तो एम्स को सौंप देंगे अपोलो अस्पताल... सुप्रीम कोर्ट ने क्यों मांग लिया हलफनामा

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वे एक्सपर्ट्स की टीम गठित कर अपोलो अस्पताल के पिछले पांच वर्षों के रिकॉर्ड की जांच करें। यह जांच इस बात की पुष्टि करेगी कि क्या अस्पताल ने 1994 के लीज समझौते के अनुसार गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज की अपनी प्रतिबद्धता पूरी की है।

Mar 26, 2025 - 05:25
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तो एम्स को सौंप देंगे अपोलो अस्पताल... सुप्रीम कोर्ट ने क्यों मांग लिया हलफनामा
नई दिल्ली : ने मंगलवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वे एक्सपर्ट्स की एक संयुक्त टीम भेजकर अपोलो अस्पताल के पिछले पांच वर्षों के रिकॉर्ड की जांच करें ताकि पता लगाया जा सके कि क्या उसने 1994 के लीज समझौते के अनुसार 30% इनडोर और 40% आउटडोर रोगियों को मुफ्त इलाज प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा किया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि अगर यह समझौते का उल्लंघन करता पाया गया तो वह इसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान को सौंपने में संकोच नहीं करेगा। इसके तहत इसे 1 रुपये प्रति माह के टोकन किराए पर 15 एकड़ प्रमुख भूमि दी गई थी।

गरीब रोगियों को कितने फ्री बेड

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने लीज समझौते का हवाला दिया, जिसके तहत दिल्ली सरकार की 26% हिस्सेदारी वाली इंद्रप्रस्थ मेडिकल कॉरपोरेशन को मथुरा रोड पर अपोलो अस्पताल स्थापित करने के लिए भूमि आवंटित की गई थी। बेंच ने कहा, 'हमें यकीन नहीं है कि अस्पताल अपने इनडोर सुविधा में गरीब रोगियों को 200 मुफ्त बिस्तर उपलब्ध करा रहा है या नहीं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसडी आनंद ने पीठ को सूचित किया कि अपोलो अस्पताल को आवंटित भूमि का 30 साल की लीज समाप्त हो गई है। इसके कारण पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार को पिछले पांच वर्षों के अस्पताल के रिकॉर्ड का निरीक्षण करने के लिए एक एक्सपर्ट टीम गठित करने का आदेश दिया ताकि पता लगाया जा सके कि उसने लीज समझौते की शर्तों का सम्मान किया है या नहीं।

अपोलो अस्पताल से मांगा हलफनामा

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि अगर लीज का नवीनीकरण नहीं हुआ तो अपोलो अस्पताल की जमीन और इमारत का क्या यूज किया गया। जस्टिस कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक्सपर्ट्स टीम से अस्पताल के रिकॉर्ड से यह पता लगाने को कहा कि पिछले पांच सालों में कितने गरीब मरीजों को आउटडोर और इनडोर सुविधाओं में मुफ्त इलाज दिया गया। इसने अस्पताल प्रबंधन को विशेषज्ञों द्वारा रिकॉर्ड की जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। अदालत ने अस्पताल से गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज का ब्योरा देते हुए हलफनामा दाखिल करने को भी कहा और मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद तय की। साथ ही चेतावनी दी कि अगर अस्पताल को ठीक से और लीज समझौते के अनुसार नहीं चलाया जा रहा है तो हम इसका संचालन एम्स को देने में संकोच नहीं करेंगे।

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