2 महीने में दूसरी बार सस्ता हुआ लोन: रेपो रेट 6% पर, जानिए EMI पर कितना असर

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Apr 9, 2025 - 13:07
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2 महीने में दूसरी बार सस्ता हुआ लोन: रेपो रेट 6% पर, जानिए EMI पर कितना असर

2 महीने में दूसरी बार सस्ता हुआ लोन: रेपो रेट 6% पर, जानिए EMI पर कितना असर

लेखिका: दीक्षा अरोड़ा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम जनता को एक और राहत दी है। दो महीने के भीतर दूसरी बार रेपो रेट में कटौती की गई है। इस बार 25 आधार अंकों की कटौती के साथ रेपो रेट अब 6% पर आ गया है। फरवरी में भी RBI ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की थी, जिससे दर 6.25% हो गई थी। यह ढाई साल बाद पहला बदलाव था और अब अप्रैल में फिर से कटौती कर लोन धारकों को राहत दी गई है।

EMI पर कितना असर पड़ेगा?

RBI की इस घोषणा का सबसे बड़ा असर होम और कार लोन लेने वालों पर पड़ेगा। बैंक आम तौर पर लोन की ब्याज दर रेपो रेट से जोड़कर तय करते हैं, ऐसे में जब रेपो रेट घटता है तो ब्याज दरें भी कम हो जाती हैं। इससे EMI में सीधी बचत होती है।

नीचे टेबल से समझिए कि EMI में कितना फर्क पड़ेगा:

होम लोन की राशि टेन्योर पुरानी ब्याज दर नई ब्याज दर पुरानी EMI नई EMI
₹50 लाख 20 साल 8.25% 8.00% ₹42,603 ₹41,822
₹40 लाख 20 साल 8.25% 8.00% ₹34,083 ₹33,458

EMI में यह मामूली कटौती दिखती है, लेकिन लंबी अवधि के लोन में इससे कुल मिलाकर लाखों रुपये की बचत हो सकती है।

महंगाई में आई नरमी

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए बताया कि महंगाई दर अब नियंत्रित स्थिति में है और यह मौद्रिक नीति समिति (MPC) के लिए राहत की बात है। समिति के सभी सदस्यों ने सहमति जताई कि महंगाई अब लक्ष्य के नीचे है, जिस कारण रेट कटौती संभव हो सकी।

इसके साथ ही RBI ने मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण को 'न्यूट्रल' से बदलकर 'अकोमोडेटिव' कर दिया है, जिसका अर्थ है कि आगे भी अगर जरूरत पड़ी तो ब्याज दरों में और कटौती की जा सकती है।

वैश्विक संकट के बीच मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था

गवर्नर मल्होत्रा ने यह भी बताया कि वैश्विक आर्थिक माहौल चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। अधिक टैरिफ और व्यापारिक अवरोधों के कारण भारत के निर्यात पर असर पड़ सकता है। लेकिन इसके बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है।

उन्होंने कहा, "भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, बैंकों की स्थिति मजबूत है और देश की अर्थव्यवस्था स्थिर गति से आगे बढ़ रही है।"

हालांकि, आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए GDP ग्रोथ रेट के अनुमान को 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया है। यह मामूली गिरावट वैश्विक मंदी और कमजोर निर्यात के कारण है।

क्यों जरूरी है रेपो रेट में कटौती?

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। जब RBI इस दर को घटाता है, तो बैंक भी लोन की ब्याज दरों में कटौती करते हैं, जिससे होम लोन, कार लोन और अन्य कर्ज सस्ते हो जाते हैं। यह कदम आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और कंज्यूमर डिमांड को मजबूत करने के लिए उठाया जाता है।

RBI की लगातार दूसरी रेपो रेट कटौती से यह साफ है कि देश की मौद्रिक नीति अब आम आदमी की जेब को राहत देने की दिशा में काम कर रही है। EMI में हो रही ये बचत ना सिर्फ लोन धारकों को थोड़ी राहत देगी, बल्कि नए लोन लेने वालों के लिए भी यह एक अच्छा मौका है।

आने वाले महीनों में महंगाई की स्थिति और वैश्विक आर्थिक हालात को देखते हुए RBI की अगली चाल अहम होगी। तब तक लोन लेने वालों के लिए यह समय फायदेमंद साबित हो सकता है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,