उत्तर प्रदेश का राजनैतिक समीकरण

देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर निकलता है। देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश, देश की सबसे बड़ी सियासत का विद्यालय माना जाता है। जिसने यूपी जीत लिया। मान लिया जाता है कि, दिल्ली में भी वहीं सरकार बनाएगा।

Jan 15, 2024 - 00:13
Mar 18, 2024 - 11:29
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उत्तर प्रदेश का राजनैतिक समीकरण

कहते हैं कि देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर निकलता है। देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश, देश की सबसे बड़ी सियासत का विद्यालय माना जाता है। जिसने यूपी जीत लिया। मान लिया जाता है कि, दिल्ली में भी वहीं सरकार बनाएगा। तभी तो जब 2014 में BJP को केंद्र में सरकार बनानी थी। तो अपने सबसे बड़े चेहरे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से चुनाव लड़वाया गया। अब एक बार फिर यूपी पर ही सबसे ज्यादा चर्चा नज़र आ रही है, लेकिन इस बार मौका 2024 के लोकसभा चुनाव का है।

फिर उत्तर प्रदेश को फतेह करने के लिए सभी पार्टियां जीन जान से जुट गयी हैं। चुनावी विश्लेषण तो अभी तक कई हो चुके हैं, समीकरणों की जानकारी भी दी गई है, लेकिन एक ही जगह पर आसान भाषा में अगर यूपी का पूरा ज्ञान भारतीय न्यूज़ पर मिल जाए। तो ये चुनाव समझना और आसान हो जाएगा और हर राजनैतिक पार्टियों की रणनीति भी पकड़ में आ पाएगी। 

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यूपी में "कितनी सीटें, कितने हिस्से" के बारे में?

उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों का विभाजन चार प्रमुख क्षेत्रों में होता है: पश्चिमी यूपी, पूर्वांचल, अवध, और बुंदेलखंड। इन क्षेत्रों में राजनीतिक मुद्दे, समीकरण और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य विभिन्न होते हैं, जिससे यूपी की राजनीति एक सांगठित, परंपरागत और जटिल रूप में रहती है।

पश्चिमी यूपी का राजनीतिक सीना जाट, मुस्लिम, और दलित समाज के आसपास घूमता है। इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता का अंश 32% होकर आगे है, जो पूरे राज्य के लिए सर्वाधिक है। यहां जाट समाज भी 17% का हिस्सा है, जो पूरे यूपी में 4% है। दलितों की संख्या यहां 26% है, जिसमें 80% जाटव समुदाय के होते हैं।

पूर्वांचल, यूपी का पिछड़ा इलाका, ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया, और दलित समाज के बीच रहता है। यहां किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण है और इस इलाके ने पांच प्रधानमंत्रियों को दिया है, भले ही यह एक पिछड़ा क्षेत्र हो।

अवध, यूपी का सबसे बड़ा क्षेत्र, ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया, और ओबीसी वर्ग के बीच एक संवेदनशील सीना है। यहां ब्राह्मणों का अंश 12%, ठाकुरों का 7%, बनियाओं का 5%, ओबीसी का 43%, और यादव समाज का 7% है। इस इलाके से लोकसभा की 18 सीटें आती हैं।

बुंदेलखंड, यूपी का जल संकट के लिए जाना जाता है, जिसमें ओबीसी और दलित वोटरों का महत्वपूर्ण योगदान है। यहां सामान्य वर्ग का 22%, ओबीसी का 43%, और दलित का 26% हिस्सा है। बुंदेलखंड से पांच लोकसभा सीटें निकलती हैं, जो राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

उत्तर प्रदेश का राजनीतिक सीना इन चार हिस्सों में विभाजित है, जिससे राजनीतिक विविधता और जटिलता बढ़ती है। यह राज्य देश की राजनीतिक स्थिति पर भी बहुपक्षीय प्रभाव डालता है, जिससे इसका महत्व अत्यधिक है।

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यूपी की सबसे निर्णायक जातियां

उत्तर प्रदेश फतेह करने के लिए जातियों की समझ ही सबकुछ है। यहां विकास के नाम पर वोट भी तभी मिलता है, जब जातियों को सही तरह से साधा जाए। यूपी की राजनीति समझने के लिए जातियों का थोड़ा बहुत ज्ञान होना बहुत जरूरी है। बात चाहे ओबीसी की हो, मुस्लिम की हो या सवर्ण समाज को साधने की, सभी का यूपी की सियासत में अहम योगदान रहता है।

मुस्लिम वोट: यूपी में मुस्लिम आबादी का अंश बड़ा होने के कारण इस समाज का वोट राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है। इसे विभिन्न दलों ने अपने साथ खींचने का प्रयास किया है। यहां 20% के करीब मुस्लिम रहते हैं और उनका वोट सभी पार्टियों के लिए खासी बात रहता है। इसमें बीजेपी ने भी अपनी नजरें बढ़ाई हैं, जो बीते कुछ समय में मुस्लिम वोटों में भागीदारी बढ़ा रही है।

OBC वोट: उत्तर प्रदेश में OBC वर्ग राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण वोटबैंक है। इसमें कई छोटी उप-जातियां शामिल हैं, जो विभिन्न दलों को इस वर्ग के अंदर आपसी समझ बनाए रखने के लिए कठिनाइयों का सामना करते हैं। OBC आबादी का लगभग 52% है और इसमें गैर यादव वर्ग का विशेष महत्व है। बीजेपी ने भी इस वर्ग को अपने पास करने के लिए कड़ी कोशिशें की हैं।

ब्राह्मण वोट: ब्राह्मण समाज का वोट राजनीतिक दलों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, और इसे वाराणसी, महाराजगंज, गोरखपुर, जौनपुर, अमेठी, कानपुर, प्रयागराज, संत करीब नगर जैसे जिलों में बड़ा होता है। ब्राह्मण आबादी लगभग 8-10% है और इसे दलों ने अपनी साथी बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण वोटबैंक माना है।

यूपी की राजनीति जातियों के बीच समझदारी बनाए रखने पर निर्भर करती है, जिससे दलों को अपने वोटबैंक को संजीदगी से संभालना होता है। इस विविधता में बराबरी और समाज को सशक्त बनाए रखने के लिए विचारशीलता और सामजिक समरसता की आवश्यकता है।

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यूपी के सबसे बड़े सियासी चेहरे

अब यूपी की राजनीति, जातीय समीकरणों के आधार पर तो चलती ही है। उन्हें चलाने वाले वो सियासी चेहरो का भी योगदान रहता हैं। जो जनता के बीच जाते हैं। सालों साल मेहनत करते हैं। और तब जाकर लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच पाते हैं। यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव तक कई अहम चेहरे महत्वपूर्ण हैं।

योगी आदित्यनाथ- सीएम योगी आदित्यनाथ BJP के फायरब्रैंड नेता हैं। हिंदुत्व की राजनीति कर लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचे योगी आदित्यनाथ वर्तमान में देश के सबसे चर्चित मुख्यमंत्री भी माने जाते हैं। जो कि वर्तमान में गोरखपुर से विधायक हैं। भारतीय जनता पार्टी ने उनके चेहरे के दम पर दो बार यूपी में अपनी सरकार बना ली है और लोकसभा की 80 सीटें जीतने का टारगेट भी रखा है।

अखिलेश यादव- सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस समय करहल सीट से विधायक हैं। समाजवाद पार्टी के सबसे बड़े चेहरे होने के साथ-साथ सबसे युवा सीएम का तमगा भी अखिलेश यादव को जाता है। सपा में अब जिस तरह से आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होने लगा है। जिस तरह से सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ी है। उसका क्रेडिट भी अखिलेश यादव को जाता है।

मायावती, यूपी की सियासत के अभिन्न हिस्से में चार बार की मुख्यमंत्री रही हैं और दलित समाज के प्रमुख चेहरे मानी जाती हैं। 2001 से बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष भी हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी कायम है। उनका भतीजा आकाश आनंद उनके उत्तराधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।

ओपी राजभर, सुलेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष, वर्तमान में बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं और उनका पूर्वांचल में महत्वपूर्ण स्थान है। यूपी की सियासत में उनकी अहमियत को इसी बात से समझा जा सकता है कि पूर्वांचल की लगभग हर सीट पर उनकी एक निर्णायक भूमिका है। वर्तमान में वे यूपी के जहूराबाद से विधायक है।

जयंत चौधरी- यूपी में जब भी जाटों का जिक्र किया जाता है, जयंत चौधरी के नाम का आना भी लाजिमी है। इस समय उनकी पार्टी RLD जरूर राज्य में हाशिए पर आ चुकी है, लेकिन वे लगातार जमीन पर संघर्ष कर रहे हैं। पश्चिमी यूपी में पूरी तरह सक्रिय जयंत इस बार अखिलेश के साद दिखाई देंगे।

इन नेताओं के अलावा यूपी में समय-समय पर संजय निषाद, केशव प्रसाद मौर्य,इमरान मसूद, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राजा भैया, शिवपाल, अनुप्रिया पटेल, आजम खान और संजीव बालियान जैसे नेताओं का भी जिक्र होता रहता है।

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उत्तर प्रदेश के बड़े मुद्दे

उत्तर प्रदेश, अपने आप में एक विशाल राज्य, विविधता से भरपूर है। यहां की आबादी और समस्याएं समझने के लिए यहां के हर क्षेत्र की विशेषताओं पर जोर देना महत्वपूर्ण है।

महंगाई और बेरोजगारी: समाजवादी पार्टी ने महंगाई और बेरोजगारी को मुद्दा बनाने का प्रयास किया है, जो यूपी में आपसी प्रतिस्पर्धा में महत्वपूर्ण हैं। इससे विपक्ष ने बीजेपी को घेरने का प्रयास किया है।

किसान मुद्दा: किसानों का मुद्दा भी बड़ा है और इसे विपक्ष ने बीजेपी के खिलाफ उठाया है। जातिगत जनगणना के माध्यम से भी वोट का आकड़ा बढ़ाने की तैयारी दिख रही है।

कानून व्यवस्था: बीजेपी ने कानून व्यवस्था पर फोकस करके खुद को सुरक्षित और निरपेक्ष दिखाने का प्रयास किया है। इसमें योगी राज में कानून व्यवस्था में सुधार की कहानी को बढ़ावा मिला है।

बुलडोजर कार्रवाई: बुलडोजर कार्रवाई के माध्यम से भी बीजेपी ने अपनी शक्ति दिखाई है और इसे सफलता के रूप में प्रदर्शित किया है, जो उसे वापसी में मदद कर सकता है।

पानी का संकट: बुंदेलखंड में पानी की स्थिति एक बड़ा सियासी मुद्दा बना हुआ है और इस पर ध्यान देने की तैयारी दिख रही है। बीजेपी ने इसे सुधारने के लिए प्रयास किया है, जो उसे चुनावी लड़ाई में फायदा पहुंचा सकता है।

इस प्रबंधन में विपक्ष और सत्ताधारी दल दोनों ने अपने-अपने मुद्दों को तैयार रखा है, और चुनाव में इन मुद्दों को लेकर मुकाबला होने की संभावना है।

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।