अब फाइलों में गुम नहीं होगा न्याय

एंट्री इन सभी विभागों में आनलाइन तत्काल उपलब्ध हो जाएगी। इससे फारेंसिक या मेडिकल रिपोर्ट पुलिस की जांच अधिकारी को कोर्ट में पेश नहीं करना पड़ेगा, बल्कि यह ई-कोर्ट प्लेटफार्म पर स्वतः कोर्ट को मिल जाएगी।

Jun 29, 2024 - 20:43
Jun 29, 2024 - 20:46
 0  9
अब फाइलों में गुम नहीं होगा न्याय

अब फाइलों में गुम नहीं होगा न्याय

सीसीटीएनएस, ई-फारेंसिक, ई-कोर्ट, ई-प्रासिक्यूशन, ई-प्रिजन को जोड़ने का काम पूरा, 'वन डाटा वन एंट्री' से सभी प्लेटफार्म पर होंगी मुकदमे संबंधी जानकारी व दस्तावेज 

एक जुलाई से नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली फाइलों के बोझ से मुक्त हो जाएगी। पुलिस, फारेंसिक, अभियोजन, कोर्ट और जेल पूरी तरह से आपस में आनलाइन जुड़ जाएंगे और किसी एक जगह की गई एंट्री इन सभी विभागों में आनलाइन तत्काल उपलब्ध हो जाएगी। इससे फारेंसिक या मेडिकल रिपोर्ट पुलिस की जांच अधिकारी को कोर्ट में पेश नहीं करना पड़ेगा, बल्कि यह ई-कोर्ट प्लेटफार्म पर स्वतः कोर्ट को मिल जाएगी।


इसी तरह से कोर्ट के आदेश की प्रति लेकर जेल के अधिकारी के पास जाने की जरूरत खत्म हो जाएगी। ई-प्रिजन प्लेटफार्म पर स्वतः जेल के अधिकारी को मिल जाएगा। क्राइम एंड क्रिमिनिल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस), ई-फारेंसिक 

ई-प्रासिक्यूशन, ई-कोर्ट और ई-प्रिजन के बीच सूचनाओं के निर्बाध आदान-प्रदान के लिए इन्हें आपस में जोड़ने का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है।  भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के लागू होने के बाद थाना, कोर्ट, सरकारी वकील में मुकदमे से संबंधित सभी दस्तावेज अलग अलग रखने की जरूरत नहीं रहेगी।

एफआइआर के साथ-साथ केस डायरी, फारेंसिक व मेडिकल रिपोर्ट व गवाहों के बयान सीसीटीएनएस प्लेटफार्म पर उपलब्ध होंगे, जिन्हें कंप्यूटर पर एक क्लिक के साथ जज, सरकारी वकील और जांच अधिकारी देख सकता है।
कानूनों के क्रियान्वयन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे 'वन डाटा, वन एंट्री' के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। फारेंसिक टीम एफआइआर व केस  

नंबर के साथ रिपोर्ट ई-फारेंसिक प्लेटफार्म पर अपलोड करेगी और तत्काल यह ई-कोर्ट, ई-प्रासिक्यूशन, सीसीटीएनएस पर उपलब्ध होगी। इसी तरह से वीडियो कांफ्रेसिंग से लिए गए बयान या गवाही सभी प्लेटफार्म पर स्वतः उपलब्ध होगी। जज जैसे ही ई-कोर्ट प्लेटफार्म पर केस नंबर डालेंगे, उससे जुड़ी एफआइआर, बयान, व अन्य रिपोर्ट सहित सभी दस्तावेज सामने होंगे।

रंग लाई एक दशक की मेहनत 

नई आपराधिक न्याय प्रणाली में फाइलों के बोझ से मुक्ति के पीछे पिछले एक दशक की मेहनत है। सीसीटीएनएस, ई-कोर्ट, ई-प्रिजन, ई-फारेंसिक और ई-प्रासिक्यूशन प्लेटफार्म तैयार करने का काम एक दशक से अधिक समय से चल रहा है। सीसीटीएनएस से देश के लगभग सभी 16 हजार से अधिक थाने जुड़ चुके हैं और आनलाइन एफआइआर की सुविधा से लैस हैं। ई-कोर्ट से सभी अदालतें, ई-प्रिजन से सभी जेल, ई-फारेंसिक से सभी फारेंसिक लैब और ई-प्रोसिक्यूशन से सभी अभियोजन विभाग

जुड़ चुके हैं। अंग्रेजों के जमाने के कानूनों की जगह भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली बनाने के दौरान इसे अत्याधुनिक बनाने का फैसला किया गया। इसके लिए 2022 में इन अलग- अलग प्लेटफार्म को एक साथ जोड़ने के लिए कैबिनेट ने 3,375 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। दो साल में यह काम काफी हद तक पूरा हो गया है। इसमें जुवेलाइन होम्स, फिंगर प्रिंट्स व आपराधिक न्याय प्रणाली से जुड़े अन्य डिजिटल प्लेटफार्म को जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है, जो एक साल के भीतर पूरा हो जाएगा।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

सम्पादक देश विदेश भर में लाखों भारतीयों और भारतीय प्रवासियों लोगो तक पहुंचने के लिए भारत का प्रमुख हिंदी अंग्रेजी ऑनलाइन समाचार पोर्टल है जो अपने देश के संपर्क में रहने के लिए उत्सुक हैं। https://bharatiya.news/ आपको अपनी आवाज उठाने की आजादी देता है आप यहां सीधे ईमेल के जरिए लॉग इन करके अपने लेख लिख समाचार दे सकते हैं. अगर आप अपनी किसी विषय पर खबर देना चाहते हें तो E-mail कर सकते हें newsbhartiy@gmail.com