विपक्ष के विरोध के बीच 'एक देश, एक चुनाव' का विधेयक लोकसभा में पेश

विपक्ष के विरोध के बीच 'एक देश, एक चुनाव' का विधेयक लोकसभा में पेश, One country one election bill introduced in Lok Sabha amid opposition opposition,

Dec 18, 2024 - 18:42
Dec 18, 2024 - 18:45
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विपक्ष के विरोध के बीच 'एक देश, एक चुनाव' का विधेयक लोकसभा में पेश

विपक्ष के विरोध के बीच 'एक देश, एक चुनाव' का विधेयक लोकसभा में पेश

एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा को मूर्त रूप देने की पहली कड़ी में केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच इससे संबंधित संविधान (129वां) संशोधन विधेयक और इससे जुड़े एक अन्य विधेयक को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया। विधेयकों को पहली ही सीढ़ी पर तगड़े विरोध का सामना करना पड़ा और विपक्ष ने मतविभाजन कराकर अपने इरादे साफ कर दिए। विपक्ष के 198 मतों के मुकाबले 269 सदस्यों के समर्थन से सरकार ने विधेयक पेश कर दिए। मगर संविधान संशोधन के लिए दो-तिहाई बहुमत जुटाने की चुनौती के मद्देनजर संविधान संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति में भेजने पर हामी भर दी। विपक्ष ने सरकार के कदम को तानाशाही बताते हुए इसे संघीय ढांचे पर प्रहार करार दिया। वहीं, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि विधेयक राज्यों को प्राप्त शक्तियों से कोई छेड़छाड़ नहीं करता। कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष की मांग के बीच गृह मंत्री अमित शाह और मेघवाल ने कहा कि सरकार दोनों विधेयकों को विस्तृत विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने के लिए तैयार है।

लोकसभा में 129वें संशोधन विधेयक के साथ केंद्र शासित प्रदेश संशोधन विधेयक-2024 भी पेश किया गया जिसमें तीन केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव भी लोकसभा चुनावों के साथ कराने का प्रविधान है। कानून मंत्री द्वारा दोनों विधेयकों को पेश करने का प्रस्ताव रखते ही विपक्ष ने सवालों की झड़ी लगाते हुए विरोध शुरू कर दिया।

विपक्ष की आशंकाओं को निराधार बताते हुए मेघवाल ने दावा किया कि यह विधेयक संविधान की मूल संरचना के सिद्धांत पर हमला नहीं करता। न्यायिक समीक्षा, संविधान का संघीय चरित्र, शक्तियों के पृथक्कीकरण, पंथनिरपेक्ष स्वरूप, संविधान की सर्वोच्चता जैसे सिद्धांत नहीं बदले गए हैं और विपक्ष की अधिकांश आपत्तियां राजनीतिक प्रकृति की हैं।

 

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