त्यौहारों, मेलों के साथ गर्मी की शुरुआत :नीलम भागी
भारतीय संस्कृति और उसके संस्कार प्रत्येक ऋतु और समय के साथ स्वाभाविक रूप से विभिन्न आयामों से गुंथे हुए हैं। वह भी वैज्ञानिक मानदंडों की कसौटी पर।
त्यौहारों, मेलों के साथ गर्मी की शुरुआत :नीलम भागी
भारतीय संस्कृति और उसके संस्कार प्रत्येक ऋतु और समय के साथ स्वाभाविक रूप से विभिन्न आयामों से गुंथे हुए हैं। वह भी वैज्ञानिक मानदंडों की कसौटी पर।
भारतीय संस्कृति और त्यौहार का संबंध जीवात्मा की तरह है। अपने यहां किसी न किसी रूप में हर महीने की अपनी महिमा है, तो ऐसे में वैशाख माह का भी धार्मिक दृष्टि से बड़ा महत्व है। क्योंकि इस समय तक फसलों की कटाई हो चुकी होती है। बगीचे आम के फलों से लदे होते हैं। कोयल की मीठी कूक से मन भावविभोर हो जाता है। स्कूलों में छुट्टियां होने से घरों में बच्चों का साथ अनायास ही सीखने-सिखाने का स्वाभाविक माध्यम होता है। और इसमें भारत की विविधता और उत्सव धर्मिता के कारण त्यौहारों, मेलों और उत्सव की एक श्रृंखला बन जाती है। जिससे जीवन की एकरसता दूर होती है। ऐसे में उस विशेष दिन पारंपरिक पकवान और उत्सव से संबंधित कथाएं लाल, पीले आदि रंगों की पोशाकों से छटा निराली होती है। इन दिनों में कुछ लोग अपने बजट अनुसार पर्यटन की योजना बनाकर किसी रमणीय त्यौहार और तीर्थ स्थल पर चले जाते हैं। इससे सामाजिक समरता बढ़ती है। हमारा देश कृषि प्रधान है, इसलिए इस समय किसान भी फुसरत के क्षणों में उत्सवों और उमंग का हिस्सा बनते हैं।
त्यौहारों की बात करें तो मई माह के इगितुन चाल्ने (आग में चलना) की बात ही निराली है। यह सिरिगाओ गोवा की राजधानी पणजी से 30 किमी० दूर, सिरिगाओ के मंदिर में मनाया जाता है। इसमें देवी लैराया के भक्त शामिल होते हैं। बाकि भक्त जयकारों के साथ उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। इसी क्रम में पुष्प मेला गंगटोक, सिक्किम में फूलों की सुंदरता और वृक्षारोपण के ज्ञान के साथ, स्वदेशी पौधों के बारे में व्याख्यान और सेमिनार ज्ञानार्जन के स्रोत बनते हैं। स्वादिष्ट क्षेत्रीय व्यंजनों के साथ, याक की सवारी का अपना ही आनंद होता है। जिन्हें रोमांच पसंद है, उनके लिए रिवर राफ्टिंग है। इसी तरह मोत्सु महोत्सव, नागालैंड में एओ जनजाति द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। छोटे से खूबसूरत राज्य का यह उत्सव बहुत जीवंत होता है।
उत्सव का मुख्य उद्देश्य भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करना है। इस दौरान अपने नायकों की स्तुतियां भी गाई जाती हैं। देशभर से आये हुए लोगों को सहज ही इस उत्सव में स्थानीय व्यंजनों और नागालैंड की संस्कृति का अनोखा रूप देखने को मिलता है इसी क्रम में वरुथिनी एकादशी और वल्लभाचार्य जयंती उत्सव को भक्तजन धूमधाम से मनाते हैं। ऐसे ही मासिक कार्तिगाई पर भगवान कार्तिकेय से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए घर के द्वार पर दीपक जलाने की परंपरा का बड़ा महत्व है।
10 मई को भगवान परशुराम जयंती के दिन उनके उच्च आदर्श, लक्ष्यों की प्राप्ति, त्याग और संकल्प की प्रतिबद्धता से हम सभी को प्रेरणा मिलती है। इसको अक्षय तृतीया भी कहा जाता है, जो नए प्रयास, व्यवसाय शुरू करने, सोना खरीदने के लिए यह दिन बहुत शुभ होता है। इस दिन बिना मुहूर्त के भी किसी भी कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। इसी तरह बसव जयंती, लिंगायतों द्वारा पारंपरिक रूप से मनाई जाने वाली बसवन्ना की जयंती है। वह 12वीं सदी के एक प्रसिद्ध हिंदू, कन्नड़, दार्शनिक एवं शिव के अनुयायी थे। विशेषतः उनका जन्मदिन कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना में उत्सव बसवेश्वर मंदिरों में भव्यता से मनाया जाता है। इसी तरह मातंगी जयंती, देवी मातंगी को दस महाविद्या में नौवीं महाविद्या के रूप में पूजते हैं। इनके पूजन से वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। इस दिन कन्या पूजन का भी विधान है।
इसी क्रम में 10 से 12 मई तक ग्रीष्म उत्सव माउंट आबू, राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन पर असाधारण, दिलचस्प कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जो जुलूस के साथ शुरू होता है। आदि शंकराचार्य जयंती इसी माह में 12 मई को है। महान संत, प्रसिद्ध दार्शनिक, आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के कलाडी क्षेत्र में हुआ था। उन्होंने अद्वैत वेदांत दर्शन के सिद्धांत पर चलकर, हिंदू संस्कृति को तय बचाया, जब हिंदू संस्कृति को संजोय रखने की सबसे अधिक आवश्यकता थी। इसी दिन श्री रामानुजाचार्य की भी जयंती है। विशिष्टाद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक रामानुजाचार्य ऐसे वैष्णव सन्त थे, जिनका भक्ति परम्परा पर बहुत गहरा प्रभाव रहा। उन्होंने उपनिषदों, ब्रह्म सूत्रों के दर्शन को मिश्रित कर भक्ति परंपरा को एक मजबूत बौद्धिक आचार दिया। इसी तरह चिथिरई महोत्सव मदुरै तमिलनाडु, मदुरै के प्रसिद्ध मंदिर में भगवान सुंदरेश्वर के साथ, देवी मीनाक्षी के विवाह के उपलक्ष में मनाया जाता है। जिसमें लोग बड़े उत्साह से भाग लेते हैं। इसी क्रम में बगलामुखी जयंती 15 मई को है। इन्हें माँ पीताम्बरा या ब्रह्मास्त्र विद्या, आठवीं महाविद्या भी कहा जाता है।
देवी को पीली पोशाक पहनाकर पीला श्रृंगार भी किया जाता है। तांत्रिक लोग इस दिन विशेष साथना करते हैं। पीताम्बरा पीठ, दतिया मध्य प्रदेश में और हिमाचल के बगलामुखी मंदिर में बहुत बड़ा मेला लगता है। 20 से 24 मई ऊटी ग्रीष्म महोत्सव, नीलगिरी की ताजी हवा में प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच, यह गर्मी के त्यौहार की तरह है। यहां फूलों की सजावट, सब्ज़ियों की नक्काशी, फूलों की रंगोली, रोज़ शो, फ्रूट शो, स्पाइस शो, वेजिटेबल शो, बोट शो का आनन्द उठा सकते हैं। 22 मई को नरसिंहड जयंती, छिन्नमस्ता जयंती मनाई जायेगी। 23 मई को वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा के दिन सारनाथ का भारतीय बौद्ध सर्किट का महत्वपूर्ण स्थल होने के नाते, यहां एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में बौद्ध धर्मावलंबी पहुंचते हैं। इस क्रम में 24 मई को सृष्टि के प्रथम पत्रकार नारद जी की जयंती है। ऐसी मान्यता है कि नारद मुनि सभी देवों के प्रिय थे। नारद जी तीनों लोकों में देवी-देवताओं और असुरों के मध्य संवाद के सूत्रधार थे। इसलिए इस दिन को पत्रकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। 28 मई को वीर सावरकर जयंती है। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, इतिहासकार और विचारक के रूप में राष्ट्र प्रथम ही उनका प्रथम और अंतिम ध्येय रहा है। इस तरह पूरे राष्ट्र में गर्मी की छुट्टियों में अपनों के साथ, अपनी संस्कृति, परंपरा, संतों और धर्म से जुड़े उत्सयों और समारोह में शामिल होकर इन विशिष्ट दिनों के हम सभी सहभागी बनकर राष्ट्र की जीवंतता की रक्षा करते हैं।
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