चिनार के पेड़ों का 'आधार नंबर'! जम्मू-कश्मरी में रियल-टाइम ट्रैकिंग से जंगलों की अवैध कटाई रोकने में मिली मदद

चिनार के पेड़ कश्मीर की विरासत का हिस्सा हैं और इन्हें बचाना बहुत ज़रूरी है। डिजिटल ट्री आधार पहल से इन पेड़ों का संरक्षण सुनिश्चित होगा और आने वाली पीढ़ियां भी इनकी खूबसूरती का आनंद ले पाएंगी।

Mar 13, 2025 - 07:11
 0
चिनार के पेड़ों का 'आधार नंबर'! जम्मू-कश्मरी में रियल-टाइम ट्रैकिंग से जंगलों की अवैध कटाई रोकने में मिली मदद
श्रीनगर: कश्मीर में जब मौसम रंग बदलते है तो चिनार के पेड़ पतझड़ में लाल और बसंत में हरे रंग से जगमगाते हैं। मगर कई सालों से, लालच की वजह से या कभी-कभी सड़ने के बहाने से कानूनी तौर पर संरक्षित इन पेड़ों को काटा गया है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब हर चिनार पेड़ को एक पहचान मिल गई है। जम्मू-कश्मीर वन अनुसंधान संस्थान (JKFRI) की 'डिजिटल ट्री आधार' पहल के जरिए, चिनार के पेड़ों को एक विशेष नंबर दिया गया है। ये नंबर भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) और QR कोड के साथ डिजिटल दुनिया में दर्ज किए गए हैं ताकि पेड़ों पर नज़र रखी जा सके और उनकी निगरानी की जा सके।वन विभाग के अधिकारी सैयद तारिक काशानी ने कहा कि यह कार के नंबर प्लेट की तरह है। काशानी ने कई सालों तक चिनार की गणना का काम किया है। उन्होंने कहा किकार के नंबर से आप कार और उसके मालिक के बारे में सब कुछ पता लगा सकते हैं। उसी तरह, हमने चिनार के पेड़ों के लिए ऐसा किया है। धातु के कार्ड पेड़ों की शाखाओं से सम्मान के पदक की तरह लटकते हैं। इन कार्ड्स पर कोड में जानकारी लिखी होती है, जैसे कि स्थान, ऊंचाई, स्वास्थ्य जिसे एक स्पर्श से स्कैन किया जा सकता है।डिजिटल रिकॉर्ड से हर पेड़ पर नज़र रखी जा रहीइनके डिजिटल रिकॉर्ड से हर पेड़ पर नज़र रखी जा सकती है, उसके स्वास्थ्य की जाँच की जा सकती है। इससे पेड़ की अनुपस्थिति का पता लगाया जा सकता है। शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और अवैध कटाई ने इन राजसी पेड़ों पर बुरा असर डाला है। ये पेड़ 98 फीट तक ऊंचे हो सकते हैं और इनके पत्ते मेपल के पत्तों जैसे बड़े होते हैं। आधार के साथ, अतिक्रमण, अवैध कटाई और उपेक्षा अब किसी की नज़र से नहीं बच पाएगी। एक समय कश्मीर में चिनार के पेड़ों की संख्या अनिश्चित थी। एक अनुमान के अनुसार 4,000 से 40,000 के बीच थे। लेकिन जब काशानी और उनकी टीम ने 2021 में अपना काम शुरू किया, तो सच्चाई सामने आई। कश्मीर में 28,560 चिनार के पेड़ गिने गए। हालांकि, सैन्य छावनियों की ऊंची दीवारों के पीछे कई और पेड़ छिपे हुए हैं, जिनकी गिनती की अनुमति का इंतजार है।कितने पेड़ों को पेड़ों को जियोटैग किया गया2021-22 में 18,000 पेड़ों को जियोटैग किया गया। 2023-24 में 10,000 और पेड़ों को। प्रत्येक पेड़ को मापा और रिकॉर्ड किया गया, उसके देशांतर, अक्षांश, ऊंचाई, स्वास्थ्य, ऊंचाई और यहां तक कि छाती की ऊँचाई पर व्यास को भी दर्ज किया गया। इनमें से कुछ पेड़ बाकियों से ऊँचे हैं, जिनकी उम्र सदियों पुरानी है। बडगाम जिले में एशिया के कुछ सबसे पुराने चिनार के पेड़ हैं, जिनकी जड़ें घाटी की आत्मा में गहराई तक धंसी हुई हैं।
@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,