तमिलनाडु: BJP कार्यालय से ‘भारत माता’ की प्रतिमा हटाने पर मद्रास हाई कोर्ट भड़का, DMK सरकार को फटकारा, कहा-वापस लौटाएं

एमके स्टालिन की अगुवाई वाली तमिलनाडु की डीएमके सरकार को सिर्फ सनातन धर्म से ही नफरत नहीं, उसे तो अब ‘भारत माता’ से भी नफरत होने लगी है। अपनी इसी नफरत के चलते स्टालिन सरकार ने राज्य में बीजेपी के कार्यालय में स्थापित भारत माता की प्रतिमा को हटवा दिया। लेकिन, उसकी ये कारस्तानी उसी […]

Nov 14, 2024 - 09:53
 0  1
तमिलनाडु: BJP कार्यालय से ‘भारत माता’ की प्रतिमा हटाने पर मद्रास हाई कोर्ट भड़का, DMK सरकार को फटकारा, कहा-वापस लौटाएं
Madrass high court on brothel

एमके स्टालिन की अगुवाई वाली तमिलनाडु की डीएमके सरकार को सिर्फ सनातन धर्म से ही नफरत नहीं, उसे तो अब ‘भारत माता’ से भी नफरत होने लगी है। अपनी इसी नफरत के चलते स्टालिन सरकार ने राज्य में बीजेपी के कार्यालय में स्थापित भारत माता की प्रतिमा को हटवा दिया। लेकिन, उसकी ये कारस्तानी उसी पर तब भारी पड़ गई, जब मद्रास हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए प्रतिमा को तुरंत बीजेपी को वापस करने का आदेश दिया।

हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद वेकेंटेश ने पुलिस प्रशासन के द्वारा बीजेपी कार्यालय से प्रतिमा को हटाने पर टिप्पणी की कि ये राज्य सरकार का कार्य नहीं है कि वे किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी के अंदर चल रही गतिविधियों पर नियंत्रण करने की कोशिशें करे। जस्टिस आनंद ने माना कि इस बात में किसी भी तरह का कोई संदेह नहीं है कि प्रशासन ने मनमानी की है। कोर्ट ने डीएमके सरकार की ओर इशारा करते हुए आशंका जताई कि हो सकता है कि पुलिस ने ये सब किसी के दबाव में आकर किया है।

कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है। जस्टिस आनंद ने डीएमके सरकार को फटकार लगाते हुए चेतावनी दी कि हम कल्याणकारी राज्य में रहते हैं। ये बहुत ही निंदनीय है, ध्यान रखें भविष्य में दोबारा ऐसा न हो। संवैधानिक अदालत इस कृत्य को कभी बर्दाश्त नहीं कर सकती है। जस्टिस वेंकटेश कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति अपने विवेक से कोई भी कार्य करता है तो वो ये कभी नहीं कहेगा कि देश से प्रेम और अपनी देशभक्ति को व्यक्त करना किसी भी प्रकार से समाजिक हितों को नुकसान पहुंचाता है।

असल, में भारत माता की प्रतिमा को घर में या गार्डेन में रखना श्रद्धा का प्रतीक माना जा सकता है।

क्या है पूरा मामला

इस घटना की शुरुआत साल 2022 से होती है। जब हाई कोर्ट के ही एक आदेश को आधार बनाकर डीएमके सरकार ने भाजपा को टार्गेट किया। उसने बीजेपी को एक नोटिस भेजकर कहा कि किसी भी नेता की प्रतिमा को स्थापित नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार का तर्क था कि जिन प्रतिमाओं से सार्वजनिक अशांति का खतरा हो, उन्हें हटाना होगा। बाद में भारत माता की प्रतिमा को सामाजिक अशांति का प्रतीक मानते हुए उसे बीजेपी कार्यालय से पुलिस ने हटा लिया।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

Bharatiyanews हमारा अपना समाचार आप सब के लिए|