मार्शल लॉ केस में गिरफ्तार दक्षिण कोरिया के पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग ने की आत्महत्या की कोशिश

दक्षिण कोरिया के पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग ह्यून ने हिरासत में रहते हुए आत्महत्या का प्रयास किया। उन्हें हाल ही में मार्शल लॉ लागू करने और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। सियोल के डिटेंशन सेंटर में रखे गए किम ने आत्महत्या करने की कोशिश की। कोरिया करेक्शनल सर्विस के […]

Dec 11, 2024 - 15:04
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मार्शल लॉ केस में गिरफ्तार दक्षिण कोरिया के पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग ने की आत्महत्या की कोशिश

दक्षिण कोरिया के पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग ह्यून ने हिरासत में रहते हुए आत्महत्या का प्रयास किया। उन्हें हाल ही में मार्शल लॉ लागू करने और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। सियोल के डिटेंशन सेंटर में रखे गए किम ने आत्महत्या करने की कोशिश की। कोरिया करेक्शनल सर्विस के कमिश्नर जनरल शिन योंग ने बताया कि जेल अधिकारियों ने समय रहते उन्हें बचा लिया। फिलहाल उनकी हालत स्थिर है। न्याय मंत्री पार्क सुंग जे ने भी इस घटना की पुष्टि की है।

क्यों हुई गिरफ्तारी?

किम योंग ह्यून पर 3 दिसंबर को मार्शल लॉ लागू करने का आरोप है। इस मामले में वह गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्ति हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने नेशनल असेंबली (संसद) को बंद करने के लिए पुलिस और सैन्य बलों को तैनात किया। हालांकि, सांसद संसद भवन में प्रवेश करने में सफल रहे और मार्शल लॉ के आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद कैबिनेट को 4 दिसंबर को इसे वापस लेना पड़ा।

क्या हैं आरोप?

किम पर “विद्रोह” और “सत्ता का दुरुपयोग” जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उनका नाम राष्ट्रपति यून सुक येओल और अन्य अफसरों के साथ मार्शल लॉ लागू करने की साजिश में भी जोड़ा जा रहा है। अदालत ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया, जिसके बाद बुधवार को उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया।

विद्रोह के मामले की जांच

किम योंग ह्यून के काम को “विद्रोह” के दायरे में लाने की जांच चल रही है। यदि यह साबित होता है, तो दक्षिण कोरिया के कानून के तहत दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड की सजा तक हो सकती है। विपक्षी पार्टियां किम पर महाभियोग चलाने की तैयारी में हैं।

क्या था मार्शल लॉ प्रकरण?

मार्शल लॉ लागू करने के दौरान पुलिस और सैनिकों ने नेशनल असेंबली को चारों ओर से घेर लिया था। यह तैनाती किम के आदेश पर की गई थी। इसका उद्देश्य संसद को निर्णय लेने से रोकना था। हालांकि, सांसद इस बाधा को पार करने में सफल रहे और मार्शल लॉ को असंवैधानिक करार दिया।

 

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