तुषार सिंह : बुलंदशहर से UPSC तक, छोटे शहर का बड़ा सपना

बुलंदशहर के तुषार सिंह की प्रेरणादायक कहानी पढ़िए, जिन्होंने केवल 22 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा पास कर देशभर में 385वीं रैंक हासिल की। छोटे शहरों के बड़े सपनों की एक मिसाल। Tushar Singh From Bulandshahr to UPSC a small town with a big dream, तुषार सिंह : बुलंदशहर से UPSC तक, छोटे शहर का बड़ा सपना

Apr 23, 2025 - 14:58
Apr 23, 2025 - 14:59
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तुषार सिंह : बुलंदशहर से UPSC तक, छोटे शहर का बड़ा सपना

तुषार सिंह : बुलंदशहर से UPSC तक, छोटे शहर का बड़ा सपना

जब बात हो मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प की, तो उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के यमुनापुरम इलाके से ताल्लुक रखने वाले तुषार सिंह का नाम खुद-ब-खुद सामने आ जाता है। एक ऐसे होनहार युवा जिन्होंने अपनी काबिलियत से न सिर्फ अपने जिले का नाम रोशन किया, बल्कि पूरे प्रदेश को गर्व करने का अवसर दिया। सिविल सेवा परीक्षा UPSC में देशभर में 385वीं रैंक हासिल कर तुषार ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर सपनों को सच्चे मन से जिया जाए, तो कोई मंज़िल दूर नहीं होती।

22 की उम्र में बड़ा मुकाम

जहां अधिकतर छात्र अपने करियर की दिशा तय करने की कोशिश में लगे रहते हैं, वहीं तुषार ने महज़ 22 वर्ष की उम्र में अपने पहले ही प्रयास में UPSC जैसी कठिन परीक्षा को पास कर इतिहास रच दिया। यह सफलता इसलिए भी खास बन जाती है क्योंकि यह सिर्फ एक परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि खुद को साबित करने का नाम है।

शिक्षा में शुरू से अव्वल

तुषार का शैक्षिक सफर भी उतना ही प्रेरणादायक है जितनी उनकी उपलब्धि। 2020 में डीपीएस स्कूल से इंटरमीडिएट की परीक्षा में 500 में से पूरे 500 अंक लाकर उन्होंने सभी को हैरान कर दिया था। आर्ट्स स्ट्रीम में इंग्लिश, हिस्ट्री, जियोग्रफी, पॉलिटिकल साइंस और फिजिकल एजुकेशन – हर विषय में 100 में से 100 अंक। ये वही पल था जब सबको यह यकीन हो गया था कि तुषार कुछ बड़ा करने जा रहे हैं।

कोई टाइम टेबल नहीं, बस जुनून था

अक्सर हम सुनते हैं कि सफलता के लिए एक सख्त दिनचर्या और रूटीन जरूरी होता है। लेकिन तुषार की सोच कुछ अलग रही। उनका कोई तय टाइम टेबल नहीं था। कभी चार घंटे पढ़ाई करते, तो कभी आठ। लेकिन एक चीज़ जो हमेशा स्थिर रही, वो था फोकस और डेडिकेशन। उन्होंने दिखा दिया कि घण्टों की गणना से ज्यादा मायने लगन की गहराई रखती है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि ने निभाई अहम भूमिका

तुषार का परिवार भी शिक्षा से जुड़ा है। उनके पिता डॉ. ओपी सिंह खुर्जा के एनआरईसी कॉलेज में प्रोफेसर हैं और मां किरण भारती इंटर कॉलेज में लेक्चरर। तुषार को बचपन से ही एक शिक्षित और सकारात्मक माहौल मिला, जहां किताबों की खुशबू और प्रेरणा की हवा हमेशा बनी रही। माता-पिता ने उन्हें सिर्फ पढ़ाई के लिए प्रेरित नहीं किया, बल्कि खुद एक आदर्श बनकर उनके सामने खड़े रहे।

हर छोटे शहर के बड़े सपनों की मिसाल

तुषार की कहानी सिर्फ उनकी खुद की नहीं, बल्कि हर उस विद्यार्थी की कहानी है जो छोटे शहरों से बड़े सपने देखता है। उनका सफर बताता है कि संसाधनों की कमी कभी भी रास्ता नहीं रोक सकती, अगर भीतर से बुलंद हौंसले हों। UPSC की नीली बत्ती वाली गाड़ी हो या देश की सेवा का सपना – तुषार जैसे युवा ही तो असल बदलाव के वाहक हैं।

तुषार से युवाओं को क्या सीखना चाहिए?

  1. आत्मविश्वास रखें – उम्र मायने नहीं रखती, आत्मविश्वास करता है।

  2. अपने तरीके से पढ़ें – हर किसी का पढ़ाई का तरीका अलग होता है, उसे पहचानें।

  3. परिवार से जुड़े रहें – समर्थन और मार्गदर्शन हमेशा मदद करता है।

  4. फोकस कभी न खोएं – चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, लक्ष्य पर नजर रखें।

आज जब तुषार सिंह बुलंदशहर की गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा में शामिल हो चुके हैं, तो यह सफलता हर युवा के लिए एक नई उम्मीद की किरण है। तुषार की कहानी यह बताती है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती, और न ही किसी छोटे शहर में जन्म लेना आपकी मंज़िल को छोटा कर सकता है।

तुषार, आप पर गर्व है!

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Adnan Ibad Reporter उत्तर प्रदेश के समाचार देते है और हम भारतीय न्यूज़ के साथ स्टोरी लिखते हैं ताकि हर नई और सटीक जानकारी समय पर लोगों तक पहुँचे। हमारा उद्देश्य है कि पाठकों को सरल भाषा में ताज़ा, विश्वसनीय और महत्वपूर्ण समाचार मिलें, जिससे वे जागरूक रहें और समाज में हो रहे बदलावों को समझ सकें। bjmc ccsu meerut