जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती गांवों में रक्षा गार्ड्स को विशेष प्रशिक्षण

जम्मू कश्मीर। सांबा ज़िले में सीमा सुरक्षा बल (BSF) और स्थानीय पुलिस द्वारा सीमावर्ती गाँवों के ‘गाँव रक्षा गार्ड्स’ (VDGs) को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण का उद्देश्य आतंकवाद, अवैध घुसपैठ और संदिग्ध गतिविधियों से निपटने के लिए गाँवों की प्रथम प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत करना है। VDGs को INSAS और SLR जैसे […] The post जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती गांवों में रक्षा गार्ड्स को विशेष प्रशिक्षण appeared first on VSK Bharat.

जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती गांवों में रक्षा गार्ड्स को विशेष प्रशिक्षण

जम्मू कश्मीर। सांबा ज़िले में सीमा सुरक्षा बल (BSF) और स्थानीय पुलिस द्वारा सीमावर्ती गाँवों के ‘गाँव रक्षा गार्ड्स’ (VDGs) को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण का उद्देश्य आतंकवाद, अवैध घुसपैठ और संदिग्ध गतिविधियों से निपटने के लिए गाँवों की प्रथम प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत करना है। VDGs को INSAS और SLR जैसे आधुनिक हथियारों की जानकारी और इस्तेमाल सिखाया जा रहा है। साथ ही निगरानी और आपातकालीन सूचना प्रणाली का प्रशिक्षण भी दिया गया।

प्रशिक्षण न केवल सुरक्षा बलों का सहयोगी नेटवर्क तैयार करता है, बल्कि सीमावर्ती ग्रामीणों में आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना भी पैदा करता है। गाँवों के लोग अब BSF और पुलिस के साथ गश्त में भाग लेकर क्षेत्र की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। यह पहल सीमावर्ती क्षेत्रों को सुरक्षित और स्थिर रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही है।

सीमा की सुरक्षा व देश विरोधी तत्वों का सामना करने के लिए विलेज डिफेंस गार्डस में शामिल सीमांतवासी सेल्फ लोडिंग राइफल चलाने में दक्ष हो रहे हैं। सांबा के रामगढ़ में मंगलवार को सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने वीडीजी के सदस्यों को प्रशिक्षण देकर उन्हें सिखाया कि उन्हें देशविरोधी तत्वों के मंसूबों को किस तरह से नाकाम बनाना है।

प्रदेश में 200 किलोमीटर के करीब अंतरराष्ट्रीय सीमा पर देश के दुश्मनों को नाकाम बनाने के लिए तीसरा घेरा सीमांतवासियों का है। पाकिस्तान की पूरी कोशिश रहती है कि वह खूनखराबा करने के लिए सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ करवाए। ऐसे में सीमांत गांवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली वीडीजी को सिखाया जा रहा है कि उन्हें 7.62 एमएम एसएलआर का रख-रखाव, इसे दुश्मन पर गोली दागने के लिए तैयार रखने के साथ दुश्मन पर पक्का निशाना किस तरह से लगाना है। वीडीजी में शामिल काफी सीमांतवासी सेना, सुरक्षाबलों के सेवानृवित कर्मी हैं।

पहले वीडीजी के सदस्यों के पास आतंकियों का सामना करने के लिए थ्री नॉट थ्री राइफल होती थी। इसमें गोली चलाने के लिए पहले इसे लोड करना पड़ता था। ऐसे में वीडीजी को एके 47 से लैस आतंकियों का सामना करने में मुश्किल होती थी।

आतंकियों का सामना करने के लिए वीडीजी के सदस्यों को एसएलआर देने की प्रक्रिया वर्ष 2023 में शुरू हुई थी। अब वीडीजी के सदस्यों के पास आतंकियों से लोहा लेने के लिए एसएलआर राइफलें हैं। इससे आतंकियों पर त्वरित प्रहार करना संभव होता है।

सेना के साथ सीमा सुरक्षा बल, जम्मू फ्रंटियर भी जम्मू सेक्टर के सीमावर्ती क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से वीडीजी के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। ऐसे में रामगढ़ से पहले सीसुब ने जम्मू के अखनूर, अरनिया, आरएस पुरा में वीडीजी द्वारा हथियार चलाने, सुरक्षा खतरों का जवाब देने के लिए तैयार किया था।

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