राष्ट्रगान का इतिहास और इसके नियम
राष्ट्रगान का इतिहास और इसके नियम
भारत इस बार अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। इस मौके पर तिरंगा फहराया जाता है और राष्ट्रगान गाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत को उसका राष्ट्रगान कब मिला था?
भारत का राष्ट्रगान:
भारतीय तिरंगा और भारत का राष्ट्रगान सभी देशवासियों के लिए शान का प्रतीक है। संविधान सभा ने जन-गण-मन को भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया था। इसके बाद से ही जन गण मन संविधान के अनुसार राष्ट्रगान बन गया था।
आजादी से पहले कब गाया गया?
राष्ट्रगान को सबसे पहले 27 दिसंबर, 1911 को कलकत्ता (कोलकाता) में कांग्रेस के एक कार्यक्रम में गाया गया था। इसे नोबेल पुरस्कार विजेता और भारतीय साहित्यकार रवीन्द्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले बंगाली में लिखा था। राष्ट्रगान की बोल और धुन खुद रवींद्रनाथ टैगोर ने आंध्र प्रदेश के मदनपल्ली में तैयार की थी।
राष्ट्रगान में उल्लेखित राज्य:
भारत के राष्ट्रगान में मुख्य रूप से 7 राज्यों का नाम आता है: पंजाब, सिंध (वर्तमान में पाकिस्तान का एक राज्य), गुजरात, मराठा (महाराष्ट्र), द्राविड़ (दक्षिण भारत), उत्कल (वर्तमान में ओडिशा) और बंग (बंगाल)। नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए ‘जन गण मन’ को 24 जनवरी 1950 को भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था। हालांकि, इसका मूल संस्करण 1911 में बांग्ला भाषा में लिखा गया था, और इसका हिंदी संस्करण संविधान सभा द्वारा अपनाया गया।
राष्ट्रगान की अवधि:
राष्ट्रगान की कुल अवधि लगभग 52 सेकंड है।
राष्ट्रगान के नियम:
राष्ट्रगान के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसके नियमों का पालन करना आवश्यक है। राष्ट्रगान का अपमान करने वाले व्यक्ति के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट-1971 की धारा-3 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
इस प्रकार, राष्ट्रगान का सम्मान करना और इसे सही तरीके से गाना हर भारतीय का कर्तव्य है।
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