राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद एक सादगी भरा जीवन और असाधारण उपलब्धियाँ

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Oct 1, 2024 - 05:45
Oct 1, 2024 - 06:01
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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद एक सादगी भरा जीवन और असाधारण उपलब्धियाँ

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भारत के 14वें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की प्रेरणादायक जीवन यात्रा

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राम नाथ कोविन्द भारत के 14वें राष्ट्रपति रह चुके हैं, और उनका जीवन एक प्रेरणास्पद यात्रा है जो साधारण परिवार से लेकर भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने का प्रतीक है। उनका जीवन संघर्ष, मेहनत, और सादगी की मिसाल है। इस लेख में हम उनके व्यक्तिगत जीवन, परिवार, शिक्षा, प्रारंभिक करियर, और राजनीति में उनके योगदान पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।

प्रारंभिक जीवन और परिवार

राम नाथ कोविन्द का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के परौंख गाँव में एक बहुत ही साधारण और गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मैथली पाल कोविन्द और माता का नाम कलबाती देवी था। उनका परिवार दलित समुदाय से संबंध रखता था, और आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। उनके पिता गाँव के एक छोटे किसान और वैद्य थे, और माता गृहिणी थीं। इस आर्थिक तंगी के बावजूद, परिवार में शिक्षा का महत्व था, और उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया।

राम नाथ कोविन्द के परिवार में अन्य भाई-बहन भी थे, लेकिन बचपन में ही उनके तीन भाई और एक बहन की मृत्यु हो गई थी। इन कठिन हालातों ने राम नाथ कोविन्द को जीवन के संघर्षों से परिचित कराया। उनके पिता के पास सीमित संसाधन थे, लेकिन फिर भी उन्होंने राम नाथ कोविन्द को अच्छी शिक्षा देने की पूरी कोशिश की।

शिक्षा

राम नाथ कोविन्द की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही एक छोटे स्कूल में हुई। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कठिन परिस्थितियों में पूरी की, लेकिन उनके अंदर शिक्षा के प्रति जुनून था। शुरुआती शिक्षा के बाद, राम नाथ कोविन्द ने कानपुर के बी.एन.एस.डी. इंटर कॉलेज से माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय (अब छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय) से वाणिज्य और कानून की पढ़ाई की।

कोविन्द ने कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की परीक्षा दी, जिसमें वे तीसरे प्रयास में सफल हुए। हालांकि, उन्हें उच्च पद पर नियुक्ति नहीं मिली और उन्होंने सिविल सेवा की नौकरी ठुकरा दी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में वकालत करने का निर्णय लिया।

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वकालत और प्रारंभिक करियर

वकालत के क्षेत्र में कदम रखते हुए राम नाथ कोविन्द ने 1971 में दिल्ली उच्च न्यायालय में वकील के रूप में पंजीकरण कराया। वे कई वर्षों तक दिल्ली उच्च न्यायालय और फिर सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते रहे। अपने कानून के करियर के दौरान उन्होंने सामाजिक और संवैधानिक मामलों पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने गरीबों, वंचितों, और समाज के कमजोर वर्गों की सहायता के लिए मुफ्त में केस लड़े।

उन्होंने 1977 से 1979 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सहायक के रूप में भी कार्य किया। इस दौरान उन्होंने राजनीति और प्रशासनिक कार्यों की बारीकियों को करीब से देखा और समझा। उनकी सरलता, विनम्रता, और प्रशासनिक कार्यों में रुचि ने उन्हें राजनीति के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

राम नाथ कोविन्द भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े, और धीरे-धीरे राजनीति में उनकी सक्रियता बढ़ने लगी। 1991 में उन्होंने सक्रिय रूप से राजनीति में कदम रखा और भाजपा से जुड़ गए। कोविन्द ने पार्टी के दलित मोर्चे के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए पार्टी के मंच से कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए।

1994 में, राम नाथ कोविन्द उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए। वे लगातार दो बार, यानी 1994 से 2006 तक राज्यसभा सदस्य रहे। इस दौरान उन्होंने विभिन्न समितियों में अपनी सेवा दी और सामाजिक, शैक्षिक, और विकासात्मक मुद्दों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राज्यसभा में रहते हुए, उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकारों की रक्षा और उनके सामाजिक उत्थान के लिए निरंतर प्रयास किए।

राज्यपाल के रूप में योगदान

राम नाथ कोविन्द को 8 अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया। राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल को बेहद सफल और सराहनीय माना जाता है। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने बिहार में शिक्षा, प्रशासनिक सुधार, और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने शिक्षा प्रणाली को सुधारने और भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठाए।

उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने राज्यपाल पद की गरिमा को बनाए रखा और सत्तारूढ़ सरकार और विपक्ष दोनों के साथ समन्वय बनाकर काम किया। राज्यपाल के रूप में उनके निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण की प्रशंसा की गई। उनके कार्यकाल में बिहार के विश्वविद्यालयों में लंबे समय से लंबित कुलपति की नियुक्ति जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को पूरा किया गया।

भारत के राष्ट्रपति के रूप में

राम नाथ कोविन्द को 2017 में भारतीय जनता पार्टी और एनडीए गठबंधन द्वारा राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया। 25 जुलाई 2017 को उन्होंने भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। वे देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करते हुए, एक संतुलित और निष्पक्ष तरीके से देश की सेवा करने का था।

राष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने हमेशा संविधान की मर्यादाओं का पालन किया और देश के सभी वर्गों के साथ समानता का व्यवहार किया। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने विभिन्न राज्यों का दौरा किया और जनता के साथ संवाद स्थापित किया। वे हमेशा समाज के कमजोर वर्गों, विशेष रूप से दलितों और आदिवासियों के उत्थान के लिए सक्रिय रहे। उनके राष्ट्रपति पद के दौरान भारत में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ और निर्णय हुए, जिनमें संवैधानिक, सामाजिक और विकासात्मक मुद्दे शामिल थे।

व्यक्तिगत जीवन और सादगी

राम नाथ कोविन्द ने अपने जीवन में सादगी और ईमानदारी को सर्वोपरि रखा है। उन्होंने कभी भी सत्ता और पद को अपने जीवन में अहमियत नहीं दी। वे एक साधारण जीवन जीने में विश्वास रखते हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उनकी सादगी और उनके कर्तव्यनिष्ठ रवैये की देशभर में सराहना की गई।

उनकी पत्नी सविता कोविन्द एक आदर्श गृहिणी हैं, और उनके दो बच्चे हैं—एक बेटा और एक बेटी। परिवार ने हमेशा उनके राजनीतिक और सामाजिक जीवन में उनका साथ दिया है। उनके बेटे का नाम प्रशांत कुमार कोविन्द है और बेटी का नाम स्वाति कोविन्द। उनकी बेटी स्वाति एयर इंडिया में पायलट के रूप में कार्यरत हैं।

सामाजिक और राजनीतिक योगदान

राम नाथ कोविन्द का जीवन सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में समर्पित रहा है। वे हमेशा से समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए प्रयासरत रहे हैं। उनकी कोशिश रही है कि समाज में समानता स्थापित हो और दलित समुदाय को भी समान अधिकार और अवसर मिलें। उन्होंने अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन के माध्यम से उन मुद्दों को उठाया जो समाज के कमजोर और उपेक्षित वर्गों के लिए महत्वपूर्ण थे।

उनका राजनीतिक करियर उनकी समाज सेवा की भावना से प्रेरित था, और उन्होंने हमेशा गरीबों, वंचितों और जरूरतमंदों की आवाज़ उठाई। वे भारतीय समाज के एक महत्वपूर्ण नायक के रूप में सामने आए, जिन्होंने समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के लिए न्याय और समानता की बात की।

राम नाथ कोविन्द का जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है, जो दिखाता है कि कैसे एक साधारण परिवार का व्यक्ति मेहनत, समर्पण और ईमानदारी से जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। उनका जीवन उन लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं, लेकिन अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राम नाथ कोविन्द ने न केवल एक नेता के रूप में बल्कि एक समाज सेवक के रूप में भी देश की सेवा की है, और उनका योगदान भारतीय राजनीति और समाज में हमेशा याद रखा जाएगा।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की जीवन यात्रा

श्री रामनाथ कोविंद, जिन्होंने 25 जुलाई 2017 को भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की, एक विनम्र और प्रेरणादायक जीवन के प्रतीक हैं। उनका जीवन राजनीति, समाजसेवा और कानूनी क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान का उदाहरण है। राष्ट्रपति बनने से पहले वे बिहार राज्य के राज्यपाल रहे और उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्य किया। उन्होंने जमीनी स्तर पर काम करने से लेकर सर्वोच्च न्यायालय और संसद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और प्रामाणिकता के पक्षधर रहे हैं।

आरंभिक जीवन और शिक्षा

श्री रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के परौंख गांव में हुआ था। उनका जीवन एक साधारण किसान परिवार में सादगी और संघर्ष से भरा रहा। उनकी प्रारंभिक शिक्षा और उच्च शिक्षा कानपुर में हुई, जहाँ उन्होंने कॉमर्स में स्नातक और कानपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। उनका यह सफर बहुत कठिनाइयों से भरा था, पर उन्होंने दृढ़ संकल्प और मेहनत से अपनी पहचान बनाई।

कानूनी करियर

श्री कोविंद ने 1971 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में अपना करियर शुरू किया। वे 1977 से 1979 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के अधिवक्ता रहे। 1978 में वे उच्चतम न्यायालय के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड बने और 1980 से 1993 तक उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता के रूप में सेवा दी। उन्होंने "फ्री लीगल एड सोसायटी" के माध्यम से कमजोर वर्गों, विशेष रूप से महिलाओं और गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की।

संसदीय और सार्वजनिक जीवन

श्री रामनाथ कोविंद ने अप्रैल 1994 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य के रूप में अपना संसदीय जीवन शुरू किया। उन्होंने 12 वर्षों तक राज्यसभा के सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण संसदीय समितियों में कार्य किया। उनकी नेतृत्व क्षमता और संविधान की गहरी समझ के कारण उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व करने का मौका भी मिला। श्री कोविंद का मानना है कि शिक्षा सामाजिक सशक्तीकरण का महत्वपूर्ण साधन है। वे महिलाओं और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं।

बिहार के राज्यपाल

श्री कोविंद ने 8 अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल का पद संभाला। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने शिक्षा और प्रशासन में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने कुलपतियों की नियुक्ति में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी और राज्य विश्वविद्यालयों में आधुनिक तकनीक का प्रयोग शुरू किया। राज्यपाल के रूप में उनके कार्यों को सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने सराहा।

राष्ट्रपति पदभार

श्री कोविंद की कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण को देखते हुए 2017 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। राष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत किया और देश के संवैधानिक मूल्यों को संरक्षित रखने का कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 33 देशों की राजकीय यात्राएँ कीं और भारत की ओर से शांति और भाईचारे का संदेश दिया। उन्हें 6 देशों ने अपने सर्वोच्च राजकीय सम्मान से भी सम्मानित किया।

सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर

भारत के सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में, श्री कोविंद ने मई 2018 में सियाचिन में तैनात भारतीय सैनिकों से मिलने के लिए ऐतिहासिक यात्रा की। यह यात्रा उनके द्वारा सैनिकों के प्रति सम्मान और उनके साहस की सराहना का प्रतीक बनी।

व्यक्तिगत जीवन

श्री रामनाथ कोविंद ने 30 मई 1974 को श्रीमती सविता कोविंद से विवाह किया। उनके एक पुत्र और एक पुत्री हैं। उन्हें पढ़ने का शौक है और राजनीति, सामाजिक परिवर्तन, कानून, इतिहास, और अध्यात्म से संबंधित पुस्तकों में उनकी गहरी रुचि है।

श्री रामनाथ कोविंद का जीवन प्रेरणा से भरा हुआ है। उन्होंने साधारण जीवन से असाधारण ऊंचाइयों तक का सफर तय किया और अपने कार्यों से समाज में सकारात्मक बदलाव लाए। चाहे वह कानूनी क्षेत्र हो, संसदीय जिम्मेदारी, या राष्ट्रपति पद की गरिमा—उन्होंने हर क्षेत्र में अपनी सादगी, कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति समर्पण का उदाहरण पेश किया।

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