भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई: जानिए उनके जीवन और न्यायिक सफर के अहम पड़ाव

भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई: जानिए उनके जीवन और न्यायिक सफर के अहम पड़ाव, Justice Bhushan Ramakrishna Gavai became the 52nd Chief Justice of India: Know the important milestones of his life and judicial journey

May 15, 2025 - 04:38
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भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई: जानिए उनके जीवन और न्यायिक सफर के अहम पड़ाव
भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई: जानिए उनके जीवन और न्यायिक सफर के अहम पड़ाव

भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई: जानिए उनके जीवन और न्यायिक सफर के अहम पड़ाव

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भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India - CJI) के रूप में नियुक्त किया है। यह ऐतिहासिक क्षण इसलिए भी खास है क्योंकि जस्टिस गवई देश के पहले अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले CJI हैं, जिन्होंने इतने उच्च पद तक पहुंचकर समाज के लिए प्रेरणा का कार्य किया है।

 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

भूषण गवई का जन्म महाराष्ट्र में हुआ। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की शुरुआत की।

 न्यायिक करियर

  • 2000 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

  • 2019 में 24 मई को वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के न्यायाधीश बने।

  • वे अब तक 700 से अधिक बेंचों का हिस्सा रहे हैं और 300 से ज्यादा फैसले लिख चुके हैं

 अहम फैसले

  • अनुच्छेद 370 पर ऐतिहासिक फैसला: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में रहते हुए उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा, जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हुआ।

  • 2024 में चुनावी बॉन्ड रद्द: जस्टिस गवई उस पीठ में शामिल थे जिसने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया। यह फैसला भारतीय राजनीति में पारदर्शिता लाने की दिशा में अहम कदम माना गया।

 रिटायरमेंट

मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा। हालांकि कार्यकाल छोटा है, लेकिन देश की न्यायिक व्यवस्था में उनका योगदान ऐतिहासिक माना जा रहा है।


जस्टिस बी. आर. गवई का न्यायिक सफर न केवल उनके व्यक्तिगत समर्पण और योग्यता का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत में संविधानिक संस्थाएं सामाजिक समावेशिता को महत्व देती हैं। मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनसे न्यायपालिका में और अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और संवेदनशीलता की उम्मीद की जा रही है।

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