने कहा कि शिव का ध्यान हमें त्याग, सृजन और विनाश के संतुलन का संदेश देता है।

प्रो. जगबीर सिंह (कुलपति, पंजाब विश्वविद्यालय, बठिंडा), डॉ. ज्वाला प्रसाद (निदेशक, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति), प्रो. श्री प्रकाश सिंह (निदेशक, दक्षिणी परिसर, दिल्ली विश्वविद्यालय), पद्मश्री बतूल बेगम (प्रसिद्ध गायिका), प्रो. राणा पी. बी. सिंह (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय), प्रो. कुमुद शर्मा (उपाध्यक्ष, साहित्य अकादमी), श्रीमती मोनिका अरोड़ा (प्रख्यात विचारक) और डॉ. मृत्युञ्जय गुहा मजूमदार (लेखक) आदि विद्वानों ने भी शिव तत्व, अध्यात्म और जीवन दर्शन, शिव और भारतीय कला, शिव और योग परंपरा जैसे विषयों पर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत शास्त्रीय संगीत, लोक नृत्य और भजनों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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