चाचा नेहरू जीवन परिचय और बाल दिवस

चाचा नेहरू जीवन परिचय और बाल दिवस

Nov 14, 2024 - 08:32
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चाचा नेहरू जीवन परिचय और बाल दिवस

चाचा नेहरू जीवन परिचय और बाल दिवस

भारत में बाल दिवस हर वर्ष 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति प्रेम और उनके विकास में योगदान अतुलनीय है, और इसी वजह से बच्चों में उन्हें ‘चाचा नेहरू’ के नाम से जाना जाता है।

चाचा नेहरू का जीवन परिचय

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख वकील थे, और माता स्वरूपरानी नेहरू एक धार्मिक महिला थीं। नेहरू की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई, और बाद में वे इंग्लैंड के प्रतिष्ठित हैरो और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ने गए। उन्होंने लॉ की शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से प्राप्त की और भारत वापस लौटने के बाद स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई।

बच्चों के प्रति नेहरू का प्रेम

नेहरू का मानना था कि बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं, और एक बेहतर भविष्य का निर्माण तभी संभव है, जब बच्चों की सही शिक्षा और पोषण किया जाए। वे कहते थे, "आज के बच्चे कल का भारत बनाएंगे। जिस तरह से हम उनका पालन-पोषण करेंगे, वही भारत का भविष्य निर्धारित करेगा।" उनकी इस सोच के कारण वे बच्चों के प्रिय बन गए।

बाल दिवस का इतिहास

भारत में पहले बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व बाल दिवस के रूप में घोषित है। लेकिन 1964 में नेहरू जी की मृत्यु के बाद, उनकी याद और बच्चों के प्रति उनके असीम प्रेम के सम्मान में उनकी जयंती को बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। तब से 14 नवंबर को भारत में बाल दिवस मनाया जाता है।

बाल दिवस का महत्व

बाल दिवस न केवल बच्चों के प्रति प्रेम और उनकी शिक्षा व सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि यह समाज को बच्चों के अधिकारों, उनकी जरूरतों और उनकी बेहतरी के प्रति भी जागरूक करता है। इस दिन बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और अधिकारों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

नेहरू और बाल विकास

पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति प्रेम केवल भावनात्मक नहीं था, बल्कि उन्होंने बच्चों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए। उनकी सरकार ने बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। उनकी सोच थी कि बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दिए बिना भारत का भविष्य उज्जवल नहीं हो सकता। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण शैक्षिक संस्थानों की स्थापना की गई, जैसे कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम)।

शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

नेहरू का मानना था कि समाज को शिक्षित करने के लिए बच्चों की शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय नीतियां बनाईं और नए स्कूलों व कॉलेजों की स्थापना को बढ़ावा दिया। उन्होंने भारत में वैज्ञानिक सोच और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए वैज्ञानिक संस्थानों और प्रयोगशालाओं की स्थापना की।

बाल अधिकारों की पैरवी

चाचा नेहरू का मानना था कि बच्चों के पास एक सुरक्षित और प्यार भरा वातावरण होना चाहिए, जहां वे अपने बचपन को खुशी और मस्ती के साथ बिता सकें। उन्होंने बाल मजदूरी और बाल शोषण के खिलाफ आवाज उठाई और बच्चों के अधिकारों के समर्थन में काम किया। नेहरू की इस सोच के परिणामस्वरूप, भारतीय संविधान में बच्चों के अधिकारों को विशेष महत्व दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 39 (ई) और 39 (एफ) में यह सुनिश्चित किया गया है कि बच्चों का विकास सुरक्षित और स्वस्थ माहौल में हो।

बाल दिवस पर मनाए जाने वाले कार्यक्रम

बाल दिवस पर देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन स्कूलों में बच्चों के लिए विशेष गतिविधियाँ जैसे नृत्य, गीत, चित्रकला प्रतियोगिताएं, खेल, नाटक, और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। यह दिन न केवल बच्चों को उनके महत्व का एहसास दिलाता है बल्कि उन्हें अपनी छिपी हुई प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने का मौका भी देता है।

अनेक सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा भी इस दिन विभिन्न कार्यशालाओं, संगोष्ठियों और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। बाल अधिकारों, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देने वाले विषयों पर चर्चा की जाती है, जिससे बच्चों की समग्र विकास की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा सकें।

चाचा नेहरू की बच्चों के प्रति भावना

नेहरू जी बच्चों को बहुत महत्व देते थे और उन्हें ‘राष्ट्र के भविष्य का निर्माता’ मानते थे। बच्चों के प्रति उनकी इसी संवेदनशीलता और प्रेम ने उन्हें चाचा नेहरू के रूप में लोकप्रिय बना दिया। वे अक्सर बच्चों के साथ समय बिताते थे और उनके सवालों का सरलता से जवाब देते थे। उनकी यह सहजता और मिलनसार स्वभाव बच्चों को उनकी ओर आकर्षित करता था। बच्चों के साथ उनका यह रिश्ता इतना प्रगाढ़ था कि बच्चों ने उन्हें चाचा कहकर पुकारना शुरू कर दिया।

बाल दिवस की वर्तमान प्रासंगिकता

बाल दिवस का महत्व वर्तमान में और भी बढ़ गया है, क्योंकि आज भी भारत में कई बच्चे शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और अधिकारों से वंचित हैं। बाल दिवस के अवसर पर समाज को यह याद दिलाया जाता है कि बच्चों की बेहतरी के लिए हमें सतत प्रयास करते रहना चाहिए। इस दिन बच्चों के प्रति हमारी जिम्मेदारी और उनके प्रति समाज की भूमिका को समझने की जरूरत है।

बाल दिवस का संदेश

बाल दिवस का मुख्य संदेश यही है कि हम बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा के लिए काम करें और उन्हें एक सुरक्षित, खुशहाल और सशक्त बचपन प्रदान करें। नेहरू जी का मानना था कि अगर हम बच्चों की देखभाल ठीक से करें, तो भारत का भविष्य स्वतः ही उज्जवल होगा। उनके अनुसार, बच्चों में अपार संभावनाएं हैं और हमें उनकी क्षमताओं को निखारने का प्रयास करना चाहिए।

इस प्रकार, चाचा नेहरू का बाल दिवस के प्रति प्रेम और उनका बच्चों के प्रति समर्पण समाज को बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और विकास के प्रति जागरूक करता है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार