केजरीवाल के झूठे दावे, साथियों ने छोड़ा साथ, क्या इस बार अपनाएगी दिल्ली?

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए औपचारिक एलान होना अभी बाकी है। चुनाव के लिए तैयारियां अपने अंतिम चरण में है। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव में फतह हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का दम लगा रही हैं। वहीं, इस चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के नेताओं का अचानक साथ छोड़ना ‘आप’ के लिए खतरे की […]

Dec 23, 2024 - 21:48
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केजरीवाल के झूठे दावे, साथियों ने छोड़ा साथ, क्या इस बार अपनाएगी दिल्ली?

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए औपचारिक एलान होना अभी बाकी है। चुनाव के लिए तैयारियां अपने अंतिम चरण में है। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव में फतह हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का दम लगा रही हैं। वहीं, इस चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के नेताओं का अचानक साथ छोड़ना ‘आप’ के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है। तीसरे कार्यकाल में केजरीवाल और उनकी पार्टी की काफी फजीहत हो चुकी है। शीशमहल कांड हो या शराब घोटाला या फिर मुख्यमंत्री आवास में पार्टी की ही सांसद स्वाती मालीवाल से केजरीवाल के निजी सचिव द्वारा की गई मारपीट। इन सभी मामलों की वजह से आम आदमी पार्टी गलत कारणों से सुर्खियों में रही। इसके अलावा मंत्री सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और खुद केजरीवाल को तिहाड़ जेल की हवा खानी पड़ी। भले ही चुनाव से पहले सभी नेताओं को जमानत मिल गई, लेकिन दिल्ली की जनता का विश्वास उन पर पहले से कम हुआ है, ये वो भी भलिभांति जान चुके हैं। यही कारण है कि वह देश की राजधानी में अन्य राजनीतिक दलों की रणनीति अपना रहे हैं।

बीते दिनों आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता के लिए दो बड़ी योजनाओं की घोषणा की। इसमें पहली योजना मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना है और दूसरी संजीवनी योजना। महिला सम्मान योजना के तहत आप सरकार हर महिला को प्रति माह 2100 रुपए देगी। वहीं संजीवनी योजना के तहत 60 साल से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों का मुफ्त इलाज कराया जाएगा। केजरीवाल का कहना है कि आप के कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों का पंजीकरण करेंगे। यही नहीं केजरीवाल ने महिला सम्मान योजना में 35 से 40 लाख महिलाओं और संजीवनी योजना के तहत 10 से 15 लाख बुजुर्गों को लाभ मिलने का वादा किया है। हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब आम आदमी पार्टी की लोगों से अप्रत्यक्ष रूप से पैसों के बदले वोट मांगने की मंशा उजागर हुई हो। इससे पहले यही काम वह पंजाब में चुनाव होने से पहले भी कर चुके हैं।

उल्लेखनीय है चुनाव से पहले पंजाब में आप सरकार ने महिलाओं को एक हजार रुपए देने की घोषणा की थी, लेकिन वहां अभी त​क महिलाओं को एक रुपए भी नहीं मिले हैं। भाजपा ने आप पर आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब की महिलाओं को अभी तक एक भी रुपया नहीं दिया, जबकि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत जिन राज्यों में भाजपा ने महिलाओं से जुड़ी योजना की घोषणा की, वहां पर उनकी सरकार महिलाओं को इसका लाभ दे रही है। केजरीवाल ने केंद्र सरकार की बुजुर्गों के लिए जनकल्याणकारी आयुष्मान योजना को देश की राजधानी में लागू नहीं होने दिया। ऐसे में उनके द्वारा लाई गई संजीवनी योजना क्या एक दिखावा है? क्या यह सब वह जनता का विश्वास जीतने और वोट बैंक बनाने के लिए कर रहे है? सवाल यह है कि अगर उन्हें बुजुर्गों के लिए संजीवनी योजना लानी ही थी, तो उन्होंने दिल्ली में आयुष्मान योजना को क्यों नहीं लागू होने दिया?

क्या है संजीवनी योजना?

अरविंद केजरीवाल की संजीवनी योजना के तहत दिल्ली के 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों का इलाज निशुल्क होगा। केजरीवाल के मुताबिक सरकार इलाज का सारा खर्च उठाएगी। संजीवनी योजना का लाभ हर आय वर्ग के लोगों को मिलेगा, यानी आय को लेकर कोई सीमा नहीं होगी।

क्या है आयुष्मान योजना

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। केंद्र सरकार के इस फैसले से 4.5 करोड़ परिवारों के 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को फायदा होगा। इस योजना के तहत कैंसर, हार्ट डिसीज और किडनी से जुड़ी बीमारियों के अलावा कोरोना और मोतियाबिंद जैसी कई बड़ी बीमारियों को कवर किया जाता है। आधार कार्ड में लिखी हुई जन्मतिथि के आधार पर अगर बुजुर्ग की आयु 70 वर्ष हो रही है तो उन सभी को अब इस योजना का लाभ मिलेगा, चाहे उनकी इनकम कुछ भी हो। पेंशन मिलने वालों को इस योजना का लाभ मिलेगा।

खैर, केजरीवाल के झूठे दावे, राजनीतिक द्वेष, लोगों को गुमराह करने की रणनीति और कुछ मतभेदों के चलते पार्टी के कई दिग्गज नेता उनसे दूर होते चले गए। इनमें कैलाश गहलोत, राज कुमार आनंद, राजेंद्र पाल गौतम, किरण बेदी, कवि कुमार विश्वास, आशुतोष, आशीष खेतान, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, शाजिया इल्मी और कपिल मिश्रा जैसे नाम शामिल हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब केजरीवाल के कई साथी चुनाव से पहले उनका साथ छोड़ सकते हैं, तो क्या दिल्ली की जनता मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी के लालच में उन्हें एक बार फिर सत्ता में आने का मौका देगी?

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