ARTICLE 370 जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन पर मूवी

आर्टिकल 370 की करूँ तो ये पूरी फिल्म ही NIA officer बनी यमी गौतम के कंधों पर टिकी है

Feb 25, 2024 - 15:41
Feb 25, 2024 - 15:58
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ARTICLE 370 जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन पर मूवी
NIA officer बनी यमी गौतम

ARTICLE 370 जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन पर मूवी

  1. इतिहास का परिचय: धारा 370, भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद है, जिसे 1949 में जम्मू-कश्मीर के साथ हुए समझौते के तहत संविधान में शामिल किया गया।

  2. उद्देश्य और संरचना: इसका मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को भारत से एकबंधन में जोड़ना था, लेकिन इसने विशेष स्थान प्रदान करके उसे अपना स्वतंत्रता और स्वायत्तता बनाए रखने का हक प्रदान किया।

  3. नागरिकता का विशेष प्रावधान: धारा 370 ने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भारतीय संविधान के तहत विशेष नागरिकता प्रदान की, जिससे उन्हें कई अधिकार मिले।

  4. विवाद और विरोध: धारा 370 ने विभिन्न दशकों तक विवादों और विरोध का केंद्र बना रखा, जहां कुछ इसे जम्मू-कश्मीर की विशेषता का प्रतीक मानते थे, तो कुछ इसे एकता के सिद्धांत के खिलाफ थे।

  5. 2019 में समाप्ति: सन् 2019 में भारत सरकार ने धारा 370 को समाप्त करने का निर्णय लिया, जिससे जम्मू-कश्मीर को भी अन्य राज्यों के साथ समान रूप से शासित किया गया।

  6. नए अनुच्छेद की शुरुआत: धारा 370 के समाप्त होने के साथ, जम्मू-कश्मीर में एक नया अनुच्छेद जोड़ा गया, जिससे वहां की नागरिकों को भी समान अधिकार मिले।

  7. राजनीतिक प्रभाव: धारा 370 के समाप्त होने ने राजनीतिक स्थिति में बड़ा परिवर्तन लाया, और यह राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न चर्चाओं का कारण बना।

  8. सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव: इस निर्णय का सामाजिक और सांस्कृतिक पर्यावरण पर भी बड़ा प्रभाव हुआ, जिससे जम्मू-कश्मीर का अपना समाजिक संरचना बदल गया।

  9. सुरक्षा परिस्थितियाँ: धारा 370 के समाप्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा परिस्थितियाँ भी सुधारी गईं और स्थिति में स्थिरता आई।

  10. भविष्य की दिशा: धारा 370 के समाप्त होने से जम्मू-कश्मीर का भविष्य नई दिशा में बढ़ रहा है, और यह समझौता राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक समर्थन के साथ उसकी विकास यात्रा को समर्थन प्रदान कर रहा है।

हम सबने बहुत सी टॉप क्लास हिरोइन्स को बड़े प्रोड्यूसर्स के साथ ब्याहने के बाद इंडस्ट्री से गायब होते देखा है। इनकेस प्रोड्यूसर नहीं मिला तो बड़े हीरो से शादी करके पीक पर कैरिअर छोड़ देना बीते दौर की ऐक्ट्रिसेस के लिए आम बात थी।
लेकिन बदलते हालात में, सीनियरिटी के हिसाब से चलूँ तो पहले रानी मुखर्जी, विद्या बालन और अब यमी गौतम के काम को देखकर खुशी संग हैरानी होती है कि इन्होंने अपने कैरेक्टर चॉइस में क्या ग़जब परिवर्तन कर दिया है।
हमारे बचपन में जो फ़िल्में आती थीं उनमें हिरोइन की सारी मेहनत मेकअप या टाँग तोड़ डांस करने में ही दिखाई देती थी। लेकिन आज फेयर (ग्लो पढ़ें) एण्ड लवली यमी गौतम, एक के बाद एक ऐसे कैरेक्टर कर रही हैं जिसमें न कोई लव ऐंगल है, न ही वो प्यारी सी गुड़िया लग रही हैं और न ही पेड़ के पीछे नाचती नज़र आ रही हैं।
बात आर्टिकल 370 की करूँ तो ये पूरी फिल्म ही NIA officer बनी यमी गौतम के कंधों पर टिकी है और यकीन मानिए, यमी ने कहीं भी ये महसूस नहीं होने दिया है कि यार, ऐसे एक्शन के लिए तो किसी विकी कौशल या अक्षय कुमार को लेना चाहिए था।
एक सीन है, जिसमें उन्हें पता चलता है कि उनके सीनियर की वजह से उनका पूरा ओपेरेशन खराब हुआ है; वहाँ गुस्से में उनकी एक वॉक है! उसके बाद फट पड़ने वाले डाइलॉग्स भी हैं पर वो जो वॉक है, उसमें ऐसी अकड़, ऐसा कॉन्फिडेंस झलकता है कि हॉल में बैठे देखने पर भी मन मचल उठता है कि इसको रीवाइन्ड करके देखा जाए। 80% फिल्म में उनके बाल बँधे हैं, चेहरे पर मुस्कान का नामों निशान नहीं है।
ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यमी गौतम एक ऐक्टर के तौर पर बहुत मैच्योर हुई हैं। ARTICLE 370 के प्रॉडयूसर आदित्य धर हैं, लेकिन डायरेक्शन आदित्य जंभाले ने किया है।
पर आप फ़िल्म देखें तो फर्स्ट हाफ आपको बिल्कुल ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसा लगता है। स्ट्रक्चर वही फॉलो होता है कि शुरुआत एक मिशन से, मिशन के बाद fall back, फिर कुछ तेज़ तर्रार संवाद, हीरो का पिछड़ना, हीरो के पर्सनल इशूज़ और फिर एक तगड़ा हमला और इन्टरवल।
यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते मेरी आँखें भीग चुकी थीं। पर इन्टरवल के बाद फिल्म अच्छी होते हुए भी प्रेडिकटेबल होती गई और डायरेक्टर इतने ट्विस्ट्स में उलझने लगे कि थ्रिल वाला पार्ट कमज़ोर पड़ गया।
क्या है न कि आर्टिकल 370 पर घर वाले मंत्री जी का फ़ेमस भाषण हो या कश्मीर के फेमस नेता का स्टेटमेंट, ये सब इतना नया है कि हम लोग अभी भूले नहीं है। फिल्म के characters तो इस सस्पेंस में हैं कि पता नहीं ये बिल पास होगा या नहीं, लेकिन हम वो उत्साह महसूस नहीं महसूस कर पा रहे हैं क्योंकि बात अभी 2019 की ही है। मगर मैं ये भी जोड़ना चाहूँगा कि B62 production और jio Studios ने रिसर्च से लेकर सेट और एक्शन सीक्वेंस तक, कहीं कंजूसी नहीं की है। शानदार BGM ने इस फिल्म को अच्छे से बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
आर्टिकल 370 सिर्फ इसलिए नहीं देखी जानी चाहिए कि इतने बड़े मुद्दे पर है, बल्कि इसलिए भी देखी जानी चाहिए कि महिला किरदारों पर सीटियाँ, फब्तियाँ तो हॉल में बहुत सुनने को मिली हैं, पर लंबे समय बाद इस फ़िल्म में दर्शकों द्वारा यमी गौतम और प्रियामणि के लिए ताली बजती सुनाई दी हैं।
ज़बरदस्ती लिपस्टिक, घूँघट, पीरीअड, रोग-संभोग, आदि पर डायरेक्ट स्पीच देने की बजाए यूँ कहानियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़े, तो ऐसा फेमिनिज़्म पर वो बिचारे भी तारीफ करने पर मजबूर हो जाते हैं जिन्हें फेसबुक पर फेमिनिज़्म शब्द से नफरत होती है।
बहरहाल, आपको यमी गौतम की acting कैसी लगती है?

धारा 370: जम्मू-कश्मीर का विशेष स्थान

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐतिहासिक और विवादास्पद धारा है जो भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित जम्मू-कश्मीर को एक विशेष स्थान प्रदान करता है। यह धारा सन् 1949 में भारतीय संविधान में समाहित की गई थी और इसका उद्देश्य था जम्मू-कश्मीर को शांति से भारत से जोड़ना था और उसके विशेष सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान को समर्थन करना था। इस लेख में हम धारा 370 के इतिहास, प्रावधान और उसके समर्थन और विरोध की बात करेंगे।

इतिहास और प्रावधान: धारा 370 का अवसर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय आया था, जब जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरी सिंह ने 1947 में भारत के साथ एकबंधन करने का निर्णय लिया। उन्होंने शर्त रखी कि जम्मू-कश्मीर को अपने स्वतंत्रता और स्वायत्तता की सबसे अधिक रक्षा मिलेगी, और विशेष स्थान का हक रहेगा। इस पर, नेहरू और महाराजा के बीच एक समझौता हुआ, जिसका परिणामस्वरूप धारा 370 बनी।

इस धारा के प्रावधानों में कुछ मुख्य बिंदुशामिल हैं। पहले, इसे अस्थाई रूप से लागू किया गया था, और इसका उद्देश्य था कि जम्मू-कश्मीर को अपनी संविधान सजीव रूप से बनाने का अधिकार होगा। इसके अलावा, इसने जम्मू-कश्मीर की नागरिकों को अन्य भारतीय नागरिकों से अलग नागरिक सूची में शामिल किया और उन्हें कई प्रावधानों में विशेष अधिकार प्रदान किए गए।

समर्थन और विरोध: धारा 370 ने अपने समय में विवाद और विरोध का केंद्र बना लिया था। समर्थनकारी ताकतें यह दावा करती थीं कि यह धारा जम्मू-कश्मीर के विशेषता को समर्थन करती है और उसे भारत से अलग रहने का अधिकार प्रदान करती है। उनका मानना था कि इससे जम्मू-कश्मीर की आत्मनिर्भरता और स्थानीय सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा मिलता है।

विरोधी ताकतें इसे एक असमानता और विभाजन का कारण मानती थीं। उनका कहना था कि इससे जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भारतीय संविधान के लाभों से वंचित किया जा रहा है और यह राष्ट्रीय एकता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

नए रूप में धारा 370: सन् 2019 में, भारत सरकार ने धारा 370 को समाप्त करने का निर्णय लिया। इससे जम्मू-कश्मीर को अनुशासन का सामान्यीकृत संरचना मिली और वहां के नागरिकों को भारतीय संविधान के तहत समान अधिकार मिले। यह निर्णय देशभर में विभिन्न प्रतिष्ठानों और व्यक्तियों के बीच मुखर हुआ, जिससे राजनीतिक और सामाजिक चर्चाएं उत्पन्न हुईं।

समापन: इस प्रकार, धारा 370 ने भारतीय संविधान में एक विशेष धारा के रूप में जम्मू-कश्मीर को एक विशेष स्थान प्रदान किया था, जिसने विवादों का केंद्र बना लिया था। इसकी समाप्ति ने नए राजनीतिक और सामाजिक समर्थन का निर्माण किया है और जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ का एक सामान्य राज्य बना दिया है।

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