आरएसएस कितने पद और कैसे होता है प्रमोशन : हर बात जानिए
आरएसएस की प्रतिनिधि सभा ने होसबाले को 2027 तक सरकार्यवाह चुन लिया है
दत्तात्रेय होसबाले आरएसएस कितने पद और कैसे होता है प्रमोशन हर बात जानिए
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस ने अपने दूसरे नंबर के पदाधिकारी सरकार्यवाह का कार्यकाल फिर बढ़ा दिया है। अभी केंद्र में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा (BJP) की वैचारिक संस्था है। आरएसएस अपने को दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बताता है। आरएसएस स्वयंसेवक किसी भी आपदा की स्थिति में देशवासियों की सेवा करने के लिए जाने जाते हैंं।
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने दत्तात्रेय होसबाले का कार्यकाल बढ़ा दिया है
- आरएसएस की प्रतिनिधि सभा ने होसबाले को 2027 तक सरकार्यवाह चुन लिया है
- आरएसएस में केंद्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर कई पदाधिकारी होते हैं जिनका क्रम तय होता है
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपने फिर से दत्तात्रेय होसबाले को ही सरकार्यवाह चुन लिया है। संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में सरकार्यवाह पद के लिए निर्वाचन हुआ और अगले तीन वर्ष के लिए दत्तात्रेय होसबाले को ही सरकार्यवाह का दायित्व दिया गया। वो 2021 से सरकार्यवाह हैं। आरएसएस में सरकार्यवाह का पद महसाचिव का माना जाता है। दोबारा सरकार्यवाह चुने जाने के बाद दत्तात्रेय होसबाले ने अपने छह सहयोगियों को चुना। सरकार्यवाह के सहायक के तौर पर सह-सरकार्यवाह की नियुक्ति होती है।
कृष्ण गोपाल, सीआर मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर, अतुल लमिये और आलोक कुमार नए सह-सरकार्यवाह बनाए गए हैं। आइए जानते हैं कि आखिर स्वयं के दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन होने का दावा करने वाले आरएसएस में सगठन स्तर पर कौन-कौन से पद होते हैं और उनका क्रम क्या होता है
आरएसएस में कौन-कौन से पद, विस्तार से जानें
आरएसएस पदाधिकारियों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है। एक केंद्रीय नेतृत्व जो पूरे संगठन की देखरेख करता है और दूसरे, स्थानीय स्तर के पदाधिकारी जो जमीनी स्तर पर गतिविधियों का प्रबंधन करते हैं। आरएसएस के सर्वोच्च नेता सरसंघचालक होते हैं। वर्तमान में मोहन भागवत आरएसएस प्रमुख हैं।सरसंघचालक को पूर्ववर्ती सरसंघचालक मनोनीत करते हैं और ये आजीवन इस पद पर रहते हैं। सरसंघचालक आरएसएस के प्रमुख होते हैं। उनके बाद सरकार्यवाह का पद होता है। आरएसएस में सरकार्यवाह मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) की तरह होता है। हालांकि, इसे महासचिव माना जाता है। उन्हें अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS) के सदस्यों द्वारा चुना जाता है, जो संघ की प्रतिनिधि निकाय है।
सह-सरकार्यवाह: संयुक्त महासचिव जो सरसंघचालक की सहायता करते हैं। सह-सरकार्यवाह के पांच पद होते हैं।
नागपुर (17 मार्च, 2024) : संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में सरकार्यवाह पद (2024-2027) के लिए श्री दत्तात्रेय होसबाले जी पुनः निर्वाचित हुए। वे 2021 से सरकार्यवाह दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
इनके नीचे सात प्रभागों के प्रमुख होते हैं।
सेवा प्रमुख
बौद्धिक प्रमुख
प्रचारक प्रमुख
संपर्क प्रमुख
शारीरिक प्रमुख
प्रचारक प्रमुख
व्यवस्था प्रमुख
इस सभी प्रमुखों के साथ एक-एक सह-प्रमुख भी होता है।
स्थानीय स्तर के पदाधिकारी: जमीनी स्तर पर गतिविधियों का प्रबंधन करते हैं।
क्षेत्र संघचालक: एक क्षेत्र का नेतृत्व करता है।
प्रांत संघचालक: एक राज्य का नेतृत्व करता है।
जिला संघचालक: एक जिले का नेतृत्व करता है।
शाखा संघचालक: स्थानीय शाखा का नेतृत्व करता है, जो आरएसएस की सबसे बुनियादी इकाई है।
अतिरिक्त भूमिकाएं
मुख्य शिक्षक: शाखा में मुख्य प्रशिक्षक।
कार्यवाह: स्वयंसेवक जो शाखा स्तर पर विभिन्न कार्यों को संभालते हैं।
कार्यकर्ता और प्रचारक
➤ आरएसएस में कई विचारक भी होते हैं जो संघ के सिद्धातों पर काम करते हैं।
➤ हर कार्यकर्ता को संघ शिक्षा शिविरों में चार स्तर के वैचारिक और शारीरिक अभ्यास से गुजरना होता है।
➤ आरएसएस में 95 प्रतिशत प्रचारक को गृहस्थ कार्यकर्ता कहा जाता है जो पारिवारिक जीवन बिताते हैं और वक्त-वक्त पर संघ के दायित्व निभाते हैं।
➤ 5 प्रतिशत कार्यकर्ता ऐसे हैं जो अपना पूरा जीवन आरएसएस को ही समर्पित कर देते हैं। ये पूर्ण प्रचारक कहे जाते हैं।
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