पेड़ों के नीचे कुछ तो है कोई बुद्ध बन जाता है तो कोई न्यूटन

मेरे घर के आंगन में एक पेड़ खड़ा है नीम का

Mar 7, 2024 - 20:02
Mar 7, 2024 - 20:12
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पेड़ों के नीचे कुछ तो है कोई बुद्ध बन जाता है तो कोई न्यूटन

मेरे आँगन का नीम

मेरे घर के आंगन में एक पेड़ खड़ा है नीम का

जाने क्यों उस पर ठहर जाती है मेरी नजर जा कर

आजकल रोज ही देखती हूँ मैं

उसके पत्तो को झड़ते हुए 

हरे हरे पत्ते पीले से होने लगे है

जरा सी हवा से अपनी जगह से खोने लगे है

क्षण क्षण वो पेड़ मुझे उम्रदराज़ लगने लगा है

पहले उसकी डालियां घने घने पत्तो से थी भरी

कोई गौरैया जो बैठ जाए तो गायब हो जाती थी

पर अब गौरैया दिखती है मुझे रोज

शायद तलाशती है वो भी अपना घोंसला 

कभी उसका भी था यहाँ घरौंदा 

कुछ पल बैठ जाती है उस सुखी सी डाली पर

फिर बाते करती है अपने उस नीम के पेड़ से

धीरे धीरे वो पेड़ खाली हो जाएगा 

 कोई भी उस पर ना बसेरा बनाएगा 

पर ज्यूँ ज्यूँ वक़्त गुजरता जाएगा 

देखना फिर से वो पेड़ लहराएगा

छोटी छोटी सी कोंपल फूटेगी 

फिर पत्तो की शक्ल में ढल जाएगी

फिर से गौरैया गीत गुनगुनएगी

मेरे नीम की हरियाली वापस लौट आएगी

पहले जैसा मेरा नीम मेरे आंगन में ही रह जाएगा

और नए नए मौसम से नहाएगा 

यही तो रीत बनाई विधाता ने

सूखे के बाद हरियाली आएगी ही

नीम से सीख मैंने ना घबराना किसी मौसम से

कोई तुम्हारी जड़ो को ना हिला पाएगा

रखना हौसला खुद पर बस

फिर देखना तुम्हारा नाम भी जग में जगमगाएगा ।

वृक्षों के नीचे: बुद्ध से लेकर न्यूटन तक

प्राचीन समय से ही प्रकृति में विद्यमान रहने वाले वृक्षों को हमारे समाज में गौरव के साथ देखा जाता है। यहाँ तक कि धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में भी वृक्षों को देवता माना जाता है। वृक्षों के नीचे बैठकर कुछ विशेष व्यक्तियों ने अपनी आत्मा की खोज में रहते हुए आध्यात्मिक सृष्टि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जबकि कुछ ने अपनी अद्वितीय बुद्धिमत्ता के माध्यम से विज्ञान की दुनिया में क्रांति की है। इस लेख में, हम वृक्षों के नीचे बैठने वाले कुछ महान व्यक्तियों की चर्चा करेंगे, जिन्होंने अपनी जीवन में अनूठी प्रासंगिकता प्रदान की है।

बुद्ध: आत्मा के अनुभव में

गौतम बुद्ध, बौद्ध धर्म के संस्थापक, ने अपने आत्मा की खोज में बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर अद्वितीय ज्ञान का प्राप्त किया। उन्होंने संसार के दुखों का कारण और इससे मुक्ति का मार्ग ढूंढ़ने का संकल्प किया। उनका बोधि वृक्ष के नीचे बैठना एक प्रसन्न चित्त और शांत वातावरण में हुआ था, जिसने उन्हें अनदेखे आत्मा के आद्यात्मिक अनुभव में ले जाया। उनका उपदेश 'अस्ति' और 'नास्ति' की अंतर्दृष्टि पर आधारित था, जो संसार की माया को समझाने में मदद करता है।

वाल्मीकि: वृक्ष के नीचे महाकाव्य का रचयिता

आदिकवि वाल्मीकि ने रामायण को रचते समय वृक्ष के नीचे बैठकर अपनी अद्वितीय कल्पनाओं को व्यक्त किया। उनके आश्रम में बैठकर वाल्मीकि ने वाल्मीकि रामायण को रचा, जो भारतीय साहित्य का एक अद्वितीय कृति है। वाल्मीकि के रचनात्मक प्रक्रिया में वृक्षों की प्राकृतिक सुंदरता ने उन्हें विचारक और कवि के रूप में प्रेरित किया।

न्यूटन: गतिशीलता के नियमों का खोजी

इसके बाद, हम आगे बढ़ते हैं और आधुनिक विज्ञान के शिक्षक सर इसक न्यूटन की ओर मुड़ते हैं, जिन्होंने वृक्ष के नीचे बैठकर गुरुत्वाकर्षण और गतिशीलता के नियमों की खोज की। न्यूटन के विचारशील मन की प्रक्रिया ने उन्हें यह विश्वास करने के लिए प्रेरित किया कि प्राकृतिक घटनाओं को समझकर हम उन्हें नियमित कर सकते हैं। उनके द्वारा स्थापित किए गए गतिशीलता के नियम आज भी विज्ञान में महत्वपूर्ण हैं और उन्हें "न्यूटन के नियम" कहा जाता है।

इस तरह, वृक्षों के नीचे बैठने वाले व्यक्तियों ने अपने विचारों, आत्मा के अनुभवों और विज्ञान के क्षेत्र में अपनी अद्वितीय योगदान के माध्यम से समाज को प्रेरित किया है। इन बड़े विचारकों ने वृक्षों के साथ अपनी अज्ञेय जीवन की यात्रा में संवाद किया और समाज को सही दिशा में मार्गदर्शन किया।

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