आज का इतिहास 14 मार्च की ऐतिहासिक घटनाएँ जरुर जाने

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Mar 14, 2025 - 04:47
Mar 14, 2025 - 05:08
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आज का इतिहास 14 मार्च की ऐतिहासिक घटनाएँ जरुर जाने

14 मार्च की ऐतिहासिक घटनाएँ

1987 - फिजी में रक्तहीन सैनिक क्रान्ति

14 मार्च 1987 को फिजी में एक रक्तहीन सैनिक क्रांति के बाद सरकार का तख्ता पलट दिया गया। इस क्रांति का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल सितवेनी रामबुका ने किया था, जो देश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण सत्ता पर काबिज हुए। इस घटनाक्रम ने फिजी की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित किया और वहां के राजनीतिक परिदृश्य में सेना के प्रभाव को मजबूत किया। हालांकि यह क्रांति बिना किसी बड़े संघर्ष के हुई, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव फिजी की राजनीति और समाज पर पड़े। इस तख्तापलट के कारण फिजी में लोकतांत्रिक शासन की प्रक्रिया कमजोर हो गई और जातीय तनाव बढ़ गया।

1989 - दक्षिण अफ़्रीका में सत्ता परिवर्तन

दक्षिण अफ्रीका की नेशनल पार्टी ने 14 मार्च 1989 को पीटर विलेम बोथा को हटाकर एफ.डब्ल्यू.डी. क्लार्क को देश का नया राष्ट्रपति नियुक्त किया। यह बदलाव ऐसे समय में हुआ जब दक्षिण अफ्रीका अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और देश के अंदर नस्लभेदी नीतियों के खिलाफ विरोध झेल रहा था। क्लार्क ने सत्ता में आने के बाद रंगभेद नीतियों को खत्म करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए और नेल्सन मंडेला की रिहाई का मार्ग प्रशस्त किया। उनके शासनकाल में दक्षिण अफ्रीका में लोकतांत्रिक सुधारों की शुरुआत हुई, जिससे 1994 में देश में पहली बहुजातीय चुनाव प्रक्रिया संभव हो सकी।

1990 - हैती की प्रथम महिला राष्ट्रपति

14 मार्च 1990 को अर्था पास्कल-ट्राविल हैती की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं। उन्होंने एक अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया और देश में राजनीतिक स्थिरता लाने की कोशिश की। हैती, जो लंबे समय से राजनीतिक उथल-पुथल और तानाशाही शासन से प्रभावित था, के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण था। ट्राविल के नेतृत्व में देश को लोकतांत्रिक प्रक्रिया की ओर ले जाने का प्रयास किया गया, लेकिन उनकी सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हालांकि उनका कार्यकाल अल्पकालिक रहा, लेकिन उन्होंने हैती की राजनीति में महिलाओं की भूमिका को मजबूत किया और भविष्य में महिला नेतृत्व के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

1999 - कार्लोस मोया बना नंबर एक टेनिस खिलाड़ी

स्पेन के टेनिस खिलाड़ी कार्लोस मोया 14 मार्च 1999 को विश्व के नंबर एक टेनिस खिलाड़ी बने। यह स्पेनिश टेनिस के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, क्योंकि मोया अपने मजबूत खेल और आक्रामक रणनीति के लिए जाने जाते थे। उन्होंने 1998 में फ्रेंच ओपन का खिताब जीता था और उनकी निरंतर बेहतरीन प्रदर्शन ने उन्हें विश्व टेनिस रैंकिंग में शीर्ष स्थान दिलाया। मोया का यह सफर आने वाले स्पेनिश खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ और उनके बाद राफेल नडाल सहित कई अन्य खिलाड़ियों ने विश्व टेनिस पर राज किया।

2000 - सीरिया के नए प्रधानमंत्री मोहम्मद मुस्तफा मेरो

14 मार्च 2000 को मोहम्मद मुस्तफा मेरो को सीरिया का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने हाफिज़ अल-असद की सरकार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश में आर्थिक व प्रशासनिक सुधार लाने के प्रयास किए। उनके शासनकाल में सीरिया ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की और क्षेत्रीय नीतियों में संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया। हालांकि, उनका कार्यकाल कई चुनौतियों से भरा था, क्योंकि सीरिया को आर्थिक कठिनाइयों और अंतरराष्ट्रीय दबावों का सामना करना पड़ा। फिर भी, उन्होंने देश में बुनियादी ढांचे और आर्थिक सुधारों की दिशा में कई कदम उठाए।

2001 - अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध बढ़ाया

संयुक्त राज्य अमेरिका ने 14 मार्च 2001 को ईरान पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों की अवधि बढ़ाने की घोषणा की। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम और कथित आतंकवादी संगठनों के समर्थन को रोकना था। अमेरिका और ईरान के बीच संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं, और इस फैसले ने दोनों देशों के बीच और अधिक दूरी पैदा कर दी। अमेरिकी सरकार का दावा था कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम से वैश्विक शांति को खतरा है, जबकि ईरान ने इसे अपने आत्मरक्षा के अधिकार का उल्लंघन बताया। यह प्रतिबंध कई वर्षों तक जारी रहे और अमेरिका-ईरान संबंधों पर गहरा असर पड़ा।

2001 - फिजी में नया कार्यवाहक प्रधानमंत्री

फिजी में 14 मार्च 2001 को रातुविता मोमेदोनू को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति उस समय हुई जब देश राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य हस्तक्षेप के दौर से गुजर रहा था। फिजी में लगातार तख्तापलट और सरकारों के अस्थिर रहने की स्थिति ने लोकतंत्र को कमजोर किया। मोमेदोनू को एक संतुलित और स्थायी शासन स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन फिजी में राजनीतिक गतिरोध के कारण उनकी भूमिका सीमित रही। उनका कार्यकाल फिजी की राजनीतिक अस्थिरता के दौर का हिस्सा था, जिसने देश की लोकतांत्रिक संरचना को कमजोर कर दिया।

14 मार्च की ऐतिहासिक घटनाएँ

2002 - सर्बिया और यूगोस्लाविया में संधि

14 मार्च 2002 को सर्बिया और यूगोस्लाविया के बीच एक महत्वपूर्ण संधि पर हस्ताक्षर किए गए। इस संधि के तहत, यूगोस्लाविया को आधिकारिक रूप से सर्बिया और मोंटेनेग्रो में पुनर्गठित किया गया, जिससे 2003 में "संघीय गणराज्य यूगोस्लाविया" का अस्तित्व समाप्त हो गया। यह संधि बाल्कन क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने के प्रयासों का हिस्सा थी, क्योंकि 1990 के दशक में यूगोस्लाविया के विघटन के दौरान वहां भारी संघर्ष हुआ था। इस समझौते ने क्षेत्रीय स्वायत्तता को बढ़ावा दिया और बाल्कन देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

2002 - गाजा पट्टी में सेना का प्रवेश

इजरायली सेना 14 मार्च 2002 को गाजा पट्टी में घुसी, जिससे इस क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया। यह कार्रवाई उस समय हुई जब फिलिस्तीनी और इजरायली संघर्ष चरम पर था। इजरायली सरकार का दावा था कि यह सैन्य अभियान आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए किया गया था, जबकि फिलिस्तीनियों ने इसे जबरन दमन बताया। इस संघर्ष ने मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया को प्रभावित किया और दोनों पक्षों के बीच हिंसा की एक नई लहर शुरू हुई। गाजा पट्टी में इजरायली सैन्य हस्तक्षेप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादास्पद रहा और इसे मानवीय संकट के रूप में देखा गया।

2004 - चीन में निजी संपत्ति को कानूनी मान्यता

14 मार्च 2004 को चीन ने अपने संविधान में संशोधन कर निजी संपत्ति को कानूनी मान्यता दी। यह चीन की आर्थिक नीतियों में एक बड़ा बदलाव था, क्योंकि यह देश पारंपरिक रूप से साम्यवादी विचारधारा पर आधारित था, जहां संपत्ति को राज्य के अधीन माना जाता था। इस संशोधन के बाद नागरिकों को अपनी निजी संपत्ति पर कानूनी अधिकार मिला और देश में बाज़ार आधारित अर्थव्यवस्था को और अधिक बढ़ावा मिला। यह सुधार चीन में आर्थिक विकास और विदेशी निवेश को आकर्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसने देश की आर्थिक नीतियों में लचीलापन लाने में मदद की।

2007 - कारगिल और स्कार्दु के बीच बस सेवा पर सहमति

भारत और पाकिस्तान के बीच 14 मार्च 2007 को कारगिल और स्कार्दु के बीच बस सेवा शुरू करने पर सहमति बनी। यह निर्णय दोनों देशों के बीच शांति वार्ता का हिस्सा था और इसे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना गया। इस बस सेवा का उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर में बंटे हुए परिवारों को जोड़ना था, जिससे लोग आसानी से एक-दूसरे से मिल सकें। यह पहल सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के प्रयासों का प्रतीक बनी।

2008 - विक्ट्री समूह ने ब्रिटिश कंपनी क्रेग एंड डेरिकार का अधिग्रहण किया

14 मार्च 2008 को भारतीय कंपनी विक्ट्री समूह ने ब्रिटेन की प्रसिद्ध स्विचगियर निर्माता कंपनी 'क्रेग एंड डेरिकार' का अधिग्रहण किया। यह अधिग्रहण भारत के बढ़ते आर्थिक प्रभाव का संकेत था, क्योंकि भारतीय कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही थीं। यह सौदा भारत की वैश्विक औद्योगिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण था, जिसने भारतीय उद्योग को विश्व मंच पर मजबूत स्थिति दिलाई। इस अधिग्रहण के माध्यम से विक्ट्री समूह ने अपने व्यापारिक दायरे को बढ़ाया और यूरोपीय बाजार में अपनी स्थिति मजबूत की।

2008 - आसिफ अली जरदारी घूसखोरी के आरोपों से बरी

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह-चेयरमैन आसिफ अली जरदारी को 14 मार्च 2008 को घूसखोरी के आरोपों से बरी कर दिया गया। उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप थे, लेकिन अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें निर्दोष करार दिया। इस फैसले ने पाकिस्तान की राजनीति में हलचल मचा दी, क्योंकि जरदारी को पहले "मिस्टर 10 पर्सेंट" के रूप में जाना जाता था, जो रिश्वतखोरी के आरोपों को दर्शाता था। बरी होने के बाद, जरदारी ने पाकिस्तान की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाई और 2008 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने। उनका शासनकाल विवादों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने लोकतंत्र को स्थिर करने में भी योगदान दिया।

2018 - स्टीफन हॉकिंग का निधन

14 मार्च 2018 को महान ब्रितानी भौतिकशास्त्री और ब्रह्माण्ड विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग का 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें 'ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' जैसी पुस्तकों के लिए जाना जाता है, जिसने जटिल वैज्ञानिक विषयों को आम जनता तक पहुंचाया। हॉकिंग ने ब्लैक होल और ब्रह्मांड विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनके शोध ने विज्ञान की दुनिया में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। उनके जीवन की सबसे प्रेरणादायक बात यह थी कि मोटर न्यूरॉन रोग से ग्रस्त होने के बावजूद उन्होंने अपने शोध कार्य जारी रखे और विज्ञान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनका निधन विज्ञान जगत के लिए एक बड़ी क्षति थी।

14 मार्च को जन्मे महान व्यक्तित्व

अलबर्ट आइंस्टाइन (1879)

14 मार्च 1879 को जन्मे अलबर्ट आइंस्टाइन आधुनिक विज्ञान के सबसे प्रभावशाली भौतिकशास्त्रियों में से एक थे। उन्होंने सापेक्षता का सिद्धांत (Theory of Relativity) दिया, जिससे समय और स्थान की हमारी समझ बदल गई। उनका प्रसिद्ध समीकरण E=mc² ऊर्जा और द्रव्य के बीच संबंध को दर्शाता है। 1921 में उन्हें भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। उनका वैज्ञानिक योगदान ब्रह्मांड की गहरी समझ में मदद करता है और वे आज भी विज्ञान की दुनिया में प्रेरणा बने हुए हैं।

गुरमुख निहाल सिंह (1895)

गुरमुख निहाल सिंह का जन्म 14 मार्च 1895 को हुआ था। वे दिल्ली के दूसरे मुख्यमंत्री और राजस्थान के पहले राज्यपाल थे। उनकी प्रशासनिक क्षमताएं और कुशल नेतृत्व भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वे शिक्षा और समाज सुधार के प्रति समर्पित थे और उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जो भारत के विकास में सहायक बने।

दानमल माथुर (1904)

दानमल माथुर का जन्म 14 मार्च 1904 को हुआ था। वे राजस्थान के प्रसिद्ध और अत्यधिक सम्मानित प्रकाशक थे। उन्होंने साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनकी पहल से कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन हुआ, जिससे ज्ञान और संस्कृति का प्रसार हुआ। राजस्थान में साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में उनका योगदान अविस्मरणीय है।

एस. के. पोट्टेक्काट्ट (1913)

एस. के. पोट्टेक्काट्ट का जन्म 14 मार्च 1913 को हुआ था। वे मलयालम भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण उपन्यास, कहानियाँ और यात्रा वृत्तांत लिखे। उनके लेखन में केरल की सामाजिक और सांस्कृतिक झलक मिलती है। उनकी साहित्यिक कृतियों को कई पुरस्कार मिले, जिनमें ज्ञानपीठ पुरस्कार भी शामिल है।

आमिर ख़ान (1965)

14 मार्च 1965 को जन्मे आमिर ख़ान भारतीय फिल्म उद्योग के सबसे प्रतिष्ठित अभिनेताओं में से एक हैं। उन्होंने 'लगान', 'दंगल', 'तारे ज़मीन पर', 'पीके' जैसी कई शानदार फ़िल्में दी हैं। वे न केवल एक बेहतरीन अभिनेता हैं, बल्कि एक निर्देशक और निर्माता के रूप में भी उन्होंने बॉलीवुड में नई ऊंचाइयाँ छुई हैं। आमिर ख़ान अपनी फिल्मों में सामाजिक मुद्दों को उठाने और बेहतरीन अभिनय के लिए जाने जाते हैं। 

14 मार्च को हुए निधन: यादें और विरासत

डॉ. वेदप्रताप वैदिक (2023)

डॉ. वेदप्रताप वैदिक का 14 मार्च 2023 को नई दिल्ली में निधन हो गया। वे एक प्रतिष्ठित पत्रकार, लेखक और अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ थे। उनकी पत्रकारिता शैली और हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा। वे भारतीय विदेश नीति और सामाजिक विषयों पर अपनी स्पष्ट राय के लिए जाने जाते थे।

स्टीफन हॉकिंग (2018)

स्टीफन हॉकिंग, ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने वाले महान वैज्ञानिक, का 14 मार्च 2018 को निधन हुआ। वे ब्लैक होल और ब्रह्मांड विज्ञान पर अपने शोध के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी पुस्तक "A Brief History of Time" ने विज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमताओं के बावजूद विज्ञान में अभूतपूर्व योगदान दिया।

गोविन्द विनायक करंदीकर (2010)

गोविन्द विनायक करंदीकर मराठी साहित्य के प्रतिष्ठित कवि, लेखक और अनुवादक थे। उन्होंने कई काव्य संग्रह लिखे और मराठी साहित्य को समृद्ध किया। उनके लेखन में गहरी दार्शनिकता और समाज की सजीव झलक मिलती थी।

वीरेन्द्र पाटिल (1997)

वीरेन्द्र पाटिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रहे और अपनी सादगी व निष्पक्ष शासन के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने कर्नाटक के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

के. सी. अब्राहम (1986)

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता के. सी. अब्राहम ने राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे जनकल्याणकारी नीतियों और सामाजिक सुधारों के प्रति समर्पित थे।

कार्ल मार्क्स (1883)

जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता कार्ल मार्क्स का 14 मार्च 1883 को निधन हुआ। उनकी रचना "दास कैपिटल" और "कम्युनिस्ट घोषणापत्र" ने दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला। उनका विचारधारा आज भी समाजवादी और साम्यवादी आंदोलनों की प्रेरणा बनी हुई है।

जयनारायण व्यास (1963)

जयनारायण व्यास भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री थे। वे सामाजिक सुधारों और विकास योजनाओं के लिए जाने जाते थे। भारतीय राजनीति में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही और राजस्थान के निर्माण में उनका योगदान अमूल्य था।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,